शाह- नीतीश की मुलाकात से NDA को नई धार, गठबंधन की खींचतान का ‘द एंड’
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व मुख्यमंत्री नीतीश कुतार की मुलाकात से एनडीए को नई धार मिली है। इसके साथ गठबंधन की खींचतान का ‘द एंड’ भी माना जा रहा है।
पटना [एसए शाद]। सीटों के बंटवारे और नेतृत्व के सवाल को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही खींचतान के बाद गुरुवार को अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मिशन 2019 का पहला पड़ाव पार करा दिया। इस मुलाकात ने न केवल यह संदेश दिया कि एनडीए एकजुट है, बल्कि इस गठबंधन को एक नई धार भी दी। दोनों नेताओं की केमिस्ट्री से राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर यह संदेश भी गया कि एनडीए एकजुट है और एका बनाने के प्रयास में लगे विपक्षी दलों से कई कदम आगे है। विपक्ष जहां अबतक गठबंधन बनाने को लेकर स्पष्ट नहीं है, एनडीए इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
'हम साथ-साथ' का मिला संदेश
मुलाकात के दौरान हुई बातचीत भले ही सीट बंटवारे के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो, मगर दोनों नेताओं का एक साथ कैमरे के सामने खड़ा होना राजनीतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण था। साफ संदेश था कि भले ही विपक्ष द्वारा एनडीए के घटक दलों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हों और कांग्रेस की ओर से लगातार नीतीश कुमार पर डोरे डाले जा रहे हों, हम साथ-साथ हैं।
अालोचकाें को मिला जवाब
नीतीश कुमार और अमित शाह का एक फ्रेम में साथ-साथ खड़ा होना उन आलोचकों के लिए भी एक जवाब था जो जम्मू-कश्मीर में भाजपा के पीडीपी से अलग होने और आंध्र प्रदेश में टीडीपी एवं महाराष्ट्र में शिवसेना के भाजपा से नाता तोडऩे को एनडीए के लिए खराब शगुन मान रहे थे।
भाजपा को लेकर जदयू में भ्रम नहीं
महागठबंधन से नाता तोड़ भाजपा से नीतीश कुमार के पिछले वर्ष जुलाई में हाथ मिलाने के बाद अमित शाह का यह पहला बिहार दौरा था। इस दौरे ने जहां भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह एवं ऊर्जा का संचार किया, वहीं जदयू में नीचे तक यह संदेश गया कि भाजपा को लेकर पार्टी के अंदर कोई भ्रम नहीं है।
समाजवादियों के बीच एनडीए का ग्राफ बढ़ा
समाजवादी नेताओं में जार्ज फर्नांडीस के बीमार रहने और शरद यादव के राजनीतिक रूप से कमजोर होने के बाद वर्तमान में नीतीश कुमार सबसे अहम नेता हैं। मुलायम सिंह यादव और एचडी देवगौड़ा उम्रदराज हैं। ऐसे में अमित शाह और नीतीश कुमार की यह मुलाकात समाजवादियों के बीच एनडीए का ग्राफ ऊंचा करेगी। बिहार एवं उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं कर्नाटक ऐसे राज्य हैं जहां कुछ-कुछ इलाकों में समाजवादी विचारधारा का असर कायम है।
एक हैं पीएम मोदी व नीतीश कुमार
अपने बिहार दौरे के क्रम में अमित शाह ने 10 घंटे में दो बार नीतीश कुमार से मुलाकात की। इन मुलाकातों ने यह बात भी साफ कर दी कि सीट बंटवारे और नेतृत्व के बीच कोई महत्व नहीं रखती है। ये ऐसे मुद्दे हैं जो लोजपा और रालोसपा को साथ लेकर तय कर लिए जाएंगे। महत्वपूर्ण यह है कि देश की राजनीति में दो बहुत ही लोकप्रिय नेता-नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार, एनडीए की ओर लोगों को आकर्षित करने के लिए एकजुट हैं।