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राजभवन की बगिया में 27 प्रजाति के 350 से अधिक आम के पेड़

राजभवन के उद्यान विज्ञानी डा. दिवाकर चटर्जी का कहना है कि यहां पर देश के कोने-कोने से उन्नत प्रजाति के आमों का संग्रह किया जाता है। स्थानीय प्रजाति के आमों को भी संरक्षण दिया जा रहा है। स्थानीय आमों में दीघा मालदह पहली पसंद है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 02:14 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 02:14 AM (IST)
राजभवन की बगिया में 27 प्रजाति के 350 से अधिक आम के पेड़
राजभवन की बगिया में 27 प्रजाति के 350 से अधिक आम के पेड़

नीरज कुमार, पटना। देश की उन्नत किस्मों के आम राजभवन की शोभा बढ़ा रहे हैं। यहां पर उत्तर प्रदेश के चौसा, दशहरी, गुजरात के केशर, महाराष्ट्र के अल्फांसो, बंगाल के कृष्णभोग के अलावा दक्षिण भारत के नीलम एवं बैगनपल्ली के पेड़ फलों से लदे हैं। इसके साथ-साथ स्थानीय आमों में दीघा का मालदह, सीपिया, शुकुल, प्रभाशंकर, महमूद बहार, सुन्दर लंगड़ा, अलफजली, सवरी, जवाहर, हिमसागर, जर्दा, जर्दालु, आम्रपाली, मल्लिका, रत्ना, मजीरा आदि किस्म के आम राजभवन में मौजूद हैं। वर्तमान में यहां पर 27 प्रजाति के 350 से अधिक पेड़ हैं।

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राजभवन के उद्यान विज्ञानी डा. दिवाकर चटर्जी का कहना है कि यहां पर देश के कोने-कोने से उन्नत प्रजाति के आमों का संग्रह किया जाता है। स्थानीय प्रजाति के आमों को भी संरक्षण दिया जा रहा है। स्थानीय आमों में दीघा मालदह पहली पसंद है।

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एक ही पेड़ में नीचे मालदह,

ऊपर सीपिया

राजभवन में एक ऐसा भी पेड़ है, जिस पर नीचे मालदह एवं ऊपर सीपिया आम फला है। यह काफी पुराना पेड़ है। विशेषज्ञ जेके वर्मन का कहना है कि यह एक प्रयोग है। यहां पर एक ही पेड़ में नीचे मालदह, बीच में आम्रपाली एवं ऊपर सीपिया का फल लेने का विचार था लेकिन आम्रपाली का फल नहीं आ सका। मालदह एवं सीपिया का फल बेहतर आ रहा है।

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राजभवन की बगिया में गोबर की खाद व नीम की खल्ली

राजभवन की बगिया में रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। सड़े गोबर की खाद और नीम की खल्ली डाली जाती है। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और फल भी अच्छे आते हैं। उद्यान विज्ञानी डा. चटर्जी का कहना है कि आम के बगीचे का सही प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसके लिए समय-समय पर जोताई की जरूरत होती है।


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