AES मामले में SC में बिहार सरकार के हलफनामे से खुली पोल, डॉक्टरों के 47 परसेंट पद खाली
बिहार में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी काफी गंभीर है। मामले में मंगलवार को बिहार सरकार ने हलफनामा दायर किया है। इसमें चौंकानवाले तथ्य सामने आए हैं।
पटना, जेएनएन। बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से हुई बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी काफी गंभीर है। इस मामले में मंगलवार को बिहार सरकार ने हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में चौंकानवाले तथ्य सामने आए हैं। बिहार के अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग में सभी स्तरों के लगभग 50 परसेंट पद खाली हैं। इनमें डॉक्टरों के 47 परसेंट पद खाली हैं। इतना ही नहीं, डॉक्टरों के अलावा नर्सों समेत अन्य स्टाफ के भी पद खाली हैं। इस मामले में पिछली सुनवाई 24 जून को हुई थी। बता दें कि बिहार में एईएस से 180 से अधिक बच्चों की मौत हो गई है। इसमें केवल मुजफ्फरपुर में ही 136 बच्चों की मौत हुई है। बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री समेत बिहार के मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरपुर का जायजा लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने चमकी बुखार से बच्चों की हुई मौत को गंभीरता से लिया और बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार को सात दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इस मामले में पिछली बार 24 जून को सुनवाई हुई थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता से संबंधित सुविधाओं का सीलबंद लिफाफे में पूरा विवरण मांगा था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट की तरफ से बिहार सरकार को मेडिकल सुविधा बढ़ाने के आदेश दिए जाएं और साथ ही केंद्र सरकार को इस बारे में एक्शन लेने को कहा जाए। इसी पर सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है।
नोटिस के बाद बिहार सरकार ने AES से बच्चों की मौत पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। हलफनामे में सरकार ने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग में सभी स्तरों पर 50 परसेंट पद खाली हैं। इनमें 71 परसेंट नर्सों और 47 परसेंट डॉक्टरों के पद खाली हैं। हालांकि अपने हलफनामे बिहार सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की बदहाली पर अफसोस भी जताया है।