नरेंद्र मोदी के अधिकतर फैसले गैर संवैधानिक !
इंडियन फार एसोसिएशन अॉफ लायर्स (बिहार चैप्टर) के अध्यक्ष एवं वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द वर्मा ने प्रधान मंत्री के एक साल को बेहद निराशाजनक करार दिया।
पटना। इंडियन फार एसोसिएशन अॉफ लायर्स (बिहार चैप्टर) के अध्यक्ष एवं वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द वर्मा ने प्रधान मंत्री के एक साल को बेहद निराशाजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि एक साल में जितने भी फैसले लिए गये उसमें अधिकांश गैर संवैधानिक एवं व्यक्तिगत थे।
ये मंत्रिपरिषद द्वारा लिये गये फैसले नहीं थे। फैसले में संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 का उल्लंघन किया गया। वे बिहार स्टेट वार कौंसिल के ब्रजकिशोर मेमोरियल हाल में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। विषय था 'मोदी सरकार के एक साल के वायदे एवं वास्तविकता।'
वरिष्ठ अधिवक्ता व बिहार स्टेट बार कौंसिल के सदस्य वर्मा ने वकीलों एवं बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कहा कि 14 साल के बच्चे को काम करने की छूट की इजाजत देने का मतलब बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखना है। जबकि बचपन छीनने का हक किसी को नहीं है।
इसका मतलब बच्चों को पढ़ाई के अधिकार से वंचित करना है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि सरकार अपने वायदे पर खरी नहीं उतरी जबकि घोषणा पत्र के आधार पर ही भाजपा सरकार सत्ता में आयी थी। प्रधानमंत्री के कुछ आर्डिनेन्स को भी वकीलों ने गैर संवैधानिक बताया।
संगोष्ठी को छात्र नेता सर्वोदय शर्मा एवं राम बाबू कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल किसान विरोधी एवं आत्मघाती है। उन्होंने विदेश मंत्री के कार्य क्षेत्र का अतिक्रमण कर पीएम के विदेश घूमने की भी अलोचना की। जो काम सुषमा स्वराज का है वह प्रधान मंत्री कर रहे हैं। मंच संचालन भी वरीय अधिवक्ता वर्मा ने की।