गणितज्ञ आनंद ने लिखा शिष्य को खत: पैसे के कमजोर धागे से मत बांधना शादी का बंधन
गणितज्ञ आनंद कुमार ने अपने शिष्य को खत लिखकर उसे दहेज कुप्रथा के बारे में बताया है और खत में उसे बड़ी सीख देते हुए लिखा है कि अपनी शादी को पैसे के कमजोर धागे में मत बांधना
पटना [जेएनएन]। ना जाने कितनी बार उसने अपने पिता को अपनी शादी की चिंता करते देख खुद को कोसा होगा। जब-जब उसके पिता अपनी सारी सुविधाओं की बलि देकर उसकी शादी और दहेज के लिए पैसे जोड़ते होंगे तब ना जाने कितनी बार उसने बोला होगा ना जाने मैं क्यों पैदा हुई? जानते हो आज इस देश की ना जाने कितनी बेटियों की जिंदगी ऐसी ही बनी हुई है। दहेज बहुत बुरी चीज है। बहुत ही बुरी।
गणितज्ञ आनंद कुमार ने अपने शिष्य को खत लिखा है, जिसमें उन्होंने समाज की बड़ी कुप्रथा दहेज के दानव के बारे में बताया है और शिष्य को सलाह दी है कि वो पैसे के कमजोर धागे से शादी के बंधन को ना बांधे....प्रस्तुत है गुरु आनंद का खत शिष्य के नाम-
प्रिय शिष्य,
आज तुम्हें यह पत्र लिखते हुए एक अजीब सा अहसास हो रहा है। ऐसा अहसास कि शायद इसे शब्दों में बांधना मुश्किल हो रहा है। फिर भी आज मेरा मन किया कि तुम्हें कुछ बताना चाहिए तब मैंने सोचा चलो, लिख ही देता हूं, जो दिल में मेरे है आज।
अब तुम्हारी आइआइटी की पढ़ाई पूरी हुए भी काफी दिन हो गए हैं और तुम एक कुशल इंजीनियर बन चुके हो। बहुत बड़ी कंपनी में अच्छे ओहदे पर भी हो। जिंदगी तुम्हारे लिए बाहें फैलाए खड़ी है। जीवन के इस सफर में शादी एक अहम पड़ाव है, जिसकी देहरी तक तुम पहुंच चुके हो।
आज जब मैं तुमसे इस पत्र के माध्यम से बात कर रहा हूं तो ऐसा लगता है कि मुझे तुमसे कुछ बातें साझा करनी चाहिए। शादी एक बहुत ही खूबसूरत बंधन है। इसे प्यार के डोर से बांधना, पैसे के कमजोर धागे से नहीं। क्योंकि पैसे के डोर से बंधने वाले रिश्तों में मतलब के गांठ पड़े हुए होते हैं। मौके और मतलब के पूरा होते ही ऐसे रिश्तों की गरमाहट खत्म हो जाती है।
किसी के घर का आंगन सूना कर तुम्हारे घर को रोशन करने वाली कोई लड़की मामूली नहीं होती। दरअसल, यह बड़े दिलवालों का काम है। जिस घर में बेटियां पलती हैं, खेलती हैं, जीवन के सपने बुनती हैं उसी घर, उसी आंगन को छोड़कर तुम्हारे घर की शोभा बढ़ाने वाली लड़की किसी फरिश्ते से कम नहीं होती।
अब भला तुम ही सोचो कि क्या कोई किसी फरिश्ते को कभी तकलीफ देता है। जानते हो, अपने पिता के आंगन में खेलते-कूदते वक्त उसने ना जाने कितनी बार अंजाने में बिना तुम्हें देखे, बिना तुम्हें जाने अपने मन का रखवाला माना होगा। सखियों से तुम्हारे बारे में ना जाने कितनी बातें की होंगी। ना जाने तुम्हें कितनी बार दुनिया का सबसे खूबसूरत शख्स बताया होगा। ना जाने कितनी बार उसने अपने पिता को अपनी शादी की चिंता करते देख खुद को कोसा होगा।
जब-जब उसके पिता अपनी सारी सुविधाओं की बलि देकर उसकी शादी और दहेज के लिए पैसे जोड़ते होंगे तब ना जाने कितनी बार उसने बोला होगा ना जाने मैं क्यों पैदा हुई? जानते हो आज इस देश की ना जाने कितनी बेटियों की जिंदगी ऐसी ही बनी हुई है। दहेज बहुत बुरी चीज है। बहुत ही बुरी। यह तुम भी जानते होगे।
जैसा कि तुम जानते हो कि सुपर 30 की पढ़ाई के दरम्यान भी मैं ये बातें अक्सर तुमलोगों को बताया करता था। तुमलोगों ने कसमें भी खाई थीं कि दहेज के बगैर शादी करोगे। याद है न! मैं बतौर उदाहरण बताया करता था कि मैंने बिना दहेज लिए शादी की है। यही नहीं बल्कि मेरे भाइयों ने भी शादी बगैर एक पैसे लिए की थी।
हमलोग इतना अमानवीय हो भी कैसे सकते हैं कि जिससे जीवन भर का रिश्ता बनने जा रहा हो उससे सौदा कर लें। ये तो मेरा गुरुजनों और पिता का दिया हुआ संस्कार है कि उन्होंने मुझे देना सिखाया न कि किसी से कुछ लेना।
ना जाने क्यों, मुझे ऐसा लगता है कि मुझे एक बार फिर से यह बात दोहरानी चाहिए कि तुम दहेज मत लेना। अगर वधू-पक्ष कहे कि मैं अपने मन से कुछ उपहार देना चाहता हूं तब भी मुझे यकीन है कि तुम कुछ भी नहीं लोगे बल्कि शादी के खर्चे में भी तुम्हारी भागीदारी होगी और अगर वधू-पक्ष को थोड़ी भी आर्थिक परेशानी रही तब पूरा खर्चा तुम ही उठाओगे।
मैंने हमेशा पढ़ाई के साथ-साथ तुम्हें यह सिखाने का प्रयास किया है कि एक सफल व्यक्ति बनने से ज्यादा जरूरी है कि एक अच्छा इंसान बनो। तुम्हें पता है कि यह बताना, समझाना, मेरी शिक्षा का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। मुझे यकीन है कि इस पत्र को पढऩे के बाद तुम्हारा संकल्प और भी दृढ़ होगा और तुम मेरे विश्वास को कायम रखोगे।
अगर तुम ऐसा करोगे तब लोग कहेंगे-' वाह क्या बात है, देखो उसने बिना दहेज के शादी की है। सच में सुपर 30 की ट्रेनिंग का कोई जवाब नहीं। आनंद कुमार न सिर्फ बच्चों को इंजीनियर बनाते हैं बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी देते हैं। और ऐसा जब लोग कहेंगे तब वह दिन मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत दिन होगा। उस खूबसूरत दिन के इंतजार में...
तुम्हारा ही
आनंद कुमार