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बिहार: मधेपुरा सीट है यादवों की, कभी शरद ने लालू को हराया था, इस बार पप्पू से भिड़ंत

लोकसभा चुनाव में बिहार के मधेपुरा सीट पर ज्यादातर यादवों ने जीत दर्ज की है। कभी इसी सीट पर लालू यादव को हराने वाले शरद यादव खुद राजद के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे तो सामने पप्पू हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 10:49 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 02:18 PM (IST)
बिहार: मधेपुरा सीट है यादवों की, कभी शरद ने लालू को हराया था, इस बार पप्पू से भिड़ंत
बिहार: मधेपुरा सीट है यादवों की, कभी शरद ने लालू को हराया था, इस बार पप्पू से भिड़ंत

पटना [काजल]। कभी मधेपुरा लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को हराने वाले शरद यादव इस बार राजद के ही झंडे को लेकर चुनावी मैदान में हैं। मधेपुरा में शरद यादव को जन अधिकार पार्टी (जाप) के पप्पू यादव तो एनडीए के दिनेशचंद्र यादव से कड़ी टक्कर मिल रही है। मधेपुरा लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है।
तेजस्वी की वजह से पप्पू यादव को नहीं मिली महागठबंधन में एंट्री
पप्पू यादव ने महागठबंधन में शामिल होने की पूरी कोशिश की लेकिन, तेजस्वी के विरोध के चलते उन्हें महागठबंधन में एंट्री नहीं मिली। इससे नाराज पप्पू यादव ने अपनी ही पार्टी जाप से चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। मधेपुरा से पप्पू यादव के चुनाव लड़ने की वजह से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। 23 अप्रैल को इस सीट पर वोटिंग होनी है।

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मधेपुरा में 2014 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा की हार हुई थी
2014 में मोदी लहर के बावजूद मधेपुरा सीट पर भाजपा की हार हुई थी। राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव ने जदयू प्रत्याशी शरद यादव और भाजपा के विजय कुमार सिंह को हराया था। इससे पहले 2004 में लालू यादव के इस्तीफे के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में पप्पू यादव ने शरद यादव को हराया था। 
मधेपुरा में सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड शरद यादव के नाम
मधेपुरा से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड शरद यादव के नाम है। वे यहां से चार बार सांसद चुने गए हैं। मध्यप्रदेश के रहने वाले और बिहार को अपनी राजनीतिक जमीन बनाने वाले शरद यादव 1991 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे।

उन्होंने मधेपुरा से 1996, 1999 और 2009 में भी जीत दर्ज की और सांसद चुने गए। 1999 में शरद ने लालू प्रसाद को करीब 30 हजार वोटों से हराया था। हालांकि, शरद को इस सीट से चार बार हार का मुंह भी देखना पड़ा है। 1998, 2004 में लालू प्रसाद और 2004 (उपचुनाव), 2014 में पप्पू यादव ने शरद यादव को पटखनी दी।
जदयू से अलग होकर शरद ने अपनी पार्टी भी बनाई
वीपी सिंह और अटल सरकार में मंत्री रहे शरद यादव ने जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल बनाई थी। जदयू के महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ दोबारा सरकार बनाने की वजह से शरद नीतीश से काफी नाराज थे। इसी वजह से शरद ने नई पार्टी बना ली और महागठबंधन में शामिल हो गए।

महागठबंधन में हुए सीटों के बंटवारे में एक सीट शरद यादव को मिली और फैसला हुआ कि वे राजद के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। इलेक्शन के बाद उनकी पार्टी का विलय राजद में हो जाएगा।
14 लोकसभा चुनाव में 12 बार मधेपुरा से यादव ही चुने गए
1967 से 2014 तक मधेपुरा सीट पर हुए आम चुनावों में 12 बार यादव चुने गए हैं। 1967 और 1977 लोकसभा चुनाव में यहां से बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल चुने गए। इस सीट से 4 बार शरद यादव, 2 बार लालू प्रसाद यादव, 2 बार पप्पू यादव, 2 बार राजेंद्र प्रसाद यादव और एक-एक बार महाबीर प्रसाद यादव और रमेश प्रसाद यादव को मौका मिला।
मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनबरसा, सहरसा और महिषी। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 पर जदयू और 3 पर राजद की जीत हुई थी।


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