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बिहार: लाेकसभा चुनाव के बाद सियासत से गुम कांग्रेस के कई बड़े चेहरे, नहीं दिखते शॉटगन जैसे नेता

लोकसभा चुनाव के समय दूसरे दलों से कांग्रेस में आए कई बड़े नेता अब पार्टी में सक्रिय नहीं दिख रहे। कई ने तो चुनाव बाद पार्टी मुख्‍यालय में कदम तक नहीं रखा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 07:35 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 10:00 PM (IST)
बिहार: लाेकसभा चुनाव के बाद सियासत से गुम कांग्रेस के कई बड़े चेहरे, नहीं दिखते शॉटगन जैसे नेता
बिहार: लाेकसभा चुनाव के बाद सियासत से गुम कांग्रेस के कई बड़े चेहरे, नहीं दिखते शॉटगन जैसे नेता

पटना [ एसए शाद]। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने शत्रुघ्न सिन्हा, तारिक अनवर जैसे कई दिग्गजों को पार्टी में शामिल कराया और उनमें से कुछ को प्रत्याशी भी बनाया। मगर चुनाव का नतीजा सामने आने के बाद ये बड़े चेहरे बिहार की सियासत से गुम हो गए हैं। प्रदेश में इनकी कहीं भी सक्रियता नहीं दिख रही। कुछ ने तो लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से बिहार कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में कदम भी नहीं रखा है।

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कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष मिन्नत रहमानी ने कहा कि सदाकत आश्रम आना तो दूर इन नेताओं ने तो पार्टी के किसी कार्यक्रम में हिस्सा भी नहीं लिया है। पार्टी ने मुजफ्फरपुर में बच्चों की एईएस से मौत के खिलाफ सड़क पर आंदोलन किया और फिर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर राहत कार्य चलाए। मगर इन कार्यक्रमों में दूसरे दलों से आए इन नेताओं की उपस्थिति देखने को नहीं मिली।

दो बार पटना साहिब से सांसद रहे शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा छोड़ चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में आए। उन्हें कांग्रेस का पटना साहिब से प्रत्याशी बनाया गया। पूर्णिया से एक बार सांसद रहे उदय सिंह पप्पू भी भाजपा छोड़कर आए और कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़े। इनकी सक्रियता नहीं दिख रही।

इसी प्रकार निर्दलीय विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को मुंगेर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा। नीलम देवी भी चुनाव हारने के बाद घर की चारदीवारी तक सीमित हो गईं। अब जब उनके पति बाहुबली विधायक अनंत सिंह के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई आरंभ की है तो वह लगातार कह रहीं हैं कि मुंगेर से चुनाव लडऩे के कारण पुलिस उनके पति को तंग कर रही है।

वहीं, पूर्व सांसद लवली आनंद और उनके पुत्र चेतन आनंद ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली। चेतन आनंद को पार्टी ने चुनाव के समय बनी कमेटी का सदस्य भी बनाया। मगर दोनों में से किसी को भी प्रत्याशी नहीं बनाया गया। टिकट नहीं मिलने से नाराज लवली आनंद ने तो चुनाव के समय एनडीए को समर्थन देने की घोषणा कर दी। तभी से वह सदाकत आश्रम से दूरी बनाए हुए हैं।

कटिहार से पांच बार सांसद रहे तारिक अनवर ने भी राकांपा छोडऩे के बाद चुनाव से पहले कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। वह इस बार कटिहार से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े। मगर चुनाव में हार के बाद वे एकाध बार ही सदाकत आश्रम में दिखाई दिए।

युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मंजीत आनंद साहू ने कहा कि 2010 के विधानसभा चुनाव के समय साधु यादव और लवली आनंद ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। फिर कुछ दिनों बाद वे कांग्रेस में नहीं देखे गए। लवली आंनद फिर इस बार चुनाव के समय कांग्रेस में शामिल हुईं। साहू ने कहा कि 1993 में कुर्मी चेतना रैली आयोजित कर मशहूर हुए सतीश कुमार और बिहारशरीफ के पप्पू खान ने भी इस लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का दामन थामा। मगर  ये भी कहीं गुम हो गए हैं।


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