गंगा एक्सप्रेस-वे से पटना पाएगा रफ्तार
सबसे महत्वाकांक्षी योजना 23.5 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस वे की है। इसे अगले दो सालों में पूरा किया जाना है और इसके बन जाने से शहरवासियों को गंगा किनारे एक बेहतर सड़क उपलब्ध हो जाएगी और इसके बन जाने पर पटना के रिंग-रोड का भी सपना पूरा हो जाएगा।
पूर्वी भारत के महत्वपूर्ण शहर पटना के खाते में अभी एक और उपलब्धि दर्ज हो जाएगी। अक्टूबर में पटना में सीएनजी से गाड़ियां चलने लगेंगी। पटना सदियों पहले भी सुविधाओं और आधारभूत संरचना के मामले में अन्य शहरों से पीछे नहीं था, भले ही बाद में शहरवासियों के लिए गर्व करने के लिए बहुत कुछ नहीं रहा।
फ्रांकोइस बर्नर ने 1658 में अपनी पुस्तक, 'ट्रैवल इन द मुगल एम्पायर' में पटना के संबंध में लिखा था- 'गंगा के आसपास पर्याप्त सुविधाएं हैं, डच और अंग्रेज यहां से देश के हर कोने के साथ-साथ यूरोप में बड़ी आसानी से अपना माल भेजते हैं। तब 1620 में ईस्ट इंडिया कंपनी यहां अपनी व्यापारिक गतिविधियां आरंभ कर चुकी थी। पीटर मंडी ने 1632 में अपनी यात्रा वृतांत में पटना को पूर्वी क्षेत्र का सबसे बड़ा 'मार्ट' करार दिया था।
%20%20
%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20%20