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MakeSmallStrong: मेडिकल-सर्जिकल सेक्टर को मिला ग्राहकों का भरपूर साथ तो आगे बढ़ा व्यापार

पटना के अशोक राजपथ स्थित द पायोनियर सर्जिकल वर्क्स के प्रोपराइटर अरुण गुप्ता मेडिकल सेक्टर के बारे में बताते हैं कि लॉकडाउन के शुरुआत में कारोबार में खूब वृद्धि हुई। हालांकि बाद में कई तरह की छूट मिलने और ग्राहकों के सहयोग से बाजार स्थिर हुआ।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 12:30 AM (IST)
MakeSmallStrong: मेडिकल-सर्जिकल सेक्टर को मिला ग्राहकों का भरपूर साथ तो आगे बढ़ा व्यापार
अशोक राजपथ स्थित द पायोनियर सर्जिकल वर्क्स के प्रोपराइटर अरुण कुमार गुप्ता।

पटना, जेएनएन : लॉकडाउन के दौरान हर क्षेत्र के व्यापार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। मेडिकल सेक्टर भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। शुरुआती दौर में जहां पैनिक वाइंग हुई, इससे कारोबार में ऐसी वृद्धि हुई कि स्टॉक ही खत्म हो गया। सीधे कहें तो आसमानी कारोबार एक तरह से जमीन पर आ गया। हालांकि, बाद में कई तरह की छूट मिलने, और ग्राहकों के सहयोग से बाजार स्थित हुआ। अब कारोबार संतोषजनक हो रहा है। आगे और सुधार की गुंजाइश भी बनी हुई है। यह कहना है अशोक राजपथ स्थित द पायोनियर सर्जिकल वर्क्स के प्रोपराइटर अरुण कुमार गुप्ता का। 

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लॉकडाउन के शुरुआत में तेजी

कोरोना की वजह से लॉकडाउन शुरु होते ही मेडिकल सेक्टर में खरीदारी जोरदार ढंग से बढ़ी। शुरुआत में मानक तय नहीं थे इसलिए एक तरह से कहें तो दुकान ही खाली हो गई। भगदड़ जैसी स्थिति थी। फिर सरकार की ओर से कमेटी बनी। दवा दुकान खोलने की अनुमति मिली तो बाजार तो स्थिर हुआ लेकिन दुकान खाली हो गई थी। इस बीच आपूर्ति चेन भी प्रभावित थी। ऑक्सीजन सिलेंडर, पल्स ऑक्सीमीटर जैसे उपकरणों की आपूर्ति में थोड़ी दिक्कत आई। हालांकि, शीघ्र ही इस पर काबू भी पा लिया गया। ट्रांसपोर्ट बंद होने से आपूर्ति ही ठप हो गई। बाद में आवश्यक वस्तुओं के लिए ट्रांसपोर्ट खोला गया। इसके साथ ही आपूर्ति चेन दुरुस्त हुई। लेकिन इस बीच करीब एक से डेढ़ माह तक उथल-पुथल की स्थिति से गुजरना पड़ा। 

मानकों के साथ शुरू हुआ कारोबार : 

कोरोना संक्रमण को लेकर तय मानकों का पालन करते हुए दोबारा कारोबार शुरू हुआ। हैंड सैनिटाइजर, ग्लव्स, शरीरिक दूरी का पालन किया गया। अरुण कुमार गुप्ता कहते हैं, मैंने अपनी दुकान में साबुन से हाथ धोने का इंतजाम किया। ग्राहकों की ओर से भी इस व्यवस्था की सराहना की गई। हैंड सैनिटाइजर की तुलना में इसे ग्राहकों ने पसंद किया। धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे ,उनका भरोसा बढ़ा, तो पूरा सहयोग मिला और कारोबार में सुधार होने लगा। 

डिजिटल हुआ कारोबार : 

कुछ ग्राहक हमसे दूर थे। वे कोरोना संक्रमण को देखते हुए और लॉकडाउन की वजह से दुकान पर आना नहीं चाहते थे। ऐसे में हमने इंडिया पोस्ट के जरिए उनके ऑर्डर किए हुए उत्पाद की आपूर्ति की और उन्होंने ऑनलाइन पेमेंट किया। वाट्सएप ग्रुप बनाकर भी कारोबार हुआ, जो पटना के बाहर के कस्टमर थे उन्होंने फोन से ऑर्डर किया और हमने उन्हें डाक के जरिए मेडिकल-सर्जिकल वस्तुओं की आपूर्ति की। अरुण कुमार गुप्ता कहते हैं, इस तरह से कारोबार पटरी पर आने लगा। 

सामाजिक दायित्व का भी किया गया निर्वाह : 

अरुण कुमार कहते हैं, कोरोना काल में सामाजिक दायित्व का भी निर्वाह किया गया। इस दौरान जरूरतमंद लोगों  में 1000 फूड पैकेट का वितरण संत माइकल अल्मनॉय स्कूल के जरिए किया गया। मैं कभी इसी स्कूल का छात्र हुआ करता था। इसके अलावा जो भी संभव हुआ, जरूरतमंदों का सहयोग किया गया। सबसे अच्छी बात रही कि इस कार्य में मेरे स्टॉफ भी जी-जान से जुटे रहे। 

लौट आई है रौनक : 

अरुण कुमार गुप्ता कहते हैं, अब संतोषजनक कारोबार हो रहा है। करीब 70 फीसद कारोबार हो रहा है। शीघ्र ही कारोबार का दायरा पूर्ण आकार ले लेगा। उन्होंने कहा कि अभी कंपनियों का प्रोडक्शन पूरी क्षमता से नहीं हो रहा है। अधिकांश कंपनियां लेबर की समस्या से जूझ रही हैं। इसलिए आपूर्ति कम है, लेकिन मांग बनी हुई है। कंपनियों की ओर से आपूर्ति पूरी क्षमता से होने के साथ ही कारोबार पटरी पर आ जाएगा। 

सीखने का दौर जारी है: 

अरुण कुमार गुप्ता का जन्म स्थान पटना ही है। यहीं उनकी शिक्षा हुई। वाणिज्य महाविद्यालय से उन्होंने स्नातक किया। और सीधे अपने पुश्तैनी कारोबार से जुड़ गए। उन्होंने कहा कि यह 72 साल पुराना प्रतिष्ठान है। मेरे पिता ओम प्रकाश गुप्ता ने इसकी नींव रखी थी। यह बिहार की पहली सर्जिकल प्रतिष्ठान भी है। 50 साल से मैं इसकी बागडोर संभाल रहा हूं। बहुत कुछ सीखना पड़ा। यह बहुत व्यापक सेक्टर है। रोज नया रिसर्च होता है। इसे समझना पड़ता है। समझिये तो एक छात्र की तरह अध्ययनरत रहना होता है। मैं इस दिशा में लगातार संघर्ष करता रहा। आज भी यह सिलसिला जारी है। साथ ही ग्राहकों के साथ पारिवारिक रिश्ता बनाकर ही व्यापार को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसे भी मैं गंभीरता से लेता हूं। आज का व्यापार बहुत प्रतिस्पर्धी भी हो गया है। लिहाजा व्यापार की हर चुनौतियों से जूझना मेरी आदत में शामिल है।


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