बिहार में वज्रपात की ताबड़तोड़ घटनाओं से मौसम विज्ञानी हैरान, बड़े बदलाव का मान रहे संकेत
इस वर्ष भारी बारिश के साथ ज्यादा वज्रपात की घटनाएं हैरान करने वाली हैं। इससे मौसम विज्ञानी चिंतित हैं। मौसम विज्ञानी इसे वायुमंडल में बड़े बदलाव का संकेत मान रहे हैं।
पटना, जेएनएन। इस वर्ष भारी बारिश के साथ ज्यादा वज्रपात की घटनाएं हैरान करने वाली हैं। अब तक कम बारिश एवं आंधी चलने के बाद वज्रपात की घटनाएं ज्यादा होती रही हैं। लेकिन इस वर्ष स्थिति काफी बदली हुई है। इस साल भारी बारिश भी हो रही है और वज्रपात की घटनाएं भी ज्यादा हो रही हैं। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी संजय कुमार का कहना है कि बिहार में इस वर्ष मानसून के दौरान कुछ ज्यादा ही वज्रपात की घटनाएं हो रही हैं। जबकि वज्रपात की घटनाएं प्री-मानसून के दौरान ज्यादा होती हैं। घटनाओं में वृद्धि वातावरण में आए बड़े बदलाव का संकेत है। वायुमंडल में शुष्क हवा एवं नमी युक्त हवाओं के टकराव के कारण ही बिजली उत्पन्न होती है, जिसे आम लोग ठनका गिरना कहते हैं।
कहते हैं मौसम विज्ञानी
पटना मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विवेक सिन्हा की मानें तो तेज बारिश के दौरान लोगों को घरों में रहने की जरूरत है। अगर आप खुले में या खेतों में हैं तो तेज बारिश के संकेत मिलते ही पक्के घरों में छुपने का प्रयास करें। खुले में रहने की मजबूरी हो तो एक साथ ज्यादा लोग नहीं रहें। पेड़ों के नीचे हैं तो छोटे पेड़ों को चुने। बिजली के सुचालक यंत्रों से दूरी बना लें।
कर सकते हैं ये भी काम
अगर संभव हो तो पैरों के नीचे सूखी लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा, आदि रख लें। खुले मैदान में दोनों पैरों को सटाकर खड़ा होना चाहिए। भारी बारिश के दौरान छतों पर जाने की कोशिश न करें। खिड़कियों एवं दरवाजों के पास खड़े न हों। बिजली कड़कने के दौरान तालाब एवं नदी तट पर जाने से परहेज करें। बिजली के खंभे के नीचे भी खड़े होने से बचना चाहिए।
100 से अधिक की गई जान
गौरतलब है कि 25 जून गुरुवार को अचानक मौसम का मिजाज बिगड़ गया। एक दर्जन से अधिक जिलों में वज्रपात की ताबड़तोड़ घटनाओं में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। सबसे अधिक मौत गोपालगंज जिले में हुई है। वज्रपात से एक दिन में बिहार में इतनी मौतें कभी नहीं हुई थीं। इससे मौसम विज्ञानी चिंतित हो गए हैं।