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AES: डेढ़ दशक में हजार मासूमों को लील चुकी ये बीमारी, जानिए कोरोना काल में क्या है तैयारी...

उत्‍तर बिहार में हर साल गर्मियों में चमकी बुखार की बीमारी कहर ढ़ाती है। इस साल कोरोना संक्रमण के बीच इसने फिर दस्‍तक दे दी है लेकिन सरकार ने पूरी तैयारियाें का दावा किया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 03:26 PM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 06:25 PM (IST)
AES: डेढ़ दशक में हजार मासूमों को लील चुकी ये बीमारी, जानिए कोरोना काल में क्या है तैयारी...
AES: डेढ़ दशक में हजार मासूमों को लील चुकी ये बीमारी, जानिए कोरोना काल में क्या है तैयारी...

पटना, जागरण टीम। बिहार में, खास कर उत्तर बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) अर्थात् चमकी-बुखार (Chamaki Fever) की बीमारी गर्मियों में मासूमों की मौत का कहर बनकर आती है। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो बीते साल मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) में इससे 167 बच्‍चों की मौत हुई थी। इनमें अकेले मुजफ्फरपुर के 111 बच्‍चे शामिल थे। गैर सरकारी आंकड़ों पर विश्‍वास करें तो इस बीमारी के कारण डेढ़ दशक में हजार मासूमों को जान गई है। स्थिति से निबटने के लिए सरकार ने पहले से तैयारी तो की है, लेकिन कोरोना (CoronaVirus) संक्रमण के वर्तमान दौर में यह स्‍वास्‍थ्‍य विभाग (Department of Health) के लिए अग्निपरीक्षा (Acid Test) की स्थिति है।

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गर्मी की आहट के साथ शुरू हो गई बीमारी, होने लगी मौत

इस साल बिहार में चमकी बुखार का पहला शिकार मुजफ्फरपुर के सकरा के बाड़ा बुजुर्ग गांव के मुन्ना राम का साढ़े तीन साल का बेटा आदित्य कुमार था। एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्‍यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि यह मुजफ्फरपुर में इस बीमारी का पहला मामला था। एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही के अनुसार वैसे तो चमकी बुखार के मामले इक्के-दुक्के हमेशा आते ही रहते हैं, लेकिन पिछले साल जून-जुलाई के बाद यह पहली मौत थी।

चमकी बुखार: कारण व लक्षण

बड़ा सवाल यह है कि चमकी बुखार और इसके कारण क्‍या हैं?  शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण शाह कहते हैं कि एईएस (AES) या चमकी बुखार को बीमारी का छाता (Umbrella of Diseases) कह सकते हैं। इसके लक्षण जैसी कई बीमारियां होती हैं। इसका कारण अभी तक पता नहीं। इस बीमारी पर शोध करने वाले एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी कहते हैं कि इसके मुख्य कारण गर्मी, नमी व कुपोषण सामने आए हैं। जब गर्मी 36 से 40 डिग्री व नमी 70 से 80 फीसद के बीच हो तो इसका कहर शुरू होता है। बीमारी का लक्षण तेज बुखार व चमकी आना है, इसलए इसे चमकी बुखार कहते हैं। इसमें बच्चा देखते-देखते बेहोश हो जाता है। उत्तर बिहार में 15 अप्रैल से 30 जून तक इसका प्रकोप ज्यादा रहता है।

पिछले साल एसकेएमसीएच में 167 की मौत

मुजफ्फरपुर का एसकेएमसीएच चमकी बुखार का बैरोमीटर है। उत्तर बिहार में इस बीमारी के इलाज के इस सबसे बड़े केंद्र में मौतें भी सर्वाधिक होती हैं। यहां बीते साल राज्‍य के राज्‍य के 10 जिलों मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण, सीतामढ़ी, वैशाली, शिवहर, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगुसराय, दरभंगा व सुपौल तथा पड़ोसी देश नेपाल से 610 मरीज आकर इलाज कराने पहुंचे थे। उनमें 443 स्‍वस्‍थ हो गए, लेकिन 167 की मौत हो गई। पूरे राज्‍य की बात करें तो मौत का आंकड़ा करीब दो सौ रहा था।

एसकेएमसीएस के अलावा मुजफ्फरपर के केजरीवाल अस्‍पताल में भी बड़ी संख्‍या में मरीज आते हैं। राज्‍य के अधिकांश मामले इन्‍हीं दो अस्‍पतालों में आते हैं। हालांकि, इलाज की व्‍यवस्‍था अन्‍य बड़े अस्‍पतालों में भी की जाती है। इक्‍के-दुक्‍के मरीज वहां भी जाते हैं।

2014 के पहले सालाना होती थी दो से ढ़ाई सौ मौतें

दरअसल, पहले इस बीमारी से सालाना दो से ढ़ाई सौ मासूमों की जान जाती थी, लेकिन साल 2014 के बाद इसपर नियंत्रण पाने में सफलता मिली। इसके पीछे बीमारी के हॉट-स्‍पॉट इलाकों में जन-जागरूकता फैलाना रहा। बीते साल आंगनबाड़ी सेविकाओं और आशा कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव की ड्यूटी पर लगाने के कारण जागरूकता अभियान प्रभावित हुआ था। कुछ लोग साल 2019 में मौत के आंकड़ों में उछाल को इससे जोड़कर देखते हैं। इस साल पहले से ही आंगनबाड़ी सेविकाओं व आशा कार्यकर्ताओं को जमीनी स्‍तर पर काम पर लगा दिया गया है।

बीमारी पर नियंत्रण को ले दो फ्रंट पर हो रहा काम

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग चमकी बुखार पर नियंत्रण काे लेकर दो फ्रंट पर काम कर रहा है। पहला- लोगों को जागरूक कर बीमारी के फैलाव पर काबू पाना और दूसरा- बीमारी हो जाने की स्थिति में समय रहते प्रभावी इलाज कर मौत को रोकना। इसके लिए गांव से लेकर अस्‍पताल तक हर स्‍तर पर काम चल रहा है।

बीमारी का गरीबी, कुपोषण व गंदगी से दिखा रिश्‍ता

चमकी बुखार के 95 फीसद से अधिक मामले गरीब तबके के बच्चों में मिले हैं। इसका गरीबी, कुपोषण व गंदगी से रिश्‍ता देखा गया है। अधिकांश पीडि़त बच्‍चे रात में खाली पेट सोने वाले  रहे हैं। मतलब यह कि अगर सरकार की कल्‍याणकारी योजनाएं धरातल पर उतार कर कुपोषण की समस्‍या दूर कर दी जाए तथा लोगों को स्‍वच्‍छ व सुरक्षित वातवरण में रहने को लेकर जागरूक किया जाए तो बीमारी पर आधा नियंत्रण किया जा सकता है। यह काम जारी है। जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह बताते हैं कि बीमारी से प्रभाव क्षेत्र के 169 गांवों को अधिकारियों ने गोद लिया है। संबंधित अधिकारी वहां जागरूकता के साथ गरीबों को मिलने वाले सरकारी योजनाओ के लाभ की भी पड़ताल कर रहे हैं। जिलाधिकारी गांवों से लेकर अस्‍पतालों तक हर स्तर पर सजगता का दावा करते हैं।

जमीनी स्‍तर पर चलाया जा रहा जागरूकता अभियान

जमीनी स्‍तर पर चलाए जा रहे इस जागरूकता अभियान में आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका, आशा कार्यकर्ता तथा विकास मित्र घर-घर घूम रहे हैं। हर आंगनबाड़ी केंद्र पर कोर कमेटी गठित की गई है। पर्याप्त मात्रा में ओआरएस व पैरासिटामोल दवाएं उपलब्ध करायी गई हैं। पंचायत स्तर पर वाट्सऐप ग्रुुप भी बनाए गए हैं। बीमार बच्‍चे को तत्‍काल अस्‍पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस तथा इसके नहीं रहने पर स्‍थानीय स्‍तर पर गाड़ी की भी व्‍यवस्‍था की गई है। इन तैयारियों का ही असर है कि हाल में मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के एक बीमार बच्‍चे को आंगनबाडी सेविकाओं ने तुरंत अस्पताल पहुंचा कर उसकी जान बचा ली। डीएम डॉ.चंद्रशेखर सिंह ने उनकी हौसला आफजाई की थी।

प्राथमिकता बीमारी से बचाव की, इलाज की भी पूरी व्‍यवस्‍था

प्राथमिकता बीमारी से बचाव की है, लेकिन इलाज की भी पूरी व्‍यवस्‍था की गई है। एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. सुनील शाही तैयारियों को संतोषजनक मानते हैं। बताते हैं कि इलाज के लिए विशेष वार्ड काम कर रहा है। प्रोटोकॉल के साथ इलाज चल रहा है। कहते हैं कि कोरोना के कारण पीकू वार्ड (Paediatric Intensive Care Units) के निर्माण में विलंब हुआ, लेकिन वह भी जल्‍द ही तैयार हो जाएगा। जरूरी दवाएं व संसाधन की कमी नहीं। एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्‍यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी भी तैयारियों को लेकर संतोष जताते हैं।

रिस्क लेने के मूड में नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

इस बीच बीमारी की दस्‍तक के बाद मुख्यमंत्री (CM) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं। उन्‍होंने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारियों को इलाज की तैयारियों के साथ बीमारी की रोकथाम के लिए चिह्नित पॉकेट्स में जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया है। एसकेएमसीएच में पीकू (PICU) में सौ बेड की व्‍यवस्‍था को लेकर भी उन्‍होंने निर्देश दिया है।

हर सहायता काे तैयार केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय

चमकी बुखार की दस्‍तक के बाद केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Dr. Harsh Vardhan) ने भी राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय तथा स्‍वास्‍थ्‍य विभाग व प्रशासनिक अघिकारियों के साथ वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग कर स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री अश्विनी चौबे भी उपस्थित रहे। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्थिति पर उनकी नजर है तथा वे राज्य सरकार से लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने राज्‍य सरकार को स्थिति पर नजर रखने तथा समय रहते रोकथाम को ले कदम उठाने को कहा तथा केंद्र की तरफ से मदद का आश्‍वासन दिया है।

(इनपुट: अमरेंद्र तिवारी, मुजफ्फरपुर)


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