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आखिर कैसे बुलंदियों पर पहुंची मुजफ्फर कांड की मधु, सामने आए कुछ और तथ्‍य

ब्रजेश ने अपने रसूख के बल पर अपनी राजदार मधु को राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी काउंसिल का सदस्य बना दिया था। उसका नाम अभी तक नहीं हटाया गया है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 03:54 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 11:12 PM (IST)
आखिर कैसे बुलंदियों पर पहुंची मुजफ्फर कांड की मधु, सामने आए कुछ और तथ्‍य
आखिर कैसे बुलंदियों पर पहुंची मुजफ्फर कांड की मधु, सामने आए कुछ और तथ्‍य

पटना [अनिल सिंह झा]।  मुजफ्फरपुर कांड की पड़ताल बढऩे के साथ ब्रजेश ठाकुर की सरकारी महकमे में जबरदस्त पैठ की जानकारी मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग और बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी के अफसरों के सहयोग से ब्रजेश ने अपनी राजदार मधु को एड्स एवं एचआइवी के कार्यक्रम एवं नीति बनाने के लिए गठित बिहार राज्य एड्स काउंसिल का सदस्य बनवा दिया था।

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मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली काउंसिल में एक दर्जन से अधिक विभागों के प्रधान सचिव सदस्य हैं। मधु को काउंसिल से हटाने की दिशा में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वह अभी भी काउंसिल की सदस्य बनी हुई है। 

सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह एवं बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी के दो अफसरों के सहयोग से ब्रजेश अपने चहेतों को सदस्य बनवाने में कामयाब रहा। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नैको) के निर्देश पर अक्टूबर 2013 में बिहार राज्य एड्स काउंसिल गठित की गई।प्रत्येक छह माह पर काउंसिल की बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित की जानी थी। हालांकि, आज तक एक बार भी बैठक नहीं हुई। 

मुख्य सचिव काउंसिल के अध्यक्ष बनाए गए। विकास आयुक्त समेत शिक्षा, पंचायती राज, गृह, श्रम संसाधन, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, परिवहन, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास, सूचना एवं जनसंपर्क, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव या सचिव, स्वास्थ्य सेवाएं के निदेशक और बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी के परियोजना निदेशक काउंसिल के सदस्य बनाए गए।

एचआइवी एवं एड्स जागरूकता के क्षेत्र में काम कर रही पांच स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि को भी सदस्य बनाया जाना था। यहीं ब्रजेश की विभाग पर पकड़ काम आई। उसने वामा शक्ति वाहिनी की अध्यक्ष मधु को सदस्य बनवा दिया। उसने दो और स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधियों को भी सदस्य बनवाया। 

एेसे ब्रजेश के संपर्क में आयी थी मधु

मधु तब ब्रजेश के संपर्क में आयी थी जब 2001 में प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी दीपिका सूरी ने मुजफ्फरपुर के रेडलाइट एरिया चतुर्भुज स्थान इलाके में चल रहे देह व्यापार को ‘ऑपरेशन उजाला’ चलाकर खत्म कर  दिया था। अभियान में कई तहखाने मिले, जहां लड़कियों को छुपाकर रखा गया था। मुख्य सरगना के रूप में अनवर मियां का नाम सामने आया।

प्रशिक्षु आइपीएस ने मोहल्ला सुधार समिति का गठन कराया। इसमें ब्रजेश ठाकुर की इंट्री हुई और मधु सहित 12 लोग इसके सदस्य बने।

मधु के हाथ संगठन की कमान

मोहल्ला सुधार समिति की देखरेख में वहां जागरूकता अभियान चलने लगा। सेवा संकल्प विकास समिति सक्रिय हुई। उसके बाद ब्रजेश ठाकुर ने वहां के समुदाय आधारित संगठन वामा शक्ति वाहिनी का गठन कर उसकी कमान मधु को दे दी। संगठन में प्रमुख सहयोगी मधु की बहन माला, कल्लो बेगम आदि महिलाएं काम करने लगीं।

मोहल्ले में बिकने वाली लड़कियों को मुक्त कराना, एचआइवी एड्स के लिए जागरूक करना, इस संगठन ने अपना मुख्य काम बनाया। मधु के माध्यम से ब्रजेश ने वहां पैठ बनाई। बाद में बालिका सुधार गृह खुल गया। जहां लड़कियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ।

नहीं आता था कोई देखने

सेंटर से बच्चियों के खरीद फरोख्त का धंधा भी पर्दे के पीछे चलने की बात दबी जुबान सामने आई। रेडलाइट एरिया में केंद्र खुलने के बाद लोगों में यह चर्चा रही कि यह सबसे सुरक्षित जगह है। पहले बनारस के एक ‘रईस’ कोठे पर आता था। उसके घर पर खुला सेंटर। इस कमाई से मधु ने अपनी जमीन ली और मकान बनाया। मोहल्ले के ही एक लड़के से शादी की। हालांकि, बाद में उससे रिश्ता ठीक-ठाक नहीं रहा।इधर, ब्रजेश ठाकुर जहां भी जाने को कहता मधु वहां जाती।

महिला प्रशिक्षण केंद्र की आड़ में होता था‘खेल’ 

तीन कोठिया स्थित रानी लॉज में यह संस्था वर्षो तक चली। बाद में आनन-फानन इसे बंद कर दिया गया। इस केंद्र की गतिविधियां संदिग्ध होने की वजह से स्थानीय लोगों में इसे लेकर काफी चर्चा थी। यहां न केंद्र का बोर्ड था और न ही संचालित करनेवाली संस्था का। केंद्र के अंदर आने-जानेवाले को लेकर काफी सख्ती बरती जाती। केंद्र के संचालन का जिम्मा भी मधु के जिम्मे था।

हर दिन शाम को ब्रजेश ठाकुर इस केंद्र पर आता था। उसके आते ही यहां की सिक्यूरिटी और कड़ी हो जाती थी। वह यहां काफी देर तक रहता था। स्थानीय लोगों की मानें तो शाम होते ही यहां बड़ी-बड़ी गाड़ियां आकर रुकती थीं। लड़कियां व महिलाएं उसी में सवार होकर चली जाती थीं। सुबह में फिर उन्हीं गाड़ियां से लौटती थीं। संस्था को कई दबंगों व रसूखदारों का समर्थन था, जिसकी वजह से मोहल्ले के लोग चुपचाप रहते थे।


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