जहाज को किनारे नहीं, समुद्र में उतारने की जरूरत : गौर गोपाल दास
शुक्रवार का दिन छात्र-छात्राओं के लिए बेहद खास रहा।
पटना। शुक्रवार का दिन छात्र-छात्राओं के लिए बेहद खास रहा। आरकेड बिजनेस कॉलेज की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर एवं आध्यात्मिक गुरु गौर गोपाल दास पटना के रवींद्र भवन में छात्र-छात्राओं से मुखातिब थे। गुरु गोपाल दास को सुनने के लिए कॉलेज की छात्र-छात्राएं बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे।
कार्यक्रम का उद्घाटन पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जीसीआर जायसवाल और आरकेड बिजनेस कॉलेज के निदेशक आशीष आदर्श ने किया। समारोह के दौरान कुलपति ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी हैं। कॉलेज की ओर से ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहे हैं। इससे छात्रों को सही दिशा में काम करने की प्रेरणा मिलती है। संस्थान के निदेशक आशीष आदर्श ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ और शॉल देकर उनका सम्मान बढ़ाया। समारोह के दौरान जैसे ही मंच पर गौर गोपाल दास आसीन हुए सभागार में बैठे छात्र-छात्राओं की टोली ने खड़े होकर तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया।
सफलता की अलग-अलग होती है परिभाषा -
छात्र-छात्राओं से मुखातिब गुरु गोपाल दास ने कहा कि दूसरी बार पटना आने का अवसर मिला है। उन्होंने बिहार की भाषा और लोक संस्कृति के बारे में कहा कि यहां की भाषा बहुत प्यारी है। भाषा में मिठास होने के साथ अपनापन बहुत है। सफलता की बात पर फोकस करते हुए कहा कि सफलता की परिभाषा समय और स्थिति के अनुसार बदल जाती है। स्कूल में बेहतर अंक आना बच्चों के लिए सबसे बड़ी सफलता होती है। वही अच्छे कॉलेज में प्रवेश पाना और फिर वहां से कागज की डिग्री लेना छात्रों के लिए सबसे बड़ी सफलता होती है। डिग्री लेने के बाद अच्छी नौकरी और फिर नौकरी में प्रमोशन को लोग सफलता मान बैठते हैं। नौकरी मिलने के बाद स्कूल और कॉलेज में ली गई शिक्षा का फिर कोई मोल नहीं रह जाता। सफलता का मूल मंत्र आर्थिक उन्नति रह जाती है। ज्यादा से ज्यादा पैसे हमारे पास हो, इसके लिए लोग किसी भी हद तक अपने आप को गिराने से बाज नहीं आते। उन्होंने कहा कि पैसे के लिए भागदौड़ भरी जिदंगी में साथ क्या रह जाता है। जिसके लिए इतने पैसे कमाते हैं वह भी समय आने पर आपका साथ छोड़ देता है। ऐसे दौर में सफलता की परिभाषा बदल जाती है। उपर उठने का सपना सभी देखते हैं लेकिन उपर वही उठता है जिसमें साहस और सामर्थ्य होता है। हर इंसान के अंदर अलग-अलग क्षमताएं हैं, उस क्षमता को सही दिशा देने की जरूरत है।
दूसरों को देखने से अच्छा है अपने अंदर देखें -
गोपाल दास ने कहा कि बचपन से ही घर, परिवार और समाज के लोग दूसरों की उपमा देते हैं। दूसरों को देखने में आधी जिदंगी गुजर जाती है। इन भावों से दूर रहने की जरूरत है। दूसरों से अपनी तुलना न करें। अपने आप पर ध्यान दें तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा बच्चों में अवसाद पैदा कर रही है। सबके भीतर हनुमान हैं। उस हनुमान की शक्ति को जागृत करने के लिए जामवंत की जरूरत है। हर इंसान को अपनी पराजय स्वीकार करने की क्षमता को विकसित करने की जरूरत है। जहाज को किनारे नहीं, समुद्र में उतारने की जरूरत है। गलती करने से मत डरो, क्योंकि गलती से इंसान सबक लेकर आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि आइसक्रीम की तरह जिंदगी मत जीओ, जीना है तो मोमबत्ती की तरह जीना सीखो जो पिघल कर भी दूसरों को प्रकाश देती है।