दुष्कर्म की सजा भुगत रही नाबालिग गर्भवती, बेटी का कष्ट देख सिस्टम पर भड़की मां
पांचवी की नाबालिग छात्रा के साथ उसके स्कूल के प्रिंसिपल ने दुष्कर्म किया और लड़की जब गर्भवती हुई तो पता चला। गर्भपात से पहले उसकी मां भ्रूण का डीएनए टेस्ट कराने के लिए परेशान है।
पटना [जेएनएन]। दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई फुलवारीशरीफ की पांचवीं की छात्रा का अब तक गर्भपात नहीं हो सका है। पिछले तीन दिनों से छात्रा पीएमसीएच में भर्ती है। बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए मां उसके भ्रूण का डीएनए निकलवाना चाहती है, ताकि दुष्कर्मी स्कूल संचालक को फांसी की सजा दिला सके मगर सिस्टम राह में कांटे बो रहा है।
अस्पताल और पुलिस प्रशासन के बीच डीएनए का मामला फंसा है। सिस्टम अपनी रफ्तार में काम कर रहा और इधर बच्ची के पेट में भ्रूण दिन-ब-दिन बड़ा हो रहा। छह सप्ताह का गर्भ अब आठ सप्ताह का हो चुका है। ऐसे में बच्ची की मां का दर्द आंसू अैार गुस्से के साथ छलक पड़ा। छात्रा के साथ स्कूल के संचालक ने दुष्कर्म किया था। वह जेल में है।
समाज में कितने जल्लाद हैं, समझ में नहीं आ रहा
मां ने कहा कि समाज में कितने जल्लाद हैं, समझ नहीं आ रहा। मैं 18 सितंबर से घर से निकली हूं और अभी तक थाना, कोर्ट और अस्पताल का ही चक्कर लगा रही हूं। कोई भी मेरी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा है। मैं तंग आ चुकी हूं। अब समझ आ रहा है कि आखिर लोग दुष्कर्मियों के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते हैं।
पीएमसीएच में मेरे सामने तीन दुष्कर्म पीडि़त लड़कियों का गर्भपात हुआ और सभी चुपचाप अपने घर चली गईं, किसी को भनक तक नहीं लगी। मैंने आवाज उठाई और इसकी सजा बेटी को मिल रही है। जब एफआइआर हुई तो छह सप्ताह का गर्भ था जो अब आठ सप्ताह हो गया है। हर गुजरते दिन के साथ मेरी बेटी की जिंदगी पर खतरा बढ़ता जा रहा मगर थाना पुलिस, डॉक्टर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
18 सितंबर से दौड़ रही थाना-अस्पताल
लड़की की मां ने कहा कि 18 सितंबर की रात को सबसे पहले मैं फुलवारीशरीफ थाना गई थी, वहां से महिला थाना जाने का कहा गया। वहां जाने के बाद फिर फुलवारीशरीफ जाने को गया। मासूम बेटी को लेकर मैं पुन: फुलवारीशरीफ थाना पहुंच फिर भी एफआइआर दर्ज नहीं की गई। तब पुलिस के वरीय अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया इसके बाद मामला दर्ज हुआ।
19 सितंबर को मेडिकल जांच के लिए गर्दनीबाग अस्पताल भेजा गया। बेटी के साथ जाने पर अगले दिन आने को कहा गया। 20 को गर्भवती होने की पुष्टि हुई। डीएनए जांच की बात कहने पर 22 को बुलाया गया। 22 को गर्दनीबाग अस्पताल गई तो कहा गया पीएमसीएच जाइए।
23 सितंबर से दो दिन पीएमसीएच में भटकी। कभी अधीक्षक के पास भेजा जाता तो कभी प्रिंसिपल के पास। कभी इस काउंटर पर फॉर्म भरिए तो कभी इस डॉक्टर से मिलिए। इधर, कोर्ट का भी चक्कर लगता रहा। किसी तरह 25 को बेटी को पीएमसीएच में भर्ती किया गया। सोचा कि अब बेटी को दर्द और हम सबको जलालत से मुक्ति मिलेगी। मगर मैं गलत थी।
तीन दिन होने को आए अभी तक एक डीएनए सैंपल तक अस्पताल ने नहीं निकाला। जब तक डीएनए सैंपल नहीं लेते, बेटी का गर्भपात नहीं करा सकती। यहां एक-एक पल एक साल की तरह बीत रहा। मैं सबसे हाथ जोड़कर कहती हूं मेरी बेटी का डीएनए टेस्ट और गर्भापात हो जाए तो मैं पलभर में घर चली जाऊंगी लेकिन अस्पताल में कोई मेरी नहीं सुन रहा।
पीएमसीएच के अधीक्षक ने कहा-
डीएनए टेस्ट की पटना में कोई व्यवस्था नहीं है। रिपोर्ट के लिए सैंपल कोलकाता या हैदराबाद भेजा जाता है। वहां से संपर्क होते ही डीएनए निकालकर भेज दिया जाएगा। इसके बाद परिजनों की सहमति से दुष्कर्म पीडि़ता का गर्भपात कराया जा सकता है।
डॉ.राजीव रंजन प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच
पॉक्सो कोर्ट ने प्राचार्य को कहा, जल्द पूरी करें प्रक्रिया
पीडि़ता की मां ने गुरुवार को पॉक्सो की विशेष अदालत में आवेदन देकंार बताया कि अस्पताल प्रशासन जांच प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहा है। अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पीएमसीएस प्राचार्य को पत्र भेज जांच प्रक्रिया जल्द पूरी करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि कोर्ट मामले में शुक्रवार को अगला आदेश सुनाएगी। कोर्ट के आदेश के बाद अस्पताल प्रशासन ने पीडि़ता का यूरिन, एचआइवी सहित अन्य प्रारंभिक जांच के सैंपल लिए हैं।