दबोचा गया टीईटी में फर्जीवाड़ा करने वाला बिचौलिया
2011 में हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में फर्जीवाड़ा कर अभ्यर्थियों को सर्टिफिकेट दिलाने में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाला पुलिस के हत्थे चढा।
पटना । 2011 में हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में फर्जीवाड़ा कर अभ्यर्थियों को सर्टिफिकेट दिलाने में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाला विजय कुमार तिवारी बुधवार को कोतवाली थाने की पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसकी गिरफ्तारी फुलवारीशरीफ स्थित एक मकान से हुई। फर्जीवाड़े के बाबत निगरानी में दर्ज आधा दर्जन कांडों में उसकी संलिप्तता उजागर हुई थी, लेकिन वह पुलिस से छिपकर जहां-तहां रह रहा था।
मालूम हो कि सरकारी स्कूलों में नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 2011 में टीईटी की परीक्षा ली थी। इसमें बोर्ड के कर्मी अरविंद कुमार, अमित कुमार, अमितेश कुमार, जटा शकर मिश्र, रंजीत मिश्रा, माइकल फ्रांसिस और अरुण कुमार ने सर्वर व कंप्यूटर में छेड़छाड़ कर फेल अभ्यर्थियों को पास कर दिया था। टीईटी सर्टिफिकेट लेकर अयोग्य अभ्यर्थियों को भी सरकारी शिक्षक की नौकरी मिल गई थी। एक साल बाद मामला प्रकाश में आया, तब विभिन्न जिलों में प्राथमिकी दर्ज हुई, जिसे निगरानी ने अपने अधीन लेकर अनुसंधान शुरू किया। इस दौरान मालूम हुआ था कि विजय तिवारी ने बिचौलिए की भूमिका अदा की थी। उसने अभ्यर्थियों से रुपये लिए और बोर्ड में सेटिंग कर फेल अभ्यर्थियों को पास करा दिया था। कुछ अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। लेकिन, दो महीने पहले यह मामला फिर उठा और बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर के निर्देश पर कोतवाली थाने में एक और प्राथमिकी दर्ज की गई। बोर्ड के कर्मियों और अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि विजय के सहयोग से फर्जीवाड़े का पूरा खेल हुआ। इसके लिए उसने अभ्यर्थियों से 20 लाख रुपये लिए थे। विधि-व्यवस्था डीएसपी मनोज कुमार सुधांशु के नेतृत्व में थानाध्यक्ष राम शंकर सिंह और दारोगा संजय कुमार विजय की तलाश में जुटे थे। तभी बुधवार को मालूम हुआ कि वह फुलवारीशरीफ स्थित अपने किराए के घर में आया है। पुलिस ने देर रात दबिश देकर उसे गिरफ्त में ले लिया।