पटना हाईकोर्ट के वकीलों की मांगें पूरी, अब लौट आएंगे काम पर; फैसले को बताया ऐतिहासिक जीत
पटना हाईकोर्ट के वकीलों की परेशानियों को लेकर समन्वय समिति की वार्ता मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के साथ हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। सो वकीलों का आंदोलन जारी रहेगा।
पटना, जेएनएन। आखिर पटना हाईकोर्ट के वकीलों की मांगों पर सहमति बन गई। पटना हाईकोर्ट के वकीलों की समन्वय समिति और जजों की कमिटी के बीच नए तरीके से मामले को सूचीबद्द करने को लेकर बात हुई। दो दिनों से दोनों समितियों के बीच बात हो रही थी, लेकिन फैसला नहीं हो पा रहा था। बुधवार को एक बार फिर कोशिश हुई और वार्ता सकारात्मक रही। वकील मान गए। अब गुरुवार से वे लोग काम पर लौट आएंगे। फैसले को वकीलों ने इसे ऐतिहासिक जीत बताया है। बता दें कि वकील 7 फरवरी से ही कार्य बहिष्कार पर थे। मंगलवार को हुई बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला था। तब वकीलों ने 17 फरवरी तक कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया था। गौरतलब है कि नए लिस्टिंग सिस्टम से वकीलों के साथ ही न्यायाधीशों को भी सुनवाई करने में परेशानी हो रही थी।
दरअसल, पटना हाईकोर्ट के वकीलों में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि कोर्ट में जो केस दायर किये गए हैं उसकी सुनवाई में अनिश्चितता थी। हाईकोर्ट के डेली काउज लिस्ट में छपने वाले मामले और इंटरनेट के माध्यम से आने वाली सूचना वकीलों को भ्रमित कर रही थी। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह, न्यायाधीश हेमंत कुमार श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश बीरेंद्र कुमार जजों की कमिटी में शामिल थे, जबकि हाईकोर्ट के वकीलों की समन्वय समिति में वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा, लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार ठाकुर, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह मौजूद थे। वहीं उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार दास, महासचिव शैलेन्द्र कुमार सिंह आदि वकीलों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
समन्वय समिति ओर से पुरुषोत्तम कुमार दास ने जानकारी दी कि वकीलों की मांगों को मान लिया गया है। किसी भी वकील को उनके मामले की सुनवाई में कठिनाई नहीं होगी। पहले जिस प्रकार डेली काउज लिस्ट छपती थी, अब उसी पैटर्न पर ही छपेगी। हर वकील को पता चल जाएगा कि किस कोर्ट में उनके मुक़दमे की सुनवाई किस समय होगी। काउज लिस्ट में केवल उन्हीं मुकदमों को छापा जाएगा, जिस पर सुनवाई संभव है। मालूम हो 7 फ़रवरी से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर वकील अदालती कार्य नहीं कर रहे थे।
नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक जज के यहां केवल 100 मुक़दमे ही सूचीबद्द होंगे, ताकि वकील मुक़दमे को लेकर भ्रमित न हो सकें और समय पर सुनवाई हो सके। बचे हुए मामलों की अगले दिन सुनवाई की जाएगी एवं कुछ नए मामले भी सूचीबद्द किये जाएंगे। नए मामलों की फाइलिंग में हो रही परेशानियों को भी दूर करने के लिए नई व्ययस्था अपनाई जाएगी, जिसमें ऑनलाइन और मैन्युअल सिस्टम दोनों काम करेगा। वकील प्रतिनिधियों ने इसे ऐतिहासिक जीत माना है, जिसे जजों ने एक साथ स्वीकार किया है।
कार्य बहिष्कार के ये थे प्रमुख कारण
- दैनिक सूची में प्रकाशित मामले को लेकर भ्रम फैलना
- किस मामले की कब सुनवाई होगी इस बात का पता नहीं चलना
- जजों के बीच मामलों के बंटवारे को लेकर भिन्नता
- सिविल के एक्सपर्ट जज को आपराधिक और क्रिमिनल के एक्सपर्ट जज को सिविल मामले की सुनवाई का कार्य सौंपना जैसे कारणों की वजह से वकील कार्य बहिष्कार कर रहे।