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बैरन भई निंदिया, पिया नहीं आए..

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते सात महीने से बंद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 08:42 PM (IST)
बैरन भई निंदिया, पिया नहीं आए..
बैरन भई निंदिया, पिया नहीं आए..

पटना। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते सात महीने से बंद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज बुधवार को भारतीय नृत्य कला मंदिर के बहुद्देशीय परिसर में कलाकारों द्वारा ऑनलाइन हुआ। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय सांस्कृतिक परिषद और बिहार सरकार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 'लोक संगीत' कार्यक्रम की प्रस्तुति परिसर में हुई, लेकिन कोविड-19 को देखते हुए परिसर में दर्शकों की मौजूदगी नहीं थी। दर्शकों के लिए परिसर से ही फेसबुक लाइव के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के क्षेत्रीय निदेशक प्रवीण मोहन सहाय, वरीय अधीक्षक पासपोर्ट के मनोज कुमार रॉय ने किया। प्रवीण मोहन सहाय ने कहा कि होराईज सीरीज के जरिए होने वाले आयोजन सात माह बाद हो रहा है। कोरोना को देखते हुए परिसर में कलाकार फेसबुक के जरिए दर्शकों को आनंदित करने में योगदान दिए हैं। लोक संगीत कार्यक्रम में चार-चांद लगाने के लिए शहर की वरिष्ठ गायिका व संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार की सदस्य डॉ. नीतू कुमारी नूतन ने एक से बढ़कर एक गीतों को पेश कर सांस्कृतिक संध्या को यादगार बना दिया।

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लोकगीतों को सुन आनंद विभोर हुए श्रोता -

नृत्य कला मंदिर के बहुद्देशीय परिसर से ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान गायिका डॉ. नीतू कुमारी नूतन ने नवरात्र को देखते हुए देवी गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर करने के लिए 'जाहू हम जनीति भवानी अइहें अंगना..' गीत को पेश कर सभी का दिल जीता। वही दादरा में 'कवन फुलवा फुलेला लाहालहि..' पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के दौरान गायिका ने झूमर 'बैरन भई निंदिया पिया नहीं आए..' कजरी में 'नदिये-नदिये सासु दहिया रे जमवली' पूर्वी में 'चाहे भैया रहस चाहे जास हो..' बयां कर श्रोताओं का पूरा मनोरंजन कराया। जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे की ओर बढ़ता जा रहा था, एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति का आनंद श्रोता उठाने में लगे थे। गायिका ने छठ गीत 'झूला धीरे से झलावो बनवारी.., कई कोस रोपल हो दीनानाथ.. और छठी मैया अइली अंगनवा हो.. आदि गीत पेश कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। गीतों को जीवंत बनाने में संगत कलाकारों का भी योगदान रहा। संगत कलाकारों में हारमोनियम पर राजन, ढोलक पर भोला और तबले पर राजन ने उम्दा प्रस्तुति दी।


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