बालिका गृह मामला: ब्रजेश की राजदार मधु खोलेगी गहरे राज, कइयों पर अब गिरेगी गाज
बालिका गृह कांड मामले में मधु के मोबाइल की कॉल डिटेल्स खंगाल रही सीबीआइ को कई एेसे नंबर्स मिले हैं जिससे कई अधिकारी और रसूखदार पर गाज गिर सकती है। मधु इस केस की अहम कड़ी है।
पटना, जेएनएन। मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण कांड मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और कहा कि ये शर्म की बात है कि इस केस को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया, इस मामले में एफआइआर तक ठीक से दर्ज नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट के रूख को देखकर लगता है कि कोर्ट इस मामले में बिहार सरकार को कतई बख्शने को तैयार नहीं है।
केस की अहम कड़ी है ब्रजेश की राजदार मधु
बालिका गृह में कम से कम 30 लड़कियों का खौफनाक तरीके से यौन शोषण करने का सनसनीखेज मामला सामने आया था, जिसकी जांच सीबीआइ कर रही है और सुप्रीम कोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग खुद कर रहा है। इस मामले की अहम कड़ी ब्रजेश ठाकुर की राजदार रही मधु से पूछताछ में कई अहम खुलासे हो रहे हैं।
सीबीआइ मधु की गिरफ्तारी को बड़ी कामयाबी मान रही है। वैसे मधु की गिरफ्तारी या सरेंडर जो भी कह लें, बड़ा ही नाटकीय ढंग से हुआ। इतने दिनों से जिसका कोई पता-ठिकाना नहीं था वो अचानक प्रकट हो गई और उसने सीबीआइ की अॉफिस में सरेंडर कर दिया। बाद में पता चला कि सीबीआइ ने उसे गिरफ्तार किया है।
लड़कियों को देती थी रसूखदारों के पास जाने की ट्रेनिंग
सीबीआइ के अधिकारियों ने बताया कि मधु की गिरफ्तारी इस केस में काफी अहम है। पूछताछ के दौरान जांच एजेंसी को यह पता चला कि “वह बालिका गृह की नाबालिग लड़कियों को ट्रेनिंग देती थी और उन्हें रसूखदार और अधिकारियों के घर फुसलाकर भेजा करती थी। मधु ने आत्मसमर्पण करने से पहले संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि वह निर्दोष है और उसका नाम एफआइआर तक में नहीं है।
मधु के का मोबाइल खोलेगा राज, बढ़ेगी अधिकारियों की परेशानी
सीबीआइ ने जब मधु से पूछताछ शुरू की तो उसने बड़ी ही चालाकी से अपना बयान दिया और कहा कि वो ब्रजेश ठाकुर की राजदार नहीं, बस एक कर्मचारी थी। सीबीआइ की जांच में पता चला है कि मधु ने कई बार अपना मोबाइल नंबर बदला है। उसके सभी मोबाइल नंबर का कॉल डिटेल सीबीआइ ने निकाला है। जिसे देखकर सीबीआइ को भी हैरानी हो रही है।
मधु ने राज्य सरकार के कई अधिकारियों सहित कई रसूखदारों से लंबी बातचीत की है। अब सीबीआइ की टीम इनलोगों के घर पर भी दस्तक दे सकती है। मधु के मोबाइल से समाज कल्याण विभाग से भी जुड़े कई अधिकारियों के नंबर मिले हैं। इन अधिकारियों और रसूखदारों की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। सीबीआइ ने वर्ष 2013 से मधु के मोबाइल का डिटेल निकाला है।
मधु पर मेहरबान रहे जनप्रतिनिधि
ब्रजेश ठाकुर की सबसे करीबी राजदार मधु का समाज कल्याण विभाग में दबदबा था। अधिकारियों के साथ-साथ कई बड़े नेताओं व जनप्रतिनिधियों से भी उसके मधुर रिश्ते थे। वह इसका फायदा भी उठाती रही। बताया गया कि हर दिन वह कलेक्ट्रेट परिसर के विभिन्न विभागों में आती-जाती दिख जाती थी।
2011 में कोलकाता के एक एनजीओ ने रेडलाइट इलाके में सेक्स वर्करों पर सरकार के प्रोजेक्ट के तहत काम करना शुरू किया तो मधु उसके खिलाफ साजिश रचने में लग गई। उक्त एनजीओ पर 48 लाख रुपये के घोटाले का आरोप लगाकर वरीय अधिकारियों के यहां शिकायत की।
उसके बाद कई नेताओं व जनप्रतिनिधियों से भी उनके लेटर पैड पर विभाग के वरीय अधिकारियों को पत्र भेजवाने काम मधु ने किया। पत्र में भी उक्त संस्थान के विरुद्ध घोटाले का इन जनप्रतिनिधियों ने जिक्र किया है।
उनके दबाव में विभाग के अधिकारियों ने मधु के पक्ष में आकर कोलकाता के उक्त संस्थान के विरुद्ध जांच रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को भेज दी।
नतीजा रहा कि इन सभी रवैये से आजिज होकर उक्त संस्थान को यहां से बोरिया बिस्तर बांधकर भागना पड़ा। इन सभी कारणों से मधु कुछ ही दिनों में ब्रजेश के साथ-साथ विभाग के कई अधिकारियों की भी चहेती बन गई।
इस तरह आई थी ब्रजेश के संपर्क में
मधु ‘लालटेनपट्टी’ उजड़ने के बाद पहली बार ब्रजेश ठाकुर के संपर्क में आई थी। मधु ब्रजेश ठाकुर के संगठनों को देखने, चलाने का काम करती थी।
मधु तब ब्रजेश के संपर्क में आयी थी जब 2001 में प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी दीपिका सूरी ने मुजफ्फरपुर के रेडलाइट एरिया चतुर्भुज स्थान इलाके में चल रहे देह व्यापार को ‘ऑपरेशन उजाला’ चलाकर खत्म कर दिया था। अभियान में कई तहखाने मिले, जहां लड़कियों को छुपाकर रखा गया था। मुख्य सरगना के रूप में अनवर मियां का नाम सामने आया।
मधु के हाथ संगठन की कमान
मोहल्ला सुधार समिति की देखरेख में वहां जागरूकता अभियान चलने लगा। सेवा संकल्प विकास समिति सक्रिय हुई। उसके बाद ब्रजेश ठाकुर ने वहां के समुदाय आधारित संगठन वामा शक्ति वाहिनी का गठन कर उसकी कमान मधु को दे दी। संगठन में प्रमुख सहयोगी मधु की बहन माला, कल्लो बेगम आदि महिलाएं काम करने लगीं।
मोहल्ले में बिकने वाली लड़कियों को मुक्त कराना, एचआइवी एड्स के लिए जागरूक करना, इस संगठन ने अपना मुख्य काम बनाया। मधु के माध्यम से ब्रजेश ने वहां पैठ बनाई। बाद में बालिका सुधार गृह खुल गया। जहां लड़कियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ।
नहीं आता था कोई देखने
सेंटर से बच्चियों के खरीद फरोख्त का धंधा भी पर्दे के पीछे चलने की बात दबी जुबान सामने आई। रेडलाइट एरिया में केंद्र खुलने के बाद लोगों में यह चर्चा रही कि यह सबसे सुरक्षित जगह है। पहले बनारस का एक ‘रईस’ कोठे पर आता था। उसके घर पर खुला सेंटर। इस कमाई से मधु ने अपनी जमीन ली और मकान बनाया। मोहल्ले के ही एक लड़के से शादी की। हालांकि, बाद में उससे रिश्ता ठीक-ठाक नहीं रहा।इधर, ब्रजेश ठाकुर जहां भी जाने को कहता मधु वहां जाती।
महिला प्रशिक्षण केंद्र की आड़ में होता था‘खेल’
तीन कोठिया स्थित रानी लॉज में यह संस्था वर्षो तक चली। बाद में आनन-फानन इसे बंद कर दिया गया। इस केंद्र की गतिविधियां संदिग्ध होने की वजह से स्थानीय लोगों में इसे लेकर काफी चर्चा थी। यहां न केंद्र का बोर्ड था और न ही संचालित करनेवाली संस्था का। केंद्र के अंदर आने-जानेवाले को लेकर काफी सख्ती बरती जाती। केंद्र के संचालन का जिम्मा भी मधु के जिम्मे था।
हर शाम ब्रजेश ठाकुर इस केंद्र पर आता था। उसके आते ही यहां की सिक्युरिटी और कड़ी हो जाती थी। वह यहां काफी देर तक रहता था। स्थानीय लोगों की मानें तो शाम होते ही यहां बड़ी-बड़ी गाड़ियां आकर रुकती थीं। लड़कियां व महिलाएं उसी में सवार होकर चली जाती थीं। सुबह में फिर उन्हीं गाड़ियां से लौटती थीं। संस्था को कई दबंगों व रसूखदारों का समर्थन था, जिसकी वजह से मोहल्ले के लोग चुपचाप रहते थे।