अमेरिका व अफ्रीका से पटना आए हैं खास विदेशी 'मेहमान', समंदर पार से आए प्रवासी पक्षियों का आप भी कर सकते दीदार
Migratory birds in Bihar बिहार में ठंड की आहट के साथ ही प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। विदेशी मेहमानों की चहचहाहट व जल क्रीड़ा देखने राजधानी जलाशय पहुंच रहे लोग यहां पर 20 प्रजाति के पक्षी अब तक पहुंच चुके हैं
जागरण संवाददाता, पटना। अगर आप प्रकृति के मनोरम दृश्य का दीदार करना चाहते हैं, पक्षियों से आपको प्रेम है, तो यह मौका आपके लिए ही है। देश-विदेश से पक्षियों का पटना के जलाशयों में आना शुरू हो गया है। अमेरिका, अफ्रीका सहित कई देशों से आए मेहमानों की चहचहाहट व जल क्रीड़ा देखने लोग पहुंच रहे हैं।
राजधानी जलाशय में विदेशी पक्षियों का बसेरा
सर्दी की आहट के साथ ही सचिवालय स्थित राजधानी जलाशय प्रवासी पक्षियों से गुलजार होने लगे हैं। चारों तरफ प्राकृतिक आवास में पेड़-पौधों से घिरे राजधानी जलाशय में इन मेहमानों को नजदीक से देखने का मजा ही कुछ और है। यहां पर 20 प्रजाति के देसी-विदेशी पक्षी पहुंच चुके हैं।
दस हजार किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा गाडवाल
उत्तरी अमेरिका, सेंट्रल यूरेसिया, उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी एशिया से लगभग दस हजार किलोमिटर की दूरी तय कर गाडवाल राजधानी जलाशय में 15-20 की संख्या में पहुंच चुके हैं। यह देखने में मटमैला रंग का होता है। इसका सिर हल्का भूरे रंग का होता है। इसका वजन लगभग एक से डेढ किलो रहता है। ये जोड़े में रहना पसंद करते हैं। शैवाल इसका प्रिय भोजन है।
झुंड में रहना पसंद करते हैं कामन कूट
कामन कूट अपने देश और विदेश दोनों जगहों पर पाए जाते हैं। विदेश में मंगोलिया, चाइना जबकि भारत के लद्दाख, उत्तराखंड और ठंड प्रेदशों में रहते हैं। विभिन्न जगहों से ये राजधानी जलाशय में 10 की संख्या में पहुंच चुके हैं। ये देखने में काला और चोंच सफेद होता है। इसका वजन लगभग एक से डेढ किलो रहता है। ये झुंड में रहना पसंद करते हैं। शैवाल और जलीय पौधा खाता है।
आठ हजार किलोमीटर से पहुंचा फिरोजिनस पोचार्ड
आठ हजार किलोमीटर की दूरी तय कर फिरोजिनस पोचार्ड अमेरिका, अलास्का, यूरेशिया राजधानी जलाशय में पहुंच चुके हैं। यह देखने में कर्थइ रंग का होता है। इसके आंख का रंग सफेद होता है। शैवाल के साथ-साथ मछली खाना भी पंसद करते हैं। इसका वजन एक किलो से कम होता है। दो से चार की संख्या में रहना पसंद करते हैं।
स्कूली बच्चे मुफ्त में कर सकते सैर
स्कूल बच्चे सुबह नौ से लेकर शाम के पांच बजे तक राजधानी जलाशय की सैर कर सकते हैं। इसके लिए बच्चों को समूह में आना होगा। स्कूल बच्चे राजधानी जलाशय की मुफ्त में सैर कर सकते हैं। पक्षियों को नजदीक से देखने के लिए राजधानी जलाशय में विशेष दूरबीन की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही पक्षियों के बारे में विशेष जानकारी देने के लिए गाइड भी उपलब्ध है।
जलकुंभी में रहना पंसद करते हैं लेसर व्हीसलिंग डक
लेसर व्हीसलिंग डक स्थानीय पक्षी हैं। 25 सौ से अधिक की संख्या में राजधानी जलशय में पहुंचे हुए हैं। जलकुंभी में रहना पंसद करते हैं। राजधानी जलाशय में आठ से दस की संख्या में इसे साल भर देखा जा सकता है। यह भूरे रंग का होता है।
ठंड बढ़ने के साथ आएंगे और प्रवासी पक्षी
बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के सदस्य नवीन कुमार ने कहा कि आइयूसीएन के रेड डाटा के अनुसार, फेरोजिनस पोचार्ड संकटग्रस्त पक्षियों में शामिल है। राजधानी जलाशय में इस पक्षी का आना इस बात का प्रमाण है कि यहां प्रचुर मात्रा में भोजन उपलब्ध है। ठंड शुरू हुआ है जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी यहां और भी प्रजाति के देसी-विदेश पक्षी पहुंचेंगे।