सोनपुर मेला: लोक संस्कृति की छटा के साथ ही जंगल सफारी का नजारा
एशिया के सबसे बड़े पशु मेले में जानवरों के साथ ही मनोरंजन के भी कई साधन उपलब्ध हैं। युवाओं के लिए नखास एरिया में थियेटर की व्यवस्था की गई है।
पटना, जेएनएन। विविध रंगों में रंगे हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले में मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध हैं। एक ओर जहां मुख्य सांस्कृतिक पंडाल में पर्यटन विभाग व लोककलाकार लोक संस्कृति की छटा बिखेर रहे हैं तो दूसरी ओर झूला, सर्कस और मौत का कुआं। वहीं, युवाओं के मनोरंजन के लिए नखास एरिया में थियेटर की भी व्यवस्था है। इन सबसे अलग हटकर एक ऐसी जगह भी है जहां घूमने जाने वाले दर्शकों को जंगल सफारी के रोमांच का अहसास हो रहा है। हम बात कर रहे हैं सोनपुर मेला के डाकबंगला मैदान में लगी पर्यावरण, वन एवं जलवायु विभाग के प्रदर्शनी की।
हालांकि मेला के मुख्य क्षेत्र से काफी दूर होने की वजह से यहां दर्शकों का आना-जाना काफी कम होता है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु विभाग की प्रदर्शनी के अंदर प्रवेश करते ही जंगल सफारी के रोमांच का अहसास होने लगता है। यहां पेड़ों पर बनाए गए ट्री हाऊस के मॉडल, जंगल में विचरण करने वाले शेर, हाथी, हिरण व अन्य पशुओं के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए हैं। प्रदर्शनी के अंदर फूलों के पौधे भी लगाए गए हैं। जंगल में घूमते जानवर, फूल, पेड़ पर बनी ट्री हाऊस व प्रदर्शनी के बाहर दूर-दूर तक फैले आम के बगीचे दर्शकों को जंगल के रोमांच का अहसास कराते हैं।
प्रदर्शनी में जंगल सफारी के नजारे के साथ-साथ पौधरोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। प्रदर्शनी में एक चिडिय़ा पाली, एक दिन वो उड़ गई, फिर मैंने एक गिलहरी पाली, एक दिन वो भी चली गई, फिर मैंने एक दिन एक पेड़ लगाया, दोनों वापस आ गईं... जैसे आकर्षक स्लोगन व कविता के माध्यम से लोगों को पौधरोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। साथ ही यहां राजगीर वन्य प्राणी सफारी, मृग विहार राजगीर आदि की जानकारी बड़े-बड़े पोस्टर व बैनर के माध्यम से दी जा रही है। प्रदर्शनी में लोगों को विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है।