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शाह-नीतीश मुलाकात पर विपक्ष की नजर, इसके बाद तय होगी बिहार की राजनीति

भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह तथा जदयू सुप्रीमो व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात 12 जुलाई को हो रही है। इसपर विपक्षी महागठबंधन की नजर है। मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति तय होगी।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 09:21 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 09:43 PM (IST)
शाह-नीतीश मुलाकात पर विपक्ष की नजर, इसके बाद तय होगी बिहार की राजनीति
शाह-नीतीश मुलाकात पर विपक्ष की नजर, इसके बाद तय होगी बिहार की राजनीति

पटना [राज्य ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों में मतभेद की खबरों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) सुप्रीमो व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात 12 जुलाई को हो रही है।

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पटना में होने वाली इस शीर्ष स्तर की मुलाकात पर विपक्षी महागठबंधन की कड़ी नजर है। बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद अमित शाह पहली बार पटना आए हैं। दोनों नेता जब एक साथ बैठेंगे तो कई तरह के मुद्दों पर विमर्श होगा, जिनके आधार पर बिहार की राजनीतिक लाइन भी तय होगी।

भाजपा-जदयू की रणनीति के मुताबिक राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के बीच भी बहुत कुछ तय होने वाला है। अभी दोनों तरफ का मुख्य मुद्दा सीटों का बंटवारा है।

राजग में झगड़े से महागठबंधन में उत्‍साह

राजग के घटक दलों में सीट बंटवारे को लेकर संभावित झगड़े को लेकर राजद-कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं। उनकी सबसे ज्यादा उम्मीद रालोसपा प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से है, जो अभी विदेश दौरे पर हैं और अमित शाह के पटना में रहने तक वह बिहार में मौजूद नहीं रहेंगे।

कुशवाहा और पासवान को लेकर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भविष्यवाणी भी कर दी है कि दोनों महागठबंधन में शामिल होने वाले हैं। बातचीत हो चुकी है। हालांकि, रघुवंश के बयान को पासवान ने खारिज कर दिया है। फिर भी राजद-कांग्रेस का उत्साह कम नहीं है।

जदयू को ले महागठबंधन का स्‍टैंड साफ

जहां तक जदयू की बात है, प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति खुलकर आस्था का इजहार किया था। लेकिन, अब कांग्रेस ने अपना स्‍टैंड साफ कर दिया है कि वह जदयू का महागठबंधन में स्‍वागत नहीं करती।

उधर राजद ने पहले से ही जदयू से किनारा कर लिया है। लेकिन, पल-पल बदलते रालनीति के रंग के बीच आगे क्‍या होगा, कहा नहीं जा सकता। बहुत कुछ अमित शाह की नीतीश कुमार की मुलाकात पर निर्भर करता है।

कुश्‍वाहा से राजद की उम्‍मीद

राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव आलोक मेहता के मुताबिक इस बार जदयू और भाजपा का सैद्धांतिक तालमेल नहीं है। भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ तानाशाही व्यवहार करती रहेगी तो किसी को हाशिये पर जाना स्वीकार नहीं होगा। कुशवाहा हों या पासवान सबका अलग अस्तित्व है।

कुशवाहा से राजद ने कुछ ज्यादा ही उम्मीदें पाल रखी हैं, क्योंकि एम्स में इलाजरत लालू प्रसाद से मिलने में उन्होंने संकोच नहीं किया था, लेकिन राजग के घटक दलों की पटना में आयोजित इफ्तार पार्टियों से दूरी बना ली थी।


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