पटना राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः जनता का भरोसा जीते पुलिस तो सुरक्षित रहेगा शहर
महिलाओं की शिकायत को लेकर पुलिस को गंभीर होना चाहिए। महिला आयोग में लगातार ऐसी शिकायतें आती हैं कि पुलिस उनकी फरियाद नहीं सुनती।
सुरक्षा का विषय व्यापक है। इसमें अपराध के साथ ट्रैफिक भी शामिल है। साइबर अपराध भी तेजी से फल-फूल रहा है, इसे भी रोकने की जरूरत है। तकनीक इन सभी से लड़ने का बड़ा हथियार है। लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि वे अपनी आवाज बुलंद करें। डरें नहीं। अगर आपकी बात थाने में नहीं सुनी जा रही तो एसपी-डीएसपी के पास जाएं, वहां भी बात नहीं बन रही तो एसएसपी, डीआइजी, आइजी स्तर के अधिकारियों को बताएं।
दैनिक जागरण के माय सिटी-माय प्राइड अभियान के तहत सुरक्षा विषय पर आयोजित राउंड टेबल कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने ये बातें कहीं। परिचर्चा में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा, एसएपी मनु महाराज, ट्रैफिक एसपी पीएन मिश्रा, पूर्व ट्रैफिक एसपी पीके दास समेत पुलिस, प्रशासन के कई वरीय अधिकारी, अधिवक्ता और सुरक्षा विशेषज्ञ शामिल हुए।
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पीपुल फ्रेंडली हो पुलिस तो काम होगा आसान
अपराध हर जगह होता है। बड़ी और जरूरी बात यह है कि अपराध के बाद पुलिस की कार्रवाई कितनी तेजी से होती है। जनता का भरोसा अगर पुलिस जीत ले तो शहर की सुरक्षा का आधा काम खुद ब खुद हो जाएगा। पुलिस-पब्लिक का व्यवहार ऐसा हो कि अपराधी डरें और जनता सहयोग करे। पुलिस वाले भी सम्मान से पेश आएं। पटना जैसे बड़े शहर में सुरक्षा बड़ा इश्यू है। पटना पुलिस लगातार सुरक्षा को लेकर अलर्ट है। 100 डायल सेवा को हाईटेक कर दिया गया है। सीसीटीवी कैमरे भी मददगार साबित हो रहे हैं। गश्ती की कई टीम है, जिसमें हाइवे पेट्रोलिंग, डॉलफिन मोबाइल, साइकिल और बाइक गश्ती शामिल है।
- मनु महाराज, एसएसपी
बनाए जाएंगे पांच और ट्रैफिक थाने
शहर में यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई प्रयोग किए गए। शहर को 39 सेक्टर में बांटा गया और हर सेक्टर की जिम्मेदारी तय करने के लिए प्रभारी नियुक्त किए गए। 175 सीसी कैमरे लगाए गए, लेकिन शहर में लाइट सिस्टम कमजोर है। मैनपॉवर की कमी है और ऐसे में पटना से मोकामा तक यातायात व्यवस्था बनाए रखना आसन नहीं होता। फिलहाल तीन ट्रैफिक थाने हैं, जल्द पांच और ट्रैफिक थाने बनाए जाएंगे। जेब्रा और ट्रैफिक सिग्नल तोड़ने वालों का चालान सीधे घर भेजा जाता है। किसी को ऐसा न लगे कि पुलिस गलत कर रही है इसके लिए चालान के साथ फोटो भी भेजी जा रही है। प्रमुख चौराहों पर बड़े गोलंबर को छोटा करने का प्रस्ताव भेजा गया है।
- पीएन मिश्रा, ट्रैफिक एसपी
हाइवे पर बने अंडरपास तो घटेंगी दुर्घटनाएं
फतुहा-बख्तियारपुर लेन के दोनों तरफ गांव है और अंडरपास भी नहीं बना है। यह बड़ी चूक है और इससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। जगह-जगह बैरियर तोड़ दिए गए हैं। थाना पुलिस की भी जिम्मेदारी है ऐसे लोगों पर कार्रवाई करें नहीं तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। ज्यादातर थाना पुलिस को लगता है कि यह ट्रैफिक पुलिस का काम है। सभी विभाग को साथ मिलकर जिम्मेदारी उठाना जरूरी है। ऐसी सभी समस्याएं जो आम आदमी से जुड़ी हों और उससे लॉ एंड आर्डर बिगड़ने की आशंका हो उसमें पुलिस को तुरंत एक्शन लेना चाहिए।
- पीके दास, बीएमपी कमांडेंट
महिला सुरक्षा प्राथमिकता, हर शिकायत पर कार्रवाई
महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। हाल के दिनों में महिला सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इसका असर भी दिख रहा है। महिला आयोग में पहले से अधिक मामले आने लगे हैं। मामलों का निष्पादन भी बढ़ा है। आयोग के सदस्य पीड़ित के घर तक पहुंचते हैं। अधिकांश ऐसे मामले आते हैं, जिसमें शिकायत होती है कि थाना पुलिस केस दर्ज नहीं करती है। चार दिन पहले ही रूपसपुर से महिला आई। आयोग में शिकायत की। अगले दिन उसे केस उठाने की धमकी मिलने लगी। टीम उसके घर गई। उसे भरोसा दिया कि हम साथ हैं। ऐसे परिवार तक पहुंचने के लिए विशेष टीम भी बनाई गई है। चौबीस घंटे टीम एक्टिव रहती है।
- दिलमणि मिश्रा, अध्यक्ष, बिहार राज्य महिला आयोग
ऐप डाउनलोड करने में बरतें सावधानी
अभी साइबर क्राइम के मामले बढ़ गए हैं। अक्सर लोग बिना कुछ जानकारी हासिल किए ही किसी भी ऐप को डाउनलोड कर लेते हैं। बाद में मालूम होता कि उनका डिटेल चोरी हो गया है। लड़कियों को ऐसे मामलों में और अधिक जागरूक रहना चाहिए। महिला थानों में बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन आते हैं। पहले हम आवेदनों की जांच करते हैं। इस बीच थोड़ा धैर्य रखना भी जरूरी होता है। हर दिन थाने में दस से बारह काउंसलिंग होती है। हमारी कोशिश होती है पीड़ित पहले की तरह अपने घर में रहे और उनके परिवार में खुशी बनी रहे।
- रवि रंजना, महिला थाना प्रभारी
समाज भी आगे बढ़कर करे पहल
महिलाओं की शिकायत को लेकर पुलिस को गंभीर होना चाहिए। महिला आयोग में लगातार ऐसी शिकायतें आती हैं कि पुलिस उनकी फरियाद नहीं सुनती। दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा मामले में पुलिस को एक्टिव होना चाहिए। समाज के लोगों को भी ऐसे मामलों में आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए। आयोग में आनी वाली सभी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता है और जरूरत पड़ने पर थाना पुलिस और वरीय अधिकारियों से भी संपर्क किया जाता है।
- निक्की हेम्ब्रम, सदस्य, राज्य महिला आयोग
तकनीक का करना होगा बेहतर इस्तेमाल
पटना पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर तो जारी कर दिया पर सिस्टम की कमी है। तकनीक का सही से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। कम्युनिटी ट्रैफिक पुलिस ने भी नंबर जारी किया है और चौबीस घंटे उस पर नजर रखी जाती है। कम्युनिटी पुलिस में 1200 से अधिक एनसीसी कैडेट मौजूद हैं। सड़क सुरक्षा के लिए हमने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। पटना जैसे शहर को सुरक्षित रखने के लिए तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करना होगा।
- धीरज, एनसीसी
कानून का कड़ाई से हो पालन
लड़कियों को समाज में सबसे अधिक सुरक्षा की जरूरत है। उनकी लड़ाई तो जन्म लेने से पहले ही शुरू हो जाती है। समाज में कई तरह की परेशानियां हैं, जिसको रोकने और व्यवस्था को सही करने के लिए कानून बनाया गया है। महिलाओं, लड़कियों और वंचितों को इन सभी कानूनों की जानकारी देनी की जरूरत है। कानून का सख्ती से पालन हो तो अपराधियों में भी डर पैदा होगा। ज्यादा जरूरी है कि लोगों को जागरूक किया जाए।
- अलका वर्मा, अधिवक्ता, हाईकोर्ट
थानों के चक्कर से मिले आजादी
पटना में संकरी सड़क से सटे ही स्कूल, सिनेमाहॉल, अस्पताल, शॉपिंग मॉल बना दिए गए हैं। ट्रैफिक की समस्या सबसे गंभीर है और यह सुरक्षा से जुड़ा बड़ा मसला है। नब्बे फीसद थानों में बिना पैरवी के केस दर्ज नहीं होता है। कभी थानेदार के नहीं होने की बात की जाती है तो कभी कागज तक लाने को कहा जाता है। ऑनलाइन एफआईआर और थानों में ऐसे सिस्टम बनना चाहिए, जिससे फरियादी को चक्कर न लगाना पड़े।
- रवि रंजन, एसआइएस सिक्योरिटी
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