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बिहार के समस्तीपुर में भूमि विवाद के सर्वाधिक मामले, विभाग ने मासिक रिपोर्ट की तलब

Land News Bihar पिछले दिनों गृह विभाग ने भूमि विवाद से जुड़े मामलों को लेकर समीक्षा बैठक की। इसमें गृह विभाग के सचिव के सेंथिल कुमार व जितेंद्र श्रीवास्तव के साथ एडीजी पुलिस मुख्यालय जेएस गंगवार समेत कई वरीय अधिकारी शामिल थे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:12 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:12 PM (IST)
बिहार के समस्तीपुर में भूमि विवाद के सर्वाधिक मामले, विभाग ने मासिक रिपोर्ट की तलब
बिहार में भूमि विवाद के मामलों को लेकर विभाग सख्त हो गया है। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: भूमि विवाद निबटारे से संबंधित मामलों का निष्पादन सुस्त होने पर गृह विभाग ने आपत्ति जताई है। विभाग ने इसमें तेजी लाने का निर्देश देते हुए कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर के दौरान भी निर्गत एसओपी का अनुपालन करते हुए भूमि विवाद से जुड़ी बैठक जारी रखने को कहा है। पिछले दिनों गृह विभाग ने भूमि विवाद से जुड़े मामलों को लेकर समीक्षा बैठक की। इसमें गृह विभाग के सचिव के सेंथिल कुमार व जितेंद्र श्रीवास्तव के साथ एडीजी पुलिस मुख्यालय जेएस गंगवार समेत कई वरीय अधिकारी शामिल थे। इसमें अधिकारियों ने बताया कि समाज सुधार अभियान के दौरान समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी भूमि विवाद निष्पादन संबंधी बैठकों के नियमित व प्रभावी निष्पादन न होने पर असंतोष जताया है। ऐसे में इस दिशा में अविलंब सुधार लाया जाए। इसके पूर्व विभाग ने सभी जिलों के एसपी को दिसंबर माह में भी थाना और अनुमंडल स्तर पर बैठकों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया था।

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समस्तीपुर में भूमि विवाद के सर्वाधिक मामले

समीक्षा के क्रम में पाया गया कि समस्तीपुर जिले में भूमि विवाद के मामले सबसे अधिक संख्या में मिले हैं। इसके अलावा गृह विभाग ने उन सभी जिलों की रिपोर्ट तलब की है, जहां 75 फीसद से कम बैठक आयोजित की गई है। इन सभी जिलों को बैठक आयोजित करने के लिए हर माह पत्र प्रेषित करने को भी कहा गया। इसके अलावा अगले पूरे सप्ताह भूमि विवाद से संबंधित मामलों के निष्पादन की कार्रवाई करने को कहा गया है। 

जमीन कब्जा करने वाले जाएंगे जेल

इधर, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि लोकभूमि पर कब्जा करने वालों को सीधे जेल भेजें। आदेश उन शिकायतों के संदर्भ में दिया है, जिसमें अतिक्रमण मुक्त होने के बाद उस जमीन पर दोबारा कब्जा कर लिया जाता है। बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम में संशोधन के बाद अतिक्रमणकारियों को अधिकतम एक साल की सजा देने का प्रविधान कर दिया गया है। 


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