'हम' में दो फाड़, रविवार को पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह महासम्मेलन में दिखायेंगे अपनी ताकत
जीतनराम मांझी के राजद के साथ जाने के फैसले से हम दो धड़ों में बंट गया है। एक गुट मांझी के साथ है तो दूसरे गुट की अगुवाई पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह कर रहे हैं।
पटना [जेएनएन]। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी के राजद के साथ जाने के फैसले से पार्टी दो धड़ों में बंट गई है। एक गुट मांझी के साथ है तो दूसरे गुट की अगुवाई पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह कर रहे हैं। नरेंद्र सिंह गुट रविवार को पटना के वीरचंद पटेल पथ स्थित अवर अभियंता संघ भवन में महासम्मेलन करेगा। इसमें पूर्व स्वास्थ्य एवं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह की अगुवाई में हम की अधिकांश जिला ईकाई, दलित और अन्य सभी प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारी इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन के बाद नरेंद्र सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि जीतनराम मांझी के एनडीए छोड़ राजद के साथ गठबंधन करने के फैसले से ज्यादातर कार्यकर्ता और प्रमुख पदाधिकारी नाराज है। उनकी नाराजगी यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने मनमाने तरीके-से यह फैसला क्यों किया? पार्टी कोर कमिटी, प्रदेश कार्यसमिति, प्रदेश एवं जिला के पदाधिकारियों की बैठक बुलाए बगैर अपने मन से इतना बड़ा निर्णय क्यों लिया?
पार्टी के प्रदेश महासचिव धनंजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि जीतनराम मांझी पुत्रमोह में अंधे हो गए हैं। विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित बेटे को राजनीतिक सौदेबाजी कर विधान पार्षद बनाने को बेचैन हैं। इसी बेचैनी में लालू पुत्र तेजस्वी यादव के चरणों में तमाम नीति-सिद्धान्त और अपनी राजनीतिक वजूद का आत्मसमर्पण कर दिया है। जिस लालू प्रसाद और उनके बेटों ने दलित समाज के मुख्यमंत्री को पद से हटाने की साजिश रची, निरंतर दलित नेताओं को कलंकित, अपमानित किया है। इसके सबूत रामसुंदर दास से लेकर कमल पासवान तक थे। उन्हीं के यहां सिर्फ बेटे को एमएलसी बनवाने के लिए समर्पण कतई पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ताओं को स्वीकार्य नहीं है। महासम्मेलन में मांझी के प्रति नाराजगी खुलकर सामने आ जायेगी।
गौरतलब है हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी द्वारा एनडीए छोड़ महागठबंधन के साथ जाने के फैसले के बाद ही अंदरूनी कलह शुरू हो गई थी। कई नेता उनके इस फैसले से सहमत नहीं दिखे। पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह खुल कर मुखालफत कर रहे हैं। नरेंद्र सिंह ने यहां तक घोषणा कर रखा है कि लालू प्रसाद और राजद के साथ किसी भी हाल में कोई समझौता नहीं होगा।
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब बिहार में स्थानीय पार्टी में इस तरह का विवाद सामने आया हो। इससे पहले रालोसपा भी दो गुटों में बंट चुका है। एक गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा हैं तो दूसरे गुट ने अपना अध्यक्ष जहानाबाद सांसद अरूण कुमार को घोषित कर रखा है। हालांकि दोनों गुट एनडीए में बने हुए हैं। वहीं, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा में एक गुट महागठबंधन के साथ है तो दूसरा गुट महागठबंधन के विरोध में।
नरेंद्र सिंह बिहार के दिग्गज नेताअों में एक हैं। 1990 के दौर में सबसे पहले लालू प्रसाद के खिलाफ विद्रोह का बिगुल भी नरेंद्र सिंह ने ही फूंका था। तब वह लालू मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री थे। बाद में जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनवाने और उन्हें बड़े दलित नेता के तौर पर मज़बूत बनाने में उनकी बड़ी भूमिका थी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प हो गया है कि 'हम' पार्टी पर कब्जे को लेकर शुरू हुई जंग में किसे जीत मिलती है। नरेंद्र सिंह की नाराजगी का हम पर कितना असर पड़ता है।