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होला मोहल्ला पर उमंग व उत्साह के बीच तख्त श्री हरमंदिर से निकला नगर कीर्तन, कई राज्‍यों से पहुंचा सिख जत्‍था

दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी ने रंग-अबीर की जगह होली को वीर सैनिकों का त्योहार होला के रूप में मनाने का संदेश दिया। तब से नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस अवसर पर कंगन घाट व बाललीला गुरुद्वारा में कथा-कीर्तन- प्रवचन के बाद संगतों ने लंगर छका।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Mon, 29 Mar 2021 12:23 PM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 12:23 PM (IST)
होला मोहल्ला पर उमंग व उत्साह के बीच तख्त श्री हरमंदिर से निकला नगर कीर्तन, कई राज्‍यों से पहुंचा सिख जत्‍था
तख्‍त श्री हरमंदिर से निकलती सिख संगत। जागरण

पटना सिटी, जागरण संवाददाता। सिखों के दूसरे बड़े तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब से शौर्य व वीरता का प्रदर्शन करते सोमवार को सिखों ने उमंग और उत्साह के साथ होला-मोहल्ला पर्व मनाया। तख्त श्री हरमंदिर में सुबह में कथा-कीर्तन-प्रवचन के बाद संगतों को शस्त्र दर्शन कराया गया। सिखों ने परंपरागत तरीके से पंज प्‍यारे की अगुवाई में फूलों की बारिश के बीच लगभग दस बजे तख्त श्री हरिमंदिर परिसर से नगर कीर्तन निकाला। होला मोहल्ला में पंजाब, लुधियाना, जालंघर, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मुबंई समेत अन्य स्थानों से आए सिख जत्थाें ने हिस्‍सा लिया।

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गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था सिख मनाएंगे होला 

तख्त श्री हरमंदिर जी के वरीय मीत ग्रंथी ज्ञानी बलदेव सिंह के अरदास व शस्त्र दर्शन कराने के बाद नगर-कीर्तन निकाला गया। तख्त श्री हरिमंदिर के कथावाचक ज्ञानी दलजीत सिंह ने बताया कि वर्ष 1701 को आनंदपुर साहेब में दशमेश गुरु गोविंद सिंह ने आदेश दिया था कि अब से सिख होली नहीं होला मनाएंगे। दशमेश गुरु ने रंग-अबीर की जगह इसे वीर सैनिकों का त्योहार बना दिया।

बैंड बाजे के साथ निकली सिख संगत 

पंज-प्यारे की अगुवाई और बैंड-बाजे के साथ तलवार, भाला व ढाल लिए सिख संगत श्री गोविंद सिंह घाट गई। कंगन घाट गुरुद्वारा में भजन-कीर्तन-प्रवचन हुआ। भाई रजनीश सिंह ने भजन से संगत को निहाल किया। इसके बाद नगर-कीर्तन झाऊगंज गली मार्ग होते अशोक राजपथ से चौक होते मंगल तालाब घूमते हुए नगर-कीर्तन दोपहर लगभग 12.30 बजे बाल लीला गुरुद्वारा पहुंची। जहां हजूरी रागी जत्था रागी कविंद्र सिंह के कीर्तन से संगत निहाल हुई। कथावाचक ज्ञानी सुखदेव सिंह ने होला-मोहल्ला की महत्ता पर प्रकाश डाला। बाबा गुरविंदर सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। बाल-लीला गुरुद्वारा में विशेष लंगर में संगत ने पंगत में बैठ प्रसाद छके। तख्त श्री हरिमंदिर के कथावाचक ज्ञानी दलजीत सिंह ने बताया कि वर्ष 1701 को आनंदपुर साहेब में दशमेश गुरु गोविंद सिंह ने आदेश दिया था कि अब से सिख होली नहीं होला मनाएंगे। दशमेश गुरु ने रंग-अबीर की जगह इसे वीर सैनिकों का त्योहार बना दिया।  

नगर कीर्तन में संगत हुई शामिल

नगर कीर्तन में तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के प्रबंधक सरदार दलजीत सिंह, दिलीप सिंह पटेल, रवीन्द्र पाल सिंह, संयोजक सरदार तेजेंद्र सिंह बग्गा, सरदार इंद्रजीत सिंह बग्गा, सरदार सतनाम बग्गा, सरदार जगजीत सिंह, सरदार प्रेम सिंह, सरदार अमरजीत सिंह समेत अन्य श्रद्धालु शामिल थे। लगभग ढ़ाई बजे दोपहर नगर-कीर्तन तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब पहुंचा।


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