Corona Virus पैरोल पर छोड़े जा सकते हैं बेउर के 450 से अधिक कैदी, बनाई गई विशेष कमेटी
कोरोना के फैलाव को देखते हुए जेल में भीड़ कम करने की कवायद शुरू हो गई है। इसके तहत सात साल की सजा काट चुके बेउर जेल के 450 कैदियों को रिहा किया जा सकता है।
पटना, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने व जेलों में फिजिकल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए कैदियों की भीड़ को कम करने की कवायद शुरू कर दी गई है। सर्वोच्च न्यायालय से जेलों में भीड़ कम करने हेतु सात वर्ष से अधिक की सजा काट चुके कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का संकेत मिलते ही सूबे की जेलों में भीड़ कम करने की कवायद शुरू हो गई है।
कमेटी छोड़ने का निर्णय लेगी
कारा मुख्यालय के स्तर पर इसके लिए विशेष कमेटी बना दी गई है। यह कमेटी जेलों में बंद सजावार कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का निर्णय लेगी। सभी जेलों के प्रबंधन को ऐसे कैदियों की सूची बनाने को कहा गया है। सूत्रों की मानें तो सात वर्ष से अधिक की सजा काट चुके कैदियों की संख्या 450 से अधिक हो सकती है। बेउर जेल में फिलहाल 4500 से अधिक कैदी बंद हैं। कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए किसी भी जेल में अधिक भीड़ नहीं होना चाहिए। भीड़ कम रहने से फिजिकल डिस्टेंसिंग को मेंटेन किया जा सकता है।
आदर्श केंद्रीय कारा ही नहीं राज्य की तमाम जेलों में ओवर क्राउडर स्थिति है। बेउर जेल में भी क्षमता से अधिक कैदी हैं। इस जेल में सजावार कैदियों की संख्या तो मुश्किल से 1300-1400 है परंतु विचाराधीन कैदियों की संख्या अधिक है। 4600 कैदियों में 3200 से अधिक विचाराधीन हैं। बेउर की क्षमता भी 3000 से 3200 कैदियों के रखने की है। सात से दस साल तक सजा काट चुके कैदियों को अगर पैरोल पर छोड़ा जाएगा तो जेल में फिजिकल डिस्टेंसिंग को काफी हद तक मेंटेन किया जा सकता है।
बेउर जेल में सात और दस साल की सजा काट चुके कैदियों की सूची लगभग तैयार है। गृह विभाग से अधिसूचना जारी होते ही इन्हें रिहा कर दिया जाएगा। हालांकि पैरोल पर रिहा होने में कैदियों के लिए स्थानीय थाने की रिपोर्ट व जेल में उनका व्यवहार कैसा रहा है, यह महत्वपूर्ण होगा। जो कैदी जेल में रहकर भी बाहर अपराध संचालित करवाने में संलिप्त रहे हैं उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा।
जेल से कैदी स्वजनों से कर सकेंगे आसानी से बात
जेल प्रशासन ने कैदियों से मुलाकात की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। अब जेल मैन्युअल के अनुसार कैदियों को अपने स्वजनों से बात करने के लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि कैदियों के परिजनों के नंबर की पुष्टि अब थानेदार नहीं बल्कि जेल सेवा के प्रोबेशन ऑफिसर करेंगे। कोरोना संकट को देखते हुए फिलहाल कैदियों की परिजनों से मुलाकात पर रोक है। इसके विकल्प के रूप में जेल प्रशासन ने ई मुलाकात यानी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए मुलाकात की व्यवस्था की है। इसके अलावा परिजनों की कैदियों से फोन पर बातचीत भी संभव होगी।
बंदियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए 31 मार्च तक बंदी मुलाकात पर रोक थी। वायरस का खतरा अभी टला नहीं है। इस कारण यह अभी जारी रहेगी। वहीं, परिवार के लोग भी हालचाल लेने को परेशान थे। इसके समाधान के रूप में जेल आइजी मिथिलेश मिश्र ने सभी कारा अधीक्षकों को ई- मुलाकात और टेलीफोन बूथ की व्यवस्था के निर्देश दिए थे। जिसके बाद इस नई व्यवस्था को लागू कर दिया गया है।