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पटना के एसएसपी मनु महाराज कैसे बन गये अपराधियों के लिए मुसीबत, पूरी कहानी !

मनु महाराज मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के डलहौजी के रहने वाले हैं। ऑपरेशन विश्वास के तहत उन्होंने अत्याधुनिक हथियारों के साथ डेढ़ दर्जन नक्सलियों को सरेंडर कराया।

By Krishan KumarEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 06:00 AM (IST)
पटना के एसएसपी मनु महाराज कैसे बन गये अपराधियों के लिए मुसीबत, पूरी कहानी !

प्रशांत कुमार, पटना

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पटना के एसएसपी मनु महाराज ऐसे आइपीएस अधिकारी हैं, जिनसे अपराधियों की रूह कांपती है वहीं जनता उनसे उतना ही दिल से प्‍यार करती है। पटना के साथ पूरे बिहार में उनके प्रशंसक हैं। युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बहुत है। पटना में कही भी अपराध होता है, तो जनता यह उम्‍मीद करती है कि इसका खुलासा वह कर ही देंगे।

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मनु महाराज मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के डलहौजी के रहने वाले हैं। 2005 में नेशनल पुलिस अकादमी से छह आइपीएस अधिकारियों को बिहार कैडर मिला, जिसमें से एक पटना के वर्तमान वरीय पुलिस अधीक्षक मनु महाराज भी थे। मोतिहारी में थाना इंचार्ज की ट्रेनिंग लेने के बाद वैशाली जिले में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में प्रशिक्षण लिया और तब से अपनी कार्यशैली से लोगों के दिलों में जगह बना ली। पटना शहर में सिटी एसपी रहे। इसके बाद बतौर एसपी रोहतास जिले की कमान सौंपी गई।

रोहतास में तकरीबन डेढ़ साल तक रहे और नक्सलियों के गढ़ में अकेले घुसकर चुनौती दी। चेतावनी दी, नक्सलवाद छोड़कर सरेंडर करो वरना मारे जाओगे। मनु महाराज के तेवर के आगे सालों से रोहतास की पहाडिय़ों में बसे नक्सलियों के हौसले भी पस्त हो गए। एक-एक कर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करना शुरू कर दिया।

ऑपरेशन विश्वास के तहत उन्होंने अत्याधुनिक हथियारों के साथ डेढ़ दर्जन नक्सलियों को सरेंडर कराया। पटना की सड़कों पर कई बार अचानक साइकिल से सुरक्षा का जायजा लेने निकल जाते हैं। कई बार पेट्रोलिंग वालों की लापरवाही पकड़ी और तत्काल उन्हें सस्पेंड किया।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला कॉलेज के बाहर डायल 100 पुलिस पोस्ट्स की शुरुआत की। इन सब कारणों से मनु महाराज के 'विश्वास' से जनता का पुलिस पर भरोसा बढ़ता चला गया। उनकी प्रतिभा को बिहार सरकार ने भी सम्मान दिया और वर्ष 2013 में पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक के रूप में उनकी तैनाती की गई।

बड़े और कुख्यात अपराधियों ने बिहार से नाता तोड़ लिया। कई अपराधी सलाखों के पीछे ढकेल दिए गए। झारखंड और कोलकाता में जाकर छिप गए। मनु महाराज का नजरिया साफ रहा, दोषी चाहे कितना भी बड़ा रसूखवाला क्यों न हो? आरोप साबित होने पर कार्रवाई तय है। यही कारण है कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग के नियुक्ति घोटाले में वरिष्ठ आइएएस अधिकारी सुधीर कुमार की भी गिरफ्तारी की। इसके चलते उन्हें आइएएस अधिकारियों का विरोध भी झेलना पड़ा लेकिन वे डिगे नहीं।

घटना 23 सितंबर 2017 की है। जक्कनपुर थाना पुलिस को सूचना मिली कि जयप्रकाश नगर में शराब माफिया एक मकान में छिपा है। पुलिस फोर्स मकान में दबिश देने पहुंची। छत पर 32 हजार वोल्ट का तार लटक रहा था जिसकी चपेट में एसआइ शिशुपाल आ गए और बुरी तरह झुलस गए। तत्कालीन थानेदार अबरार अहमद उसे लेकर पटना अपोलो बर्न अस्पताल में पहुंचे।

डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। थोड़ी ही देर में एसएसपी मनु महाराज भी पहुंच गए। डॉक्टर ने सलाह दी कि चार से पांच घंटे में दिल्ली नहीं पहुंचे तो एसआइ तो बचना मुश्किल है। एसएसपी ने फौरन एयर एबुलेंस की व्यवस्था कराई और परिजनों को चार लाख रुपए फंड से दिलाए। खुद दिल्ली के अस्पताल के डॉक्टरों से बातचीत करते रहे और कुछ ही घंटे में एसआइ शिशुपाल दिल्ली के बर्न अस्पताल में भर्ती हो गए।

डॉक्टर भी हैरान थे कि ऐसा कौन वीआइपी है। बाद में पता चला कि वह थाने का एसआइ है, जिसे एसएसपी मनु महाराज ने भेजा था। आज एसआइ शिशुपाल पूरी तरह स्वस्थ हैं और पीरबहोर थाने में ड्यूटी कर रहे हैं।

मनु महाराज बताते हैं कि 12 साल से वह बिहार में है। यहां के लोगों का प्रेम और स्नेह इतना मिला कि पराया महसूस नहीं होने दिया। लोगों का विश्वास पुलिस पर बढ़ा है। लोग भी पुलिस को सहयोग करते हैं, जिसके कारण समाज में फैली गंदगी को मिटाने में पुलिस सफल हो रही है। थोड़ी बहुत कमियां हर जगह हैं, अगर वे नजर में आती हैं तो ठीक करने की पूरी कोशिश होती है।

शिकायत मिलने पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की गई है, जिससे जनता में यह संदेश गया है कि कानून सबके लिए बराबर है।

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