Monsoon In Bihar: बिहार में इस बार देर से होगी मानसून की एंट्री, जानिए क्या है इसकी वजह
Monsoon In Bihar बिहार में इस बार मानसून की एंट्री देर से होगी। मानसून की बारिश के लिए लोगों को इंतजार करना होगा। केरल तट पर मानसून टकराने की तिथि में 27 मई तक है। लेकिन फिलहाल वहां ऐसी स्थिति नहीं बन पाई है।
जागरण संवाददाता, पटना । प्रदेश में मानसून को लेकर अभी थोड़ा इंतजार करना होगा। इस बार प्रदेश में मानसून के आने में तीन से चार दिनों की देरी होगी। मौसम विज्ञानी की मानें तो केरल में मानसून सही समय पर नहीं पहुंचा है। केरल तट पर मानसून टकराने की तिथि 27 मई है, लेकिन अभी इस प्रकार की कोई संभावना नहीं बन रही है। वहां पर 28-29 मई तक मानसून आ सकता है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक मानसून के लिए फिलहाल अनुकूल परिस्थिति नहीं बनने से बिहार के मौसमी सिस्टम पर इसका असर पड़ेगा। ऐसे में इस बार मानसून आने में थोड़ा विलंब होगा। बिहार में मानसून को लेकर 13-15 जून के बीच समय निर्धारित है। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में नौतपा का असर नहीं होने से सामान्य बारिश होने का पूर्वानुमान है।
पटना के बाद पूर्णिया में लगेगा डाप्लर रडार
पटना के मौसम विज्ञान केंद्र की तर्ज पर पूर्णिया में प्रदेश का दूसरा डाप्लर रडार लगेगा। इससे सीमांचल सहित राज्य के मौसमी गतिविधियों को लेकर सटीक जानकारी मिलेगी। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के निदेशक विवेक सिन्हा की मानें तो उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की पहल पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसकी सहमति दे दी है। निदेशक ने बताया कि डाप्लर सिस्टम स्थापित करने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। पूर्णिया में दूसरा डाप्लर सिस्टम स्थापित होने से बंगाल की खाड़ी के समीप होने वाले मौसमी गतिविधियों के बारे में मौसम विज्ञान केंद्र पटना को सटीक जानकारी मिलेगी। रडार स्थापित होने से चक्रवाती तूफान और बारिश की गतिविधियों की जानकारी समय पर मिलते रहेगी।
गुरुवार को निफ्ट पटना में आयोजित कार्यक्रम में आए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि बीते दिनों में दिल्ली में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी भूविज्ञान मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से मुलाकात के दौरान सीमांचल क्षेत्र के मौसम संबंधी चुनौतियों और संभावनाओं को लेकर बातचीत की थी। पूर्णिया में रेडियो साउंड और रेडियो ङ्क्षवड उपकरण लगाने की बात कही गई है जिससे तापमान संबंधी जानकारी मौसम विज्ञानी को प्राप्त हो सके। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के निदेशक के अनुसार, इस प्रकार के नए सिस्टम को विकसित करने को लेकर लगभग करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। पूर्णिया में पहले से स्थापित सेंटर को विकसित कर डाप्लर रडार सिस्टम लगाया जाएगा, जिसके लिए सारी मशीन विदेश से मंगाई जाती है। निदेशक ने बताया कि इस सिस्टम को पूर्ण रूप से चालू करने में वक्त लगेगा। अगले वर्ष से डाप्लर रडार सिस्टम के जरिए मौसम संबंधी सारी जानकारी मिलेगी।