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बिहार में शीघ्र बजेगी नगर निकाय चुनाव की डुगडुगी, राज्य निर्वाचन आयोग ने मांगी जनसंख्या रिपोर्ट

नव निर्वाचित जिला परिषद अध्यक्ष उपाध्यक्ष प्रमुख और उप प्रमुख भी जिम्मेदारी की बागडोर थाम लिया है। इसी के साथ राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर राज्य के कुल 262 नगर निकायों से संबंधित जानकारी तलब की है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 02 Jan 2022 08:28 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jan 2022 08:28 PM (IST)
बिहार में शीघ्र बजेगी नगर निकाय चुनाव की डुगडुगी, राज्य निर्वाचन आयोग ने मांगी जनसंख्या रिपोर्ट
बिहार में नगर निकाय चुनाव जल्द हो सकते हैं। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत और ग्राम कचहरियों के चुनाव का सिलसिला सोमवार को शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही थम जाएगा। नव निर्वाचित जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रमुख और उप प्रमुख भी जिम्मेदारी की बागडोर थाम लिया है। इसी के साथ  राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर राज्य के कुल 262 नगर निकायों से संबंधित जानकारी तलब की है। आयोग ने इनमें 19 को नगर निगम, 89 नगर परिषद और 154 नगर पंचायत क्षेत्र से संबंधित रिपोर्ट को शामिल करने का निर्देश दिया है।

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दरअसल, जिलों से रिपोर्ट मिलने के साथ ही आयोग नगर निकायों के चुनाव की तैयारियां तेज कर देगा। जिलों से नवगठित, उत्क्रमित और सीमा विस्तारित नगर निकायों की जनसंख्या का आंकड़ा मांगा है। पंचायत आम चुनाव के पहले ही सरकार द्वारा 325 ग्राम पंचायतों का अस्तित्व समाप्त करते हुए उनको नगर निकाय क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। अब नवगठित नगर निकायों में भी पहली बार आम चुनाव कराया जाना है। इससे पहले नवगठित नगर निकायों में वार्डों के गठन की औपचारिकता पूरी की जानी है।

12 नगर निकायों के क्षेत्र का विस्तार

पंचायत आम चुनाव के ठीक पहले राज्य सरकार ने 109 नए नगर पंचायतों, आठ नए नगर परिषदों, 32 नगर पंचायतों को उत्क्रमित करते हुए नगर परिषद क्षेत्र घोषित करना, पांच नगर परिषदों को उत्क्रमित करते हुए नगर निगम क्षेत्र घोषित किया गया। 12 नगर निकायों के क्षेत्र का विस्तार किया गया था। इसका परिणाम है कि पंचायत चुनाव के समय आयोग को 315 ग्राम पंचायतों के अस्तित्व को समाप्त कर नए सिरे से पंचायत आम चुनाव कराया था। इसमें 262 ग्राम पंचायतों का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था जबकि 53 ग्राम पंचायतों का विलय इसलिए किया गया कि वहां की आबादी तीन हजार से कम रह गई थी।

186 ग्राम पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित

नगर निकायों के गठित होने के कारण 186 ग्राम पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुई थी। नवगठित नगरपालिका क्षेत्रों के गठन के परिणाम स्वरूप बेतिया सदर प्रखंड की सभी ग्राम पंचायतों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया था। बेतिया सदर प्रखंड राज्य का पहला ऐसा प्रखंड हैं जिसके अंतर्गत एक भी ग्राम पंचायत नहीं है। जिलाधिकारियों से नवगठित नगर निकायों की जनसंख्या की रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग द्वारा उन नगर निकायों में वार्डों के गठन करने की कार्रवाई करेगा। अभी इन नगर निकायों में वार्डों का गठन नहीं किया गया है।


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