अपने एेशो-आराम के लिए मनीषा और चिरंतन ने लुटा दिया आसरा होम का फंड
पटना के आसरा शेल्टर होम कांड की आरोपी मनीषा दयाल और उसके सहयोगी चिरंतन कुमार ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि दोनों ने शेल्टर होम की राशि अपने एेशो आराम में खर्च कर दी थी।
पटना [जेएनएन]। आसरा होम चलाने वाले अनुमाया हयूमन रिसोर्सेज फाउंडेशन के सेक्रेटरी चिरंजन और डायरेक्टर मनीषा दयाल ने आसरा गृह में संवासिनों के लिए मिलने वाली रकम से खूब ऐशो-आराम किए। दोनों के पास आसरा होम चलाने के नाम पर सरकार से मिली रकम का एक रुपए का हिसाब नहीं है।
संस्था के खाते से एक माह में तीन लाख रुपए की साठ बार निकासी गई तो आसरा गृह में संसाधन उपलब्ध कराने के नाम नौ लाख रुपए डकार गए। यहां तक की पूर्व में भी पौधरोपण के नाम पर मनीषा और उसके भाई मनीष ने लाखों रुपए किसी और मद में खर्च कर दिए।
हद तो यह संवासिनों के राशन के मद की रकम को मोबाइल और गाड़ी के डीजल में खर्च कर दिया। दोनों ने पुलिस के सामने ऐसे कई चौकाने वाला खुलासा किए, जिसे सुन पुलिस भी दंग रह गई। गुरुवार को 48 घंटा रिमांड पूरा होने के बाद पुलिस ने दोनों बेउर जेल भेज दिया।
आसरा गृह में नहीं हो रहा था संवासिनों का उपचार
पुलिस की पूछताछ में चिरंतन और मनीषा आपस में कई बार उलझने का प्रयास किए। पुलिस के सवालों पर दोनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे। इस बीच पुलिस को उनके सवालों का जवाब भी मिलता रहा।
राजीव नगर स्थित आसरा गृह में संवासिनी पूनम और बबली की मौत पर भी सवाल किए गए। पुलिस ने दोनों महिलाओं की जांच और उपचार के बारे में पूछा। दोनों के चिकित्सकीय जांच की एक भी रिपोर्ट न पुलिस को बता सके और न ही उनके रिकॉर्ड में ऐसा कुछ मिली। मतलब दोनों संवासिनों का उपचार आसरा गृह में हो ही नहीं रहा था। हैरानी की बात यह है कि आसरा गृह में थेरेपी के नाम पर मिले दो लाख रुपए तक का दोनों ब्यौरा नहीं दे सके।
क्रिकेट लीग मैच आयोजन के दौरान हुई थी मुलाकात
सिटी एसपी अमरकेश डी की पूछताछ में पता चला कि मनीषा क्रिकेट लीग मैच का आयोजन कराने के नाम कई अधिकारी और सफेदपोश से मुलाकात की। इस बीच समाज कल्याण विभाग के पूर्व निदेशक सुनील कुमार से उसकी जान पहचान हुई। इसके बाद उसकी चार बार सुनील कुमार से मुलाकात हुई।
आसरा होम में विक्षिप्त महिलाओं को शरण देने के नाम पर मनीषा और चिरंजन में जमकर बंदरबांट किया। छह लाख रुपए आसरा होम को सेटअप करने के नाम पर मिला और नौ लाख रुपए संसाधन के नाम पर। दोनों के बैंक स्टेटमेंट भी पुलिस ने दिखाई और पैसे कहां कहां खर्च हुए इसका ब्यौरा मांगा तो दोनों चुप हो गए।
पुलिस की मानें तो थेरेपी तक आसरा गृह में रहने वाली संवासिनों की नहीं होती थी। पुलिस को दो टूक में जवाब दिया कि हिसाब नहीं रखते थे।
विधायक को दिए दो लाख कैश, तीन लाख बकाया
मनीषा ने पूछताछ में बताया कि ओएलएक्स से उसने कोई गाड़ी नहीं खरीदी थी। विधायक से उसने पेजोरो कैश देकर खरीदी। शुरू में दो लाख रुपए नकद दी थी। जबकि तीन लाख रुपए बाद में देना था। तीन लाख रुपए भी आसरा गृह में संवासिनों के लिए मिलने वाली रकम से तब देती, जब दूसरा किश्त सरकार खाते में भेजती।
आलम यह था कि आसरा गृह में संवासिनों का हेल्थ चेकअप नहीं होता था, बल्कि डॉक्टर से सेटिंग कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर ब्यौरा देने की योजना बनी थी।
कहा-एसएसपी, पटना ने
दोनों से सरकारी राशि का हिसाब पूछा गया। दोनों संसाधन, थेरेपी सहित अन्य मद में दो लाख रुपए रुपए का ब्यौरा नहीं दे सके। मृत पूनम और बबली का जांच रिपोर्ट भी नहीं दिखा सकी। एमओयू के हिसाब से रकम खर्च नहीं हो रहा था।
मनु महाराज, एसएसपी