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पटना पीएमसीएच का होगा विस्तार, एम्स लगाएगा नैया पार

पीएमसीएच राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है, परन्तु जिस तरह हॉस्पिटल में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है, ऐसे में अस्पताल का संसाधन काफी छोटा पड़ रहा है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 01:11 PM (IST)
पटना पीएमसीएच का होगा विस्तार, एम्स लगाएगा नैया पार

नीरज कुमार, जागरण संवाददाता

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राजधानी पटना प्रदेश भर के मरीजों के इलाज का मुख्य केंद्र है। राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में इलाज के लिए प्रतिदिन दस हजार से अधिक मरीज आते हैं। इसमें भी पटना मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल (पीएमसीएच), इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों की सबसे अधिक भीड़ होती है।

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इन अस्पतालों में सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों का इलाज होता है। इन अस्पतालों में वर्तमान में ओपीडी, इमरजेंसी एवं सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा मौजूद है। खासकर हार्ट, कैंसर, लिवर, न्यूरो एवं किडनी आदि के इलाज के लिए मरीज बड़े अस्पतालों में आते हैं। यहां पर खून-पेशाब से लेकर एमआरआइ तक की जांच की व्यवस्था है।

पीएमसीएच में पांच गुणा अधिक मरीज
पीएमसीएच राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है, परन्तु जिस तरह हॉस्पिटल में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है, ऐसे में अस्पताल का संसाधन काफी छोटा पड़ रहा है। पीएमसीएच की इमरजेंसी में वर्तमान में 100 बेड हैं, लेकिन यहां पर प्रतिदिन 400 से 500 मरीज बेहद गंभीर स्थिति में इलाज कराने आते हैं। उन मरीजों को तत्काल बेड मुहैया कराना अस्पताल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। बेड के अभाव में कई मरीज जमीन पर इलाज कराने को विवश होते हैं। 

इमरजेंसी के अलावा अस्पताल के अन्य वार्डों में फिलहाल 1700 बेड हैं, जबकि प्रतिदिन 3000 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं। इनमें से कई को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है।

30 सालों से नहीं बढ़ी बेडों की संख्या
पिछले तीस वर्षों से पीएमसीएच में बेडों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है। इसका खामियाजा राज्य की गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है। वे गंभीर इलाज के लिए पीएमसीएच आते हैं, लेकिन उन्हें समुचित रूप से इलाज नहीं हो पाता है। इसके लिए जरूरी है कि अस्पताल में बेडों की संख्या बढ़ाई जाए।

पीएमसीएच के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। सरकार की योजना के अनुसार पीएमसीएच का विस्तार तीन चरणों में किया जाएगा। वर्ष 2030 तक पीएमसीएच को 5000 बेड का अस्पताल बनाया जाएगा।

गरीब मरीजों की अंतिम उम्मीद
बिहार के दूर-दराज के इलाकों से आने वाले गरीब मरीजों के लिए पीएमसीएच अंतिम उम्मीद की तरह है। अभी हाल में कैंसर पीडि़त मुजफ्फरपुर निवासी मो. अकरम पीएमसीएच इलाज के लिए आए थे। इसके पहले कई अस्पतालों में अपना इलाज कराया, लेकिन उनकी बीमारी ठीक नहीं हो पाई।

पीएमसीएच के चिकित्सकों ने उनका व्यापक परीक्षण करने बाद इलाज शुरू किया और अब उनकी तबीयत में सुधार है। मो.अकरम का इलाज करने वाले डॉ.पीएन पंडित का कहना है कि कैंसर के मरीजों के लिए कोबाल्ट मशीन से सेंकाई जरूरी होती है। उनकी सेंकाई शुरू हो गई और अगले दो माह में वे काफी हद तक ठीक हो जाएंगे।

डॉक्टर भी मानते हैं, सुधार जरूरी
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के प्रदेश सचिव डॉ. ब्रजनंदन कुमार कहते हैं, राजधानी में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की जरूरत है। यहां पर राज्यभर से मरीज आते हैं, उनको बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले, इसके लिए सरकार को अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने की जरूरत है। खासकर बड़े अस्पतालों का विस्तार जरूरी है।

आइएमए के पूर्व सचिव डॉ. हरिहर दीक्षित कहते हैं, राजधानी में प्रतिदिन 10 हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। उन्हें आसानी से चिकित्सा सुविधा मिले, इसके लिए अस्पतालों के खाली पदों को भरना जरूरी हो गया है। राजधानी के अधिकांश अस्पतालों में डॉक्टरों के पद खाली हैं, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

आई हॉस्पिटल की भी दरकार
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि मोहनका कहते हैं, राजधानी में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए राज्यभर से लोग आते हैं। यहां पर एक बड़ा आई हॉस्पिटल खोलने की जरूरत है। ताकि मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सके। प्रदेश के लोगों को आंखों के इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े।

टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. दिवाकर तेजस्वी कहते हैं, स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए शहर की सफाई बहुत जरूरी है। राजधानी में फैली गंदगी ही, कई बीमारियों की जड़ है। प्रशासन शहर को साफ रखने की कोशिश करें तभी राजधानी में स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है।

एम्स में हो सुधार तो बदलेगी सूरत
राजधानी के फुलवारीशरीफ में एम्स की स्थापना तो हो गई मगर यह अस्पताल मरीजों का भरोसा नहीं जीत सका है। अब भी सूबे के लोग पीएमसीएच ही ओर ही रुख करते हैं। इसका एक बड़ा कारण पटना एम्स में इमरजेंसी सेवा का न होना है। पटना एम्स ने अगले दो माह में मरीजों को इमरजेंसी की सुविधा देने की घोषणा की है। 

अगर ऐसा होता है, तो ये बड़ी राहत होगी। इसके अलावा राज्य सरकार आइजीआइएमएस में मरीजों को सुपर स्पेशियलिटी सुविधा प्रदान करने पर जोर दे रही है। यहां पर इस साल के अंत तक हार्ट एवं लिवर प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू हो जाएगी। इन सब सुधारों के बाद उम्मीद है, पटना स्वास्थ्य सेवाओं में और आत्मनिर्भर होगा।


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