'वैशाली की नगरवधू' को 70 साल बाद भी वही दुलार
हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच सजी किताबों की दुनिया पाठकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है
पटना। हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच सजी किताबों की दुनिया पाठकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। 'किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशे से बड़ी हसरत से तकती है महीने अब मुलाकात नहीं होती' शायर गुलजार का यह शेर गांधी मैदान के पुस्तक मेले में साकार हो रहा है। खुले आकाश के नीचे साहित्य की दुनिया ऐसी बसी है, जिसमें बच्चे और बड़े सभी एक हो गए है। ंआचार्य चतुरसेन शास्त्री की 1950 के दशक में प्रकाशित पुस्तक 'वैशाली की नगर वधू' को 70 साल बाद भी लोग उतनी ही शिद्दत से ढूंढते नजर आए।
सीआरडी पुस्तक मेला के दूसरे दिन शनिवार को दोपहर बाद से पाठकों की भीड़ पूरा परिसर पटा था। पुस्तक मेले में आने वाले हर उम्र के लोग जहां एक ओर अपनी पसंद की पुस्तकों को खोजते नजर आए तो दूसरी ओर नुक्कड़ नाटक, साहित्यिक संगोष्ठी का भी भरपूर आनंद उठाया। वही बच्चों ने भी तुलसी मुक्ताकाश मंच के नीचे मेले के थीम 'पेड़, पानी और जिदंगी' पर पेंटिंग पोस्टर प्रतियोगिता में भाग लेकर कागज पर एक से बढ़कर एक कलाकृतियां उकेरकर अपनी प्रतिभा का जमकर प्रदर्शन किया।
विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने दिखाई प्रतिभा -
सीआरडी पटना पुस्तक मेले में बने तुलसी मुक्ताकाश मंच के नीचे पोस्टर डिजाइन प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। प्रतियोगिता के संयोजक अमिताभ पांडेय ने कहा कि प्रतियोगिता में 12 स्कूल के बच्चों ने भाग लेकर पर्यावरण सरंक्षण के प्रति एक से बढ़कर एक कलाकृति बनाकर सभी का मन मोह लिया। प्रतियोगिता के दौरान बेहतर पेंटिंग करने वाले प्रतिभागियों में नोट्रेडम एकेडमी की साक्षी कुमारी, लिट्रा वैली स्कूल के पंखुड़ी अग्रवाल, डीपीएस के सूर्याश कुमार के साथ अन्य प्रतिभागी को पुरस्कृत कर हौसला बढ़ाया गया।
मेले में दिखा भ्रष्टाचार -
पाठकों को आनंदित करने के लिए पुण्यार्क कला निकेतन पंडारक के कलाकारों ने विजय आनंद के निर्देशन में 'ईमानदारी ही सर्वोपरि' नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की। कलाकारों ने अपने अभिनय के द्वारा बताया कि किसी प्रकार देश और समाज में भ्रष्टाचार व्याप्त है। भ्रष्टाचार सिपाही एक गरीब औरत से उसकी मुर्गी चोरी होने पर उससे रिश्वत मांगता है। महिला अपने न्याय के लिए आगे बढ़ कर सिपाही को उसे सजा दिलाती है। प्रस्तुति के दौरान राजेश कुमार, कुंदन कुमार गुप्ता, वीणा गुप्ता, प्रियंका देवी, आकांक्षा सिन्हा आदि कलाकारों ने बेहतर प्रस्तुति देकर पुस्तक प्रेमियों का ईमानदारी का भी पाठ पढ़ाया।
लेखिका डॉ. शांति जैन से पाठक हुए रूबरू -
पुस्तक मेले में बने तुलसी मुक्ताकाश मंच पर आसीन शहर की वरिष्ठ लेखिका डॉ. शांति जैन से पाठक रूबरू हुए। उनके व्यक्तित्व के बारे में किशोर सिन्हा से बातचीत करते हुए पुस्तक प्रेमियों को अवगत कराया। आकाशवाणी के अधिकारी किशोर सिन्हा ने कहा कि शांति जैन का व्यक्तित्व बहुत बड़ा और व्यापक है। इनसे नई पीढ़ी को सीखने की जरूरत है। शांति जैन ने कहा कि डॉ. समर बहादुर सिंह की पहल पर आकाशवाणी में 35 एपिसोड का पाठ किया था। साहित्य लेखन पर डॉ. जैन ने कहा कि साहित्य के प्रति बचपन से ही लगाव था। बचपन के दिनों में वे छोटी-बड़ी कविताएं लिखती थी। साथ ही फिल्मी धुनों पर गीत भी लिखा करते थे। कार्यक्रम के दौरान पुस्तक प्रेमियों ने लेखिका से साहित्य लेखन के बारे में जानकारी ली। पाठकों को संबोधित करते हुए लेखिका ने कहा लिखने से पहले खूब पढ़ने की जरूरत है।
मानस बनी पुस्तक प्रेमियों की पहली पसंद -
पुस्तक मेले में विभिन्न स्टॉलों पर एक अलग-अलग प्रकाशकों की ओर विज्ञान, साहित्य, कला, धर्म आदि से जुड़ी कई पुस्तकें लगी हैं। ऐसे में शनिवार को पाठकों का प्रेम 'रामचरित मानस' के प्रति खूब उमड़ी। नोवेल्टी प्रकाशन के स्टॉल पर गीता प्रेस से छपी पुस्तक 'मानस' का पाठकों ने खूब खरीदारी। स्टॉल संचालक मुकेश कुमार ने कहा कि मानस के प्रति युवाओं का प्रेम खूब बढ़ा है। पहले जहां बुजुर्ग लोग मानस को पढ़ते थे, वही युवाओं में इसको लेकर काफी क्रेज है। स्टाल संचालक ने कहा कि शनिवार को 10 से अधिक प्रति मानस की बिक गई है।
मेले में पाठक खोजते रहे भिखारी -
पुस्तक मेले में युवाओं की भीड़ सबसे अधिक दिखी। युवाओं की टोली भोजपुर के शेक्सपियर कहे जाने वाले 'भिखारी ठाकुर' पर रचनाएं खोजने में लगी थी। साहित्य अकादमी प्रकाशन के स्टॉल पर तैयब हुसैन पीड़ित लिखित 'भिखारी' पुस्तक मेले में खूब बिकी। स्टॉल के संचालक अनुपम व धर्मेद्र कुमार ने कहा कि कीमत कम होने के साथ रंगमंच और साहित्य से जुड़े लोग इन पुस्तकों को पसंद किया है। वही राजपाल एंड संस प्रकाशन से आचार्य चतुरसेन शास्त्री लिखित पुस्तक 'वैशाली की नगर वधू' मेले में पाठकों की पसंद बनी। वही मेले में भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन के धर्मवीर भारती की पुस्तक 'गुनाहों का देवता' युवाओं को काफी पसंद आई।
पुस्तकों की खरीदारी के साथ लजीज व्यंजनों का आनंद -
मेले में आने वाले लोग पुस्तकों की खरीदारी के साथ लजीज व्यंजनों का भी लोगों ने जमकर आनंद उठाया। मेले में खाने-पीने के कई स्टॉल लगे हैं। इसमें सरसों का साग और मक्का की रोटी को लोग खूब पसंद किए।
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पहली बार पुस्तक मेले में आया हूं। यहां पर हर प्रकार की पुस्तकें हैं। मैंने फाइनेंस के लिए 'रिच एंड पुअर डैड' पुस्तक पसंद की है। मेला का आयोजन काफी बेहतर है।
अंकित राज, छात्र
काफी दिनों से पुस्तक मेला का इंतजार कर रही थी। मेले में मुंशी प्रेमचंद की रचना गोदान पसंद आई। मेले में आने के बाद समय कैसे बीत जाता है पता हीं नहीं चल पाता।
अंशिका, छात्रा
यह मेला सभी के लिए उपयोगी है। मेले में अभिभावक अपने बच्चों को जरूर लाएं, जिससे उनका पुस्तकों के प्रति प्रेम बना रहे। पर्यावरण थीम पर आधारित पुस्तक मेला लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करेगा।
दिलीप कुमार, रेल अधिकारी