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भगवान राम की शिक्षा स्थली पर लगा अद्भुत मेला, हर ओर बंटा लिट्टी-चोखे से बना प्रसाद Buxar News

बक्सर के किला मैदान पर गुरुवार को लिट्टी-चोखा महोत्सव मनाया गया। आयोजन के लिए दूर-दराज से लोग आए ओर प्रसाद बनाया फिर भोग लगाया।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 09:16 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 09:16 AM (IST)
भगवान राम की शिक्षा स्थली पर लगा अद्भुत मेला, हर ओर बंटा लिट्टी-चोखे से बना प्रसाद Buxar News
भगवान राम की शिक्षा स्थली पर लगा अद्भुत मेला, हर ओर बंटा लिट्टी-चोखे से बना प्रसाद Buxar News

कंचन किशोर, बक्सर। किला मैदान का नजारा गुरुवार को बदला-बदला नजर आया। हर ओर लिट्टी-चोखे के प्रसाद की सोंधी खुशबू आती रही। जिधर नजर डालो उधर भोजपुरी पकवान बनता दिखा। बक्सर में पंचकोश यात्रा का आज अंतिम था। मान्यता है कि जनकपुर जाने के पहले राम-लक्ष्मण विश्वामित्र की नगरी में लिट्टी-चोखा का स्वाद चख गए थे। गुरुवार को चरित्रवन में हजारों श्रद्धालुओं ने वहीं प्रसाद बनाकर अपने भगवान को चढ़ाया और ग्रहण किया। स्थानीय लोग इस महोत्सव को लिट्टी-चोखा महोत्सव के रूप में भी जानते हैं।

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पांच दिन तक बनता है अलग-अलग प्रसाद

प्रभु श्रीराम की शिक्षा स्थली बक्सर में पंचकोश यात्रा के दौरान पांच दिन तक अलग-अलग प्रसाद बनता है। पहले दिन पुआ, दूसरे दिन खिचड़ी, तीसरे दिन दही चूड़ा औऱ चौथे दिन सत्तू का भोग लगाया जाता है। इसके लिए दूर-दराज से लोग शामिल होते हैं। गुरुवार को किला मैदान में राज्य के आसपास के इलाकों से लेकर उत्तर प्रदेश से भी लोग शामिल हुए।

इसके लिए मैदान में करोड़ों गोईंठा (उपले) की व्यवस्था थी। आटा, सत्तू और अन्य सामान की गठरी बांधे लोग मेले में पहुंचे। चोखे के लिए आलू, बैंगन, धनिया, मिर्च, नमक आदि तथा लिट्टी के लिए आटा, सत्तू आदि की दुकानें जगह-जगह सजी। बुधवार की देर शाम से ही शाहाबाद के अन्य जिलों व उत्तर प्रदेश के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। पांच दिवसीय पंचकोस यात्र गुरुवार को चरित्रवन पहुंची।

हर साल अगहन माह में लगता है मेला

पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम और लक्ष्मण विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर आए थे। ताड़का और सुबाहु समेत अनेक राक्षसों का वध किया था। इसके बाद सिद्धाश्रम में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम में उनसे आशीर्वाद लेने गए थे। रात्रि विश्रम के दौरान ऋषियों ने उन्हें जो पकवान खाने को दिए, उन्हें ही पंचकोस यात्र के दौरान श्रद्धालु प्रभु को भोग लगा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। पहले पड़ाव अहिरौली में पुआ, दूसरे नदांव में खिचड़ी, तीसरे भभुअर में चूड़ा-दही, चौथे नुआंव में सत्तू-मूली और अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टी-चोखा का प्रसाद चढ़ाया जाता है।


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