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ELECTION : बिहार पर नजर गड़ाए हैं नमो, सोनिया व शरद पवार

अपने खास कारणों से राष्ट्रीय महत्व हासिल कर चुके बिहार विधानसभा चुनाव पर तीन बड़े दिग्गज-नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी और शरद पवार, नजर गड़ाए हैं। तीनों नेताओं की ही अपनी राष्ट्रीय पार्टियां हैं, जो चुनावी मैदान में अलग-अलग गठबंधन बना एक दूसरे से दो-दो हाथ को तैयार हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2015 10:12 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2015 10:21 AM (IST)
ELECTION : बिहार पर नजर गड़ाए हैं नमो, सोनिया व शरद पवार

पटना [एसए शाद]। अपने खास कारणों से राष्ट्रीय महत्व हासिल कर चुके बिहार विधानसभा चुनाव पर तीन बड़े दिग्गज-नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी और शरद पवार, नजर गड़ाए हैं। तीनों नेताओं की ही अपनी राष्ट्रीय पार्टियां हैं, जो चुनावी मैदान में अलग-अलग गठबंधन बना एक दूसरे से दो-दो हाथ को तैयार हैं।

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नई राजनीतिक परिस्थिति को देख यह कहना अब मुश्किल है कि यह चुनाव अब सीधे महागठबंधन और एनडीए की टक्कर का रहेगा। इन गठबंधनों से अलग कुछ छोटे-छोटे दल भी सक्रिय हैं। संयुक्त वाम मोर्चा अलग ताल ठोक रहा है।

दिल्ली चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद बिहार चुनाव पर संपूर्ण देश की नजर टिकी है। यह चुनाव जीएसटी एवं भूमि अधिग्रहण कानून के भविष्य तय करने के अलावा केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी एक प्रकार से जनमत संग्रह होगा। यही कारण है कि एडेलविस फाइनेंसियल सर्विसेज, गोल्डमैन सैक्स जैसे कई अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान भी बिहार चुनाव पर नजर रखे हुए हैं।

पोस्टरों में फिलहाल यह चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बने जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने कर चुनाव लड़ रही एनडीए के बीच दिखता है। एनडीए में लोजपा, रालोसपा एवं हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं। लेकिन, महागठबंधन से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) और समाजवादी पार्टी(सपा) के अलग होने और इनके द्वारा 'थर्ड फ्रंट' बनाने की घोषणा ने राजनीतिक हालात बदल दिए हैं। अब तीन राष्ट्रीय पार्टियां-भाजपा, कांग्रेस और राकांपा, तीन अलग-अलग मोर्चे में शामिल हो एक दूसरे के मुकाबिल खड़ी हैं।

सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, पूर्व मंत्री नागमणि की समरस समाज पार्टी, साधु यादव की गरीब जनता दल (सेक्युलर), अक्षय वर्मा की सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी, संजय वर्मा की नेशनल पीपुल्स पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लमीन(एआइएमआइएम) जैसी छोटी पार्टियां अलग ताल ठोंक रही हैं। मुसलमानों के बीच सियासत करने वाले असदुद्दीन ओवैसी और बिहार के मछुआरों के बीच काम कर रहे अक्षय वर्मा लंदन से पढ़ाई कर राजनीति में आए हैं।

थर्ड फ्रंट में शामिल होने से इन्कार कर चुके वाम दल अपना अलग संयुक्त वाम मोर्चा बनाए हैं। तीनों दलों के शीर्ष नेता-एबी बद्र्धन, सीताराम येचुरी और दीपांकर भट्टाचार्य पिछले दिनों यहां संयुक्त बैठक कर चुके हैं। इनके बीच अब तक जो सहमति बनी है उसके मुताबिक भाकपा (माले) 98, भाकपा 91 और माकपा 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शेष 14 सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इतने दलों के बीच जीत किसी भी गठबंधन की हो या किसी भी छोटे दल को लाभ मिले, लेकिन जीतने वाले राष्ट्रीय दल को दोहरा फायदा होगा। बिहार में सत्ता के साथ उसे राष्ट्रीय स्तर पर नई मजबूती मिलेगी।


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