'अल्पसंख्यकों की पहचान केंद्र स्तर पर नहीं, राज्य और जिले स्तर पर हो', सांसद डॉ. भीम सिंह ने राज्यसभा में मांग
राज्यसभा में सांसद डॉ. भीम सिंह ने अल्पसंख्यकों की पहचान केंद्र की बजाय राज्य और जिला स्तर पर करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे अल्पसंख्यकों की बेहतर पहचान हो सकेगी और सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक सही तरीके से पहुंचेगा। उन्होंने राज्य स्तर पर पहचान को आवश्यक बताया ताकि कोई भी अल्पसंख्यक योजनाओं से वंचित न रहे।

अल्पसंख्यकों की पहचान केंद्र स्तर पर नहीं, बल्कि राज्य व जिले स्तर पर की जाए: डॉ. भीम सिंह। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, पटना। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा सदस्य डॉ. भीम सिंह ने एक विशेष उल्लेख के माध्यम से देश में लागू अल्पसंख्यक की वर्तमान परिभाषा एवं उससे उत्पन्न असमानताओं पर गंभीर चिंता जताते हुए सरकार से राज्यवार/ जिलेवार जनसंख्या अनुपात के आधार पर अल्पसंख्यकों की पहचान तय करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि अभी अल्पसंख्यक का निर्धारण राष्ट्रीय स्तर की जनसंख्या के अनुपात पर आधारित है, जबकि कई राज्यों में स्थिति बिल्कुल भिन्न है। देश में ऐसे अनेक राज्यों के उदाहरण हैं, जहां जो समुदाय राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक माने जाते हैं, वे वहां बहुसंख्यक स्थिति में पहुंच चुके हैं।
ऐसी स्थिति में केंद्र की अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के लाभ उन समुदायों तक अधिक पहुंच रहा है, जिन्हें वास्तविक वंचना या सामाजिक-शैक्षिक पिछड़ापन का सामना नहीं करना पड़ता है।
दूसरी ओर, वे समुदाय जो किसी राज्य/ जिला में वास्तविक रूप से संख्या में कम, कमजोर एवं वंचित हैं, वे सरकारी सहायता के दायरे से बाहर रह जाते हैं। इससे संसाधनों का न्यायसंगत वितरण प्रभावित होता है और कल्याण योजनाओं का मूल उद्देश्य कमजोर पड़ जाता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि यदि अल्पसंख्यक की परिभाषा में राज्यवार व क्षेत्रीय वास्तविकता को सम्मिलित किया जाए तो शिक्षा, छात्रवृत्ति, कौशल विकास, उद्यमिता, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचेगा, जिनको सच्चे अर्थों में इनकी आवश्यकता है।
उन्होंने आग्रह किया कि केंद्र सरकार इस विषय पर व्यापक समीक्षा करे और ऐसी नीति लाए जो न केवल वास्तविक वंचित समुदायों को प्राथमिकता दे, बल्कि देश में सामाजिक न्याय, समानता एवं राष्ट्रीय एकता को और अधिक मजबूत करे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।