Move to Jagran APP

मिशन 2019: NDA हो या महागठबंधन, प्रत्याशियों को लेकर दोनों के दिग्गज उधेड़बुन में

बिहार के दोनों गठबंधनों में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों का मामला लगभग तय हो चुका है पर दोनों ही गठबंधन अपने प्रत्‍य‍ाशियों को लेकर उधेडबुन में हैं। पढ़ें पड़ताल करती रिपोर्ट

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 09:34 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 10:54 PM (IST)
मिशन 2019: NDA हो या महागठबंधन, प्रत्याशियों को लेकर दोनों के दिग्गज उधेड़बुन में
मिशन 2019: NDA हो या महागठबंधन, प्रत्याशियों को लेकर दोनों के दिग्गज उधेड़बुन में

पटना [सुनील राज]। बिहार के दोनों गठबंधनों में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों का मामला लगभग तय हो चुका है। एनडीए ने तो बाकायदा 17-17 और छह सीटों का ऐलान तक कर दिया है। महागठबंधन में भी सीटों का मसला लगभग तय हो चुका है। हां, इसकी आधिकारिक घोषणा अब तक नहीं हो पाई है। लेकिन सीटों को लेकर कल तक अलग-अलग ध्रुव पर खड़े आ रहे राजनीतिक दलों ने शायद यह आकलन नहीं किया है कि वह कौन से उम्मीदवार होंगे, जिनके सहारे चुनावी वैतरणी को पार करना संभव हो पाएगा। प्रत्याशियों को लेकर दलों के अंदर एक बार फिर उधेड़बुन शुरू हो चुकी है। 

loksabha election banner

वैसे तो जीत के दावे करने का अधिकार सबको है, लेकिन पिछले चुनावी पन्ने जो हकीकत बयां करते हैं, उसके मायने यही हैं कि किसी भी दल के पास इतने प्रत्याशी नहीं थे कि वह उनके सहारे चुनाव मैदान में जीत के दावे कर पाते। आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान लोकसभा में बिहार के जो 40 सांसद हैं, उनमें 10 से अधिक ऐसे सांसद हैं जो दलों को तोहफे के रूप में मिले या फिर पार्टी ने उन्हें ऐन मौके पर टिकट दिया।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो नेताओं का तोहफे में मिलना कोई बड़ी बात नहीं। ऐसी परिपाटी वर्षों से चली आ रही है। ज्यादा पन्ने उलटने की दरकार भी नहीं है। 2014 चुनाव में उस दौरान यह आम धारणा थी कि मोदी लहर है और जो चुनाव में उतरेगा उसकी जीत पक्की है। बावजूद इसके भाजपा ने अपने उम्मीदवार से ज्यादा भरोसा जदयू से सांसद रहे सुशील कुमार सिंह पर दिखाया और उन्हें औरंगाबाद से अपना प्रत्याशी बनाया। सासाराम से भाजपा के सांसद छेदी पासवान भी ऐसे ही प्रत्याशी हैं। 

ऐसे नेताओं में रामकृपाल यादव का नाम भी है। भाजपा ने जिस वक्त रामकृपाल यादव को पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र का टिकट थमाया, वे उस वक्त राजद से राज्यसभा में थे। राजद प्रत्याशी मीसा भारती पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से किस्मत आजमाना चाहती थीं। बात नहीं बनी तो भाजपा ने मौका देख रामकृपाल को अपना उम्मीदवार बना लिया। इसी तरह गोपालगंज के लिए बसपा नेता जनक राम और झंझारपुर से जदयू के वीरेंद्र कुमार चौधरी को टिकट थमाया गया।   

इसी तरह लोक जनशक्ति पार्टी के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि यह दल प्रत्याशियों के मामले में मजबूत है। बावजूद पिछले चुनाव में रामविलास पासवान को चार सीटों पर बाहरी प्रत्याशियों को उतारना पड़ा था। बंटवारे में उन्हें सात सीटें मिली थीं। इनमें से तीन पर रामविलास पासवान, चिराग पासवान और रामचंद्र पासवान उतरे थे। खगडिय़ा सीट पर प्रत्याशी नहीं मिला तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष महबूब अली कैसर को टिकट दिया गया। 

कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं रही। पिछले चुनाव में नालंदा, वाल्मीकिनगर और पटना साहिब से कांग्रेस को प्रत्याशी नहीं मिल रहे थे, तो राजद ने कांग्रेस की मदद की और पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा को नालंदा से और फिल्म अभिनेता कुणाल को पटना साहिब और पूर्व मंत्री पूर्णमासी राम को वाल्मीकिनगर से अपना उम्मीदवार बनवा दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.