मगध में भाजपा के 'खेवनहार' होंगे मांझी
परिवर्तन रैली में जीतनराम मांझी ने भाजपा का कर्ज उतारने की कोशिश की। गया भगवा रंग में दिखा। मुख्यमंत्री पद बचाने और उसके बाद नीतीश कुमार के खिलाफ लडऩे में भाजपा ने मांझी की मदद की थी। अब व मगध में वे भाजपा का कर्ज उतारने की काशिश करेंगे।
पटना [विनय मिश्र]। रविवार को जीतनराम मांझी ने भाजपा का कर्ज उतारने की कोशिश की। भरपूर कोशिश। गया भगवा रंग में दिखा, तो इसके पीछे मांझी की मेहनत थी। मुख्यमंत्री पद बचाने और उसके बाद नीतीश कुमार के खिलाफ लडऩे में भाजपा ने मांझी की जमकर मदद की थी। अब मांझी की बारी थी।
अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि में इस रैली को सफल बनाने के लिए मांझी गली-मोहल्लों और गांव-गांव तक अपनी 'नाव' लेकर गए थे। उनकी मेहनत रंग लाई। मगध क्षेत्र के विभिन्न जिलों से जुटी भारी भीड़ मांझी की मेहनत की तस्दीक कर रही थी। यही रंग बैलेट पेपर पर चढ़ा तो भाजपा की बल्ले-बल्ले रहेगी और मांझी की भी।
उत्साहित मांझी ने मगही में सभा को संबोधित किया।
चुन-चुनकर उन्होंने दलितों, गरीबों और मुसलमानों के लिए की गई अपनी घोषणाओं का जिक्र किया और साबित करने की कोशिश की कि नीतीश इन वर्गों के विरोधी हैं। अंत में अपना पुराना दुख याद करते हुए मांझी ने नीतीश के पोस्टर वालों नारों पर कटाक्ष कर कहा कि वे कहते हैं कि झांसे में नहीं आएं, हमें जिताएं...। हम कह रहे हैं कि नीतीश के झांसे में नहीं आएं। दरअसल, अपनी पार्टी जदयू के खिलाफ लंबी लड़ाई लडऩे वाले मांझी का राजनीतिक भविष्य इस चुनाव में दांव पर है। लिहाजा उनकी मेहनत और बढऩे वाली है।
मगध में खेवनहार रहेंगे मांझी
इस सभा से यह भी स्पष्ट हो गया है कि चुनाव के दौरान गया क्षेत्र में भाजपा जीतनराम मांझी को अपना खेवनहार बनाना चाहती है। मांझी के साथ सुविधा यह है कि वे नीतीश के खिलाफ कड़वा बोलते हैं। एकदम खरी-खरी। स्थानीय भाषा में मुहावरों और कहावतों का प्रयोग कर नीतीश के खिलाफ अपना गुस्सा निकालते हैं।
मांझी जिस वर्ग से आते हैं, वह जदयू वाले गठबंधन का वोटबैंक रहा है। भाजपा मांझी के सहारे उस बांध में भी छेद करना चाहती है। गया क्षेत्र में दलित आबादी 28 फीसद है। सबकी उन पर नजर है। मांझी अपनी पूरी ताकत इस क्षेत्र पर झोंक देंगे।
कामयाब रहा रैली का मकसद
मुजफ्फरपुर के बाद जब गया में तत्काल मोदी की रैली की चर्चा चली थी, तो पहले लोगों ने विश्वास नहीं किया। लगा इतनी जल्दी प्रधानमंत्री यहां क्यों आएंगे, लेकिन रणनीतिक तौर पर भाजपा की यह सधी चाल थी। भाजपा ने बिहार को अपनी राजनीतिक सुविधा के हिसाब से चार क्षेत्रों तिरहुत-सारण, मगध, कोसी-मिथिला व मुंगेर, बेगूसराय में बांटकर चुनावी रणनीति तैयार की।
मुख्य चुनाव अभियान से पहले हर क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की एक-एक सभा आयोजित करने की योजना तैयार की गई। तिरहुत-सारण क्षेत्र के मुजफ्फरपुर में हो सभा चुकी है। अगली सभा मगध क्षेत्र में हुई। इसके बाद संसद सत्र समाप्त होने पर कोसी-मिथिला क्षेत्र के सहरसा व मुंगेर-बेगूसराय क्षेत्र के भागलपुर में मोदी की सभाएं होंगी। गया क्षेत्र में सफल रैली ने भाजपा की इस रणनीति को सही करार दिया।