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बिहारः राजगीर के वेणुवन में मुस्कुरा रहे भगवान बुद्ध, हरे बांस के झुरमुट से आती हवाओं में अजीब सी ताजगी

बिहार के राजगीर (नालंदा) के वेणुवन को सार्वभौमिक रूप से रमणीक सौंदर्य का केंद्र बताया गया है। भगवान‌ बुद्ध ने यहां शिष्यों के साथ अनेक वर्सावास बिताए और चातुर्मास किए थे। जानें इस ऐतिहासिक स्थल का महत्व। -

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 12:31 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 12:31 PM (IST)
बिहारः राजगीर के वेणुवन में मुस्कुरा रहे भगवान बुद्ध, हरे बांस के झुरमुट से आती हवाओं में अजीब सी ताजगी
राजगीर के वेणुवन के परिसर का दृश्य। जागरण।

जागरण टीम, नालंदा। "रमणीयं आनन्दं राजगृहं, रमणीये वेजुवणे कलन्दक निवाणों..."अर्थात आनन्ददायी राजगीर रमणीय है, और रमणीय है वेणुवन का कलन्दक सरोवर। भगवान बुद्ध के इस कथन को समेटे बौद्ध ग्रंथ दीर्घ निकाय महापरिनिब्बानसुत्तं में वेणुवन को सार्वभौमिक रूप से रमणीक सौंदर्य का केंद्र बताया गया है।  भगवान‌ बुद्ध ने यहां शिष्यों के साथ अनेक वर्सावास बिताए और चातुर्मास किए थे। 2600 वर्ष पूर्व के उन महान क्षणों और वेणु वन के प्राकृतिक सौंदर्य को 2021 में अमल में ले आया गया है। लगभग 27 करोड़ की लागत से वेणुवन विहार का विस्तार सह सौंदर्यीकरण किया गया है। यहां भगवान बुद्ध एक बार पुनः मुस्कुराने लगे हैं।

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बुद्धकाल में यह बांस का वन हुआ करता था।‌ इसलिए बौद्ध साहित्य की पाली भाषा में वेणु अर्थात बांस, वन यानी जंगल की संज्ञा दी गई थी। इसी तर्ज पर लगभग छह हजार की संख्या में बांस के नए पौधे लगाकर इसका सौंदर्यीकरण किया गया है। यहां आज भी तप मुद्रा में विराजमान भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष ध्यान मग्न होने पर अलौकिकता का अनुभव तो होता है। वहीं विभिन्न प्रजातियों के लहलहाते हरे बांस के झुरमुट छन कर आती हवाओं में अजीब सी ताजगी होती है। जिससे सांसें सुरभित और मन पुलकित हो जाता है।  

लहलहा रहे सैकड़ों खुशबूदार पौधे 

वेणुवन भू-खंड को चारों ओर व्यापक रूप से बांस से आच्छादित किया गया है। ताकि वेणुवन के संज्ञानुरूप बांस के जंगल और झुरमुट का मूल स्वरूप परिलक्षित हो सके। हरित पारिस्थितिकी पर्यावरण के तहत इसका विस्तारीकरण कंप्लीट ग्रीन एरिया के रूप में किया गया है। बांस के अलावे गमलों में लगे विभिन्न प्रजातियों के छोटे आकार में सैकड़ों विशाल वृक्षों के बोनसाई गार्डेन के अलावे मेडिशनल प्लांट, कैक्टस गार्डेन में विविध किस्म के कैक्टस आकर्षण का केंद्र हैं। वहीं सैकड़ों प्रकार के खुशबूदार फूलों, क्रिप्टोगेम, फैनरोगैम तथा अनेक बरगद व पीपल के पौधे भी लगाए गए हैं। 

बुद्ध ने शिष्यों के साथ कई वर्षावास व चातुर्मास किए

आज से करीब 25 सौ वर्ष ईसा पूर्व राजा बिंबिसार ने अपने रॉयल गार्डेन वेणुवन विहार को भगवान बुद्ध को भेंट किया था। उस काल में बुद्ध के अतिप्रिय रहे इस आश्रम व ध्यान केंद्र का उल्लेख आज भी बौद्ध धर्म ग्रंथों में अंकित है। यहां भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों के साथ कई वर्षावास व चातुर्मास किए थे। यहां उनका आश्रम भी था। इस महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इसके विस्तार और सौंदर्यीकरण की योजना बनाई थी। कुल 21. 63 एकड़ में 27 करोड़ की राशि से वेणुवन का स्वरूप गढ़ा गया है।  

एक हजार लोगों के भ्रमण करने की व्यवस्था

इस परियोजना को तीन भाग में बांटा गया है। कुल 21.63 एकड़ में 10.33 एकड़ भूमि अकेले वेणुवन विहार की है। वहीं इसके उत्तर में 4.04 एकड़ राजस्व विभाग तथा 7.26 एकड़ डिस्ट्रिक बोर्ड की भूमि  है। नालंदा डीएफओ डा. नेशा मणि ने बताया कि पहले के 10.33 एकड़ के पुराने वेणुवन में एक बार में सौ लोगों के घूमने-फिरने की क्षमता थी। मगर इसके विस्तार हो जाने से इसमें एक बार में एक हजार लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो गई है। वेणु वन का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा की ओर राजगीर-गया सड़क मार्ग स्थित गुप्ति महारानी व‌ शनिदेव मंदिर के समीप बनाया गया है। यहां से बस स्टैंड की ओर से छोटे- बड़े वाहनों से आवागमन करने वाले पर्यटकों तथा वीआइपी का प्रवेश होगा।

मेडिशनल प्लांट जोन भी है यहां

वहीं टिकट बुकिंग काउंटर तथा एक बड़ी पार्किंग भी बनाई गई है। जबकि कुंड क्षेत्र की दिशा में पहले से बने मुख्य प्रवेश द्वार पर केवल टिकट काउंटर रहेगा। जहां से कुंड स्नान को आए पर्यटकों का पैदल प्रवेश हो सकेगा। साथ ही 21.33 एकड़ के इस पूरे वेणुवन विहार कैंपस आउटर के चारों ओर लगभग दो किलोमीटर लंबा एक पाथ-वे बनाया गया है, जिस पर लोग मार्निंग वॉक तथा बैटरी चलित वाहन से भ्रमण कर सकते हैं। इस पाथ-वे से कैंपस के भीतर पैदल टहलने-घूमने के लिए अनेक कंजक्सन ट्रैक भी बने हैं। साथ ही मेडिशनल प्लांट जोन भी है। जहां ध्यानमग्न हो लोग स्वास्थ्य लाभ कर सकते हैं।

लैंडस्केप सहित फीचर पाॅकेट का होगा दीदार

प्रथम भाग के 10.33 एकड़ के वेणुवन विहार में पहले के बौद्ध धर्म से जुड़े अनेक ऐतिहासिक स्थान पूर्ववत अवस्था में रखे गए हैं। जिसमें बौद्ध धर्मावलंबियों से जुड़े विपश्यना केंद्र, ध्यानकक्ष, भगवान बुद्ध की प्रतिमा इत्यादि हैं। इसके कलन्दक सरोवर के दक्षिणी और उत्तरी छोर की सीढ़ियों को हटाकर पश्चिमी छोर स्थित विपश्यना केन्द्र से सीधे सरोवर के तट तक एक नई सीढ़ी का निर्माण किया गया है। पूर्वोत्तर छोर पर सरोवर के तट तक एक रैंप सह डेक बनाया गया है। जबकि दक्षिणी छोर की पुरानी सीढ़ी को हटाकर आकर्षक सर्पाकार सीढ़ी बनाई गई है। इसके अलावे स्टांप एक्जिस्टिंग, थाईलैंड स्तूप, हर्बल गार्डन, जेन (जापानी) गार्डन, माउंट गार्डन और पेव्ड प्लाजा तथा अजीबो-गजीबो (अजीब-गरीब दृश्यावली) लैंडस्केप सहित फीचर पाॅकेट बनाए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि वेणुवन विस्तारीकरण में इसके विजन को अनोखा रूप दिया जा रहा है। परिसर में नाइट टूरिज्म के लिए आकर्षक रोशनी की व्यवस्था की गई है। ताकि दिन के उजाले के अलावे रात में बेहतरीन लाइटिंग के साथ लोग यहां के अनोखे विजन का आनंद उठा सकें।

बुद्ध के विभिन्न मुद्राओं वाले 10 उपदेशक हस्त

दूसरे भाग में राजस्व विभाग की 4.04 एकड़ की भूमि पर विशाल गार्डन व्हील का भी निर्माण किया गया है। यह गार्डन सबसे खास होगा। जिसके बीचोंबीच भगवान बुद्ध के विभिन्न मुद्राओं वाले 10 उपदेशक हस्त संकेत स्तंभ बनाए गए हैं। इसका निर्माण करने वाले पाॅलीगेन कंसल्टेंसी के आर्किटेक्ट ललित कुमार उपाध्याय ने बताया कि इस स्तम्भ में भगवान बुद्ध द्वारा प्रवास के दौरान वेणुवन के अलावे अन्य स्थानों पर दिए गए उपदेशक हस्त संकेत दिखाए गए हैं। जिसमें भगवान बुद्ध के 10 उपदेशक हस्त मुद्रा वाले मोनुमेंट बनाए गए हैं। यह वेणुवन में भगवान बुद्ध के प्रतीक चिह्न के रूप में  बौद्ध स्तंभ है। राजस्थान से लाए गए ग्रेनाइट ब्लाॅक से निर्मित स्तंभ में उड़ीसा के भुवनेश्वर से मंगाए गए खंडोलाइट पत्थर से 10 हस्त संकेत की मुद्राएं सेट की गई है। इसके चारों ओर आठ छोटे तालाब हैं, जिसमें फव्वारा लगे हैं। जहां बैठ बौद्ध धर्मावलंबी भगवान बुद्ध की अलौकिकता का एहसास उनके उपदेशक हस्त संकेत के सानिध्य में करेंगे।  

मनोरंज के लिए कई गतिविधियां

जबकि तीसरे भाग में डिस्ट्रिक बोर्ड के 7.26 एकड़ की भूमि में भगवान बुद्ध का स्टेच्यू गार्डेन है।  जिसमें बुद्ध 10 मुद्राओं की उपदेशक मूर्तियां लगाई गई हैं। जिसमें अपने उपदेश देते भगवान बुद्ध नजर आएंगे। वहीं टूरिस्ट के मनोरंजन के लिए विभिन्न गतिविधियां हैं। जिसमें बच्चों का अम्यूजमेंट पार्क, एक से बढ़कर एक खूबसूरत व खुशबूदार फूलों से लैस फ्रेगनेंस पार्क, कला सह प्रदर्शनी के लिए एम्पिथियेटर शो एरिया, कैफेटेरिया कम कैंटिन, टायलेट ब्लाॅक, टिकट बुकिंग काउंटर तथा पार्किंग जोन समाहित है।

दो फ्लाईओवर से जुड़े हैं गार्डेन व्हील और स्टेच्यू गार्डेन

गार्डन व्हील और स्टेच्यू गार्डेन के बीच राजगीर अतिथिगृह और सर्किट हाउस का मार्ग है। इस कारण दोनों गार्डेन में आवागमन करने के लिए इस मार्ग के ऊपर से एक फ्लाई ओवर बनाया गया है। इस मार्ग के दोनों ओर सात  फीट की दीवार है। जिसमें वेणुवन विहार की नैसर्गिकता को बनाए रखते हुए इस दीवार को एसलर स्टोन मैसेंडरी से बनाया गया है। वहीं उसके ऊपर से आरसीसी तथा आयरन एंगलिंग से निर्मित, लगभग 15 फूट ऊंचे तथा 14 फीट चौड़े दो रैंपनुमा फ्लाईओवर का निर्माण किया गया है। ताकि ऊपर से बिना बाधा के लोग वेणुवन विहार का परिभ्रमण कर सके। जबकि इसके नीचे के मार्ग से मुख्यमंत्री तथा अन्य वीवीआइपी गेस्ट के अतिथिगृह और सर्किट हाउस में आवागमन के दौरान व्यवधानरहित सुरक्षा, विधि व्यवस्था बहाल रहे।

15 जनवरी को मुख्यमंत्री ने किया वेणु वन का लोकार्पण

अनेक चातुर्मास और वर्षावास के दौरान भगवान बुद्ध की अतिप्रिय तपस्थली रही वेणुवन विहार के विस्तारीकरण सह जीर्णोद्धार का शुक्रवार 15 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकार्पण किया था। उन्होंने वेणुवन परिसर के कलंदक तालाब में  विचरण करते हंस, बतख के झुंड तथा मछलियों को दाना और मुड़्ही खिलाया। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध को राजा बिंबिसार ने उन्हें अपना रोयाल गार्डेन रहे वेणुवन विहार भेंट स्वरूप दिया था। जहां भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पूर्व तथा ज्ञान प्राप्ति के बाद भी आए थे। और यहां के कलंदक तालाब में स्नान कर इसके किनारे ध्यानमग्न रहा करते थे। उन्होंने कहा कि बांस के जंगल के कारण उस समय इसका नाम वेणुवन रखा गया था। जिसके सानिध्य में भगवान बुद्ध बैठ कर अपने प्रिय शिष्यों को उपदेश भी दिया करते थे। उस नाम के अनुरूप यहां बांस के विभिन्न प्रजातियों लगाई गई है। वहीं इसके विस्तारीकरण सह जीर्णोद्धार के क्रम में पर्यटकों की सुविधा के ख्याल रखा गया है।


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