शराबबंदी का एक साइड इफेक्ट यह भी, इसने मजबूत की नेपाल की अर्थव्यवस्था
बिहार में शराबबंदी के बाद नेपाल की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा है। शराबबंदी के बाद शराब की तस्करी करने और वहां जाकर शराब पीने वालों के कारण भारतीय मुद्रा नेपाल जा रही है।
By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 12:17 PM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 11:46 PM (IST)
सुपौल [मिथिलेश कुमार]। बिहार की पूर्ण शराबबंदी का एक साइड इफेक्ट यह भी है। इसने माओवादी व मधेशी आंदोलनों से त्रस्त नेपाल की अर्थव्यवस्था को एक बार फिर सुदृढ़ किया है। नेपाल के बाजारों में शराब पीने वाले बिहारियों की बहार है। नेपाल से शराब की तस्करी भी बढ़ी है।
गला तर करने जा रहे सीमा पार
शराबबंदी के बाद बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा नेपाल जा रही है। मौज-मस्ती का शगल हो या फिर गला तर करने की बात, रूख नेपाल की ओर ही हो रहा है।
6 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के बाद से नेपाल में बहार छायी हुई है। सीमावर्ती नेपाली भू-भाग के भारदह, हनुमानगर, राजविराज, भंटाबाड़ी, झुमका, पकली, इनरवा, ईटहरी, विराटनगर आदि जगहों पर शराब का धंधा काफी फल-फूल रहा है। इतना ही नहीं, बीयर बार की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। लोग सीमा पार जाते हैं, गला तर करते हैं और फिर भारतीय भू-भाग में आसानी से लौट आते हैं।
नेपाल से हो रही शराब की तस्करी
जबसे बिहार में शराबबंदी हुई है, नेपाल से तस्करी कर शराब लाने की रफ्तार बढ़ चली है। इसका सबसे बड़ा सबूत नेपाल सीमावर्ती बिहार के भू-भाग में नित्य शराब की खेप की बरामदगी है। सुपौल की बात करें तो यहां नेपाल निर्मित शराब आए दिन पकड़ी जा रही है।
प्रतिदिन लाखों में चलता कारोबार
उत्पाद विभाग और पुलिस विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो आए दिन नेपाली शराब की खेप भारतीय भू-भाग में पकड़ी जा रही है। इनमें मामाश्री, टाइटेनिक, उमंग, गोल्डन ओक, आरएस के साथ-साथ नेपाल में निर्मित देशी शराब की अच्छी आवक है। तस्कर माल के बदले भारतीय मुद्रा नेपाल पहुंचाते हैं और बदले में वहां से शराब खरीद कर चोरी-छिपे भारतीय भू-भाग में लाकर कारोबार करते हैं।
नेपाल के शराब कारोबारियों पर यकीन करें तो यह कारोबार प्रतिदिन लाखों में होता है। शराबबंदी से पहले सुपौल सीमा होकर औसतन प्रतिदिन 50 चार चक्के वाली गाडिय़ां नेपाल जाती थीं। अब इनकी संख्या दो सौ पार कर चुकी हैं। लगभग पांच सौ बाइक भी प्रतिदिन नेपाल जाती है।
उत्पाद अधीक्षक ने मानी तस्करी की बात
सुपौल के उत्पाद अधीक्षक किशोर कुमार साह मानते हैं कि शराबबंदी के बाद जिले में नेपाल से शराब आ रही है। उत्पाद विभाग एवं पुलिस द्वारा तस्करी कर लाई जा रही शराब जब्त की जा रही है और कारोबारी गिरफ्तार किये जा रहे हैं।
नेपाल में भारतीय मुद्रा की अधिक मांग
यहां उल्लेखनीय है कि नेपाली मुद्रा की तुलना में भारतीय मुद्रा मजबूत स्थिति में है। भारत की एक सौ रुपये की करेंसी नेपाल के 162 रुपये के बराबर है। नतीजा है कि नेपाली भू-भाग में भारतीय करेंसी की अधिक अहमियत और मांग है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें