Move to Jagran APP

लालू के जेल जाने पर मुश्किल में महागठबंधन, दिखने लगी राजद-कांग्रेस की दरार

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद महागठबंधन की मुश्किलें बड़ गईं हैं। राजद व कांग्रेस की दरार भी दिखने लगी है। पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 08:07 PM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 11:28 PM (IST)
लालू के जेल जाने पर मुश्किल में महागठबंधन, दिखने लगी राजद-कांग्रेस की दरार
लालू के जेल जाने पर मुश्किल में महागठबंधन, दिखने लगी राजद-कांग्रेस की दरार
style="text-align: justify;">पटना [अरविंद शर्मा]। भाजपा-जदयू के खिलाफ बिहार में राजद-कांग्रेस और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का गठबंधन है, किंतु मित्र दलों की सियासी कुंडलियां मेल नहीं खा रही हैं। तीनों के मकसद और मंजिल एक हैं। राजग को परास्त करने की रणनीति और रास्ते भी एक हैं। इन समानताओं के बावजूद घटक दलों के ग्रह-नक्षत्रों की चाल एक-दूसरे की लाइन से टेढ़ी चलती दिख रही है।
चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद के जेल जाने और राज्यसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में कांग्रेस कुछ ज्यादा ही मुखर-प्रखर नजर आ रही है।
कांग्रेस ने लालू विरोधी रहे प्रेमचंद मिश्र को बनाया एमएलसी
ताजा मामला विधान परिषद चुनाव का है। 27 विधायकों वाली कांग्रेस ने अपने हिस्से में आई एकमात्र सीट से प्रेमचंद मिश्रा को विधान परिषद सदस्‍य (एमएलसी) बनाकर राजद के रास्ते से अलग चलने का संकेत दिया है। कांग्रेस की कवायद पर गौर फरमाएं तो उसकी नीति, नीयत और रणनीति स्पष्ट हो जाती है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उसी प्रेमचंद मिश्रा का नाम विधान परिषद के लिए आगे किया है, जिन्होंने कभी चारा घोटाले में लालू प्रसाद के खिलाफ सीबीआइ जांच के लिए पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी।
हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौकब कादरी इससे इन्‍कार करते हैं। उनके मुताबिक प्रेमचंद तब चारा घोटाला की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट गए थे, न कि लालू प्रसाद के खिलाफ। वह यह भी स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस कभी भ्रष्टाचार की लाइन पर नहीं चल सकती। हमारी अपनी रीति-नीति है।
बहरहाल, प्रेमचंद कभी भी लालू के करीबी नहीं रहे। तीन दशकों से बिहार कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके प्रेमचंद हाल के कुछ वर्षों से पार्टी के प्रेम से भी वंचित थे, लेकिन अचानक आलाकमान की मेहरबानी ने उन्हें उस सदन का सदस्य बना दिया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी होंगी और तकरीबन तीन वर्षों तक उन्हें प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से दूर रखने वाले अशोक चौधरी भी।
कांग्रेस का संकेत स्‍पष्‍ट
जाहिर है, प्रेमचंद के बहाने कांग्रेस संकेत देने की कोशिश करती दिख रही है कि गठबंधन की मजबूरियां अलग हो सकती हैं, किंतु भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वह किसी से कोई समझौता नहीं करने वाली। उसकी तैयारी बिहार में राजद का पिछलग्गू बनने की नहीं है।
नहीं दिख रही दोस्ती में गरमाहट
पुराने कांग्रेसियों की वापसी के लिए पहले आमंत्रण यात्रा और अब विधान परिषद चुनाव में दोनों के रणनीतिक फासले बता रहे हैं कि संबंधों की गरमाहट कम हो रही है। राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के मकसद राजद से जुड़े हुए थे। उसे एक सीट निकालने के लिए कम से कम 35 वोट चाहिए थे, जिसका प्रबंध राजद से मदद लिए बिना नहीं किया जा सकता था। ऐसे में संबंधों में गर्मजोशी बरकरार रही। दोनों दलों ने साथ-साथ नामांकन किया था।
किंतु विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस अपने बूते एक सीट निकालने में सक्षम थी। इसलिए जरूरत खत्म तो गर्मजोशी भी हाशिये पर। कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद मिश्रा जब 16 अप्रैल को पर्चा भरने गए थे तो राजद का कोई भी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.