कर्मचारी को लेबर की तरह नहीं, स्किल के तौर पर देखें
पटना के छात्र-छात्राओं में बढ़ रहा प्रोफेशनलिज्म
पटना। कैंडिडेट्स हमारे पास आते हैं तो उन्हें पता ही नहीं रहता कि वो किस जॉब के लिए आये थे? बेसिक कम्युनिकेशन में ही कमजोर दिखते हैं। हमें अपने इंप्लाई के स्किल्स की इज्जत करनी चाहिए। उनको लगातार सपोर्ट की जरूरत भी होती है। ये सब बातें शनिवार को मगध महिला कॉलेज में छात्राओं के बीच 'इंप्लायर राउंड टेबल' पर सुनने को मिल रही थीं। इस कार्यक्रम की थीम 'टूवार्ड्स बेटर रिक्रूटमेंट एंड रिटेंशन' रखी गयी थी। इस दौरान 'देहात' कंपनी के एचआर हेड पवन कुमार पाडेय ने कहा कि कर्मचारियों को कार्यस्थल पर अपनी स्किल के अनुसार कार्य करने की छूट होनी चाहिए। कंपनियों को अपने कर्मचारियों को लेबर की तरह नहीं बल्कि एक स्किल की तरह देखना चाहिए। अपने कर्मचारियों को बेवजह छोटी-छोटी बातों के लिए परेशान नहीं करना चाहिए, इससे कर्मचारियों का कंपनी में रिटेंशन रेट बढ़ता है। कार्यक्रम में मीडिया, पीआर, फार्मास्यूटिकल्स, एचआर, ऑटोमोबाइल, फूड एंड बेवरेजेज, डेवलपमेंट, डिजास्टर मैनेजमेंट, फायनास, टेलिकॉम, सर्विसेज और एग्रीकल्चर के फील्ड की बिहार में काम करने वाली बड़ी कंपनियों और संगठनों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कॉलेज की प्राचार्या डॉ. शशि शर्मा ने कहा कि हमारे स्टूडेंट्स के अंदर जो कमिया हैं, उन्हें ठीक करने के लिए हम काम कर रहे हैं। इसके लिए सभी एक्सपर्ट्स के फीडबैक का हम अच्छे तरीके से एनालिसिस करेंगे और अपने विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए जो करने की जरूरत होगी, उसे पूरा करने की कोशिश करेंगे। पटना के स्टूडेंट्स में बढ़ रहा प्रोफेशनलिज्म
मेधा संस्था के स्टेट हेड रवि रंजन मिश्रा ने इंप्लायर्स के सामने मेधा का प्रेजेंटेशन दिया। इसमें बताया कि मेधा अभी पटना के अलग-अलग कैंपस में 1000 से ज्यादा स्टूडेंट्स के साथ काम कर रही है। उनकी कोशिश है कि एक तरफ स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग के बाद इंटर्नशिप और प्लेसमेंट मिले, वहीं कंपनियों या संस्थाओं को कैंपस से हायरिंग में कोई दिक्कत नहीं हो। कोका कोला के एचआर स्टीव गुंजन ने बताया कि पटना में स्टूडेंट्स की प्रोफेशनलिज्म में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कर्मचारियों को कंपनी में रोकना बड़ी चुनौती
पूरा राउंड टेबल तीन हिस्सों में विभाजित था। पहले हिस्से में एक्सपर्ट्स ने स्किल गैप पर बात की वहीं दूसरा हिस्सा कंपनियों में कर्मचारियों के रुकने की समस्या को लेकर था। इसमें चर्चा हुई कि क्यों कर्मचारी अच्छी सैलरी के बाद भी नौकरी छोड़ देते हैं। इसमें एक्सपर्ट्स ने अपनी कंपनी के अनुभवों को साझा किया तो वहीं तीसरे हिस्से में स्कील गैप और इंप्लाई रिटेंशन की समस्याओं को सुलझाने के लिए उनकी कंपनी द्वारा किये गए प्रयासों पर चर्चा हुई। एचआर सॉल्यूशस के डायरेक्टर एमके सिन्हा ने कहा कि दुनिया में जॉब के लिए कंपीटीशन बढ़ गया है, जॉब के लिए 80 प्रतिशत सॉफ्ट स्किल्स और 20 प्रतिशत हार्ड स्किल्स की जरूरत होती है। अगर स्टूडेंट्स इसको पूरा करें तो उनके लिए आने वाला भविष्य बेहतर होगा। कर्मचारी को पता रहे उसका काम कितना महत्वपूर्ण
नालंदा चैरिटेबल ट्रस्ट के आलोक कुमार सिंह ने बताया कि कर्मचारियों को अपना जॉब प्रोफाइल स्पष्ट होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जब तक एक कर्मचारी को यह पता नहीं रहेगा कि उसका काम कितना महत्वपूर्ण है तो वह अपना बेस्ट नहीं दे पायेगा। उन्होंने डेवलपमेंट सेक्टर का उदाहरण देते हुए कहा कि यहा कम सैलरी के बावजूद कर्मचारियों का रिटेंशन ज्यादा है। बीएसडीएम की प्रोजेक्ट ऑफिसर मधुबाला ने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी सोच में स्पष्ट होना चाहिए कि उन्हें अमुक नौकरी क्यों करनी है और कैसे करनी है। इनके अलावा रिलायंस जियो के बिहार रिक्रूटमेंट हेड मुकेश रंजन, एक्शन ऐड से पंकज श्वेताभ, वहीं मगध महिला कॉलेज के प्लेसमेंट सेल के को-ऑर्डिनेटर डॉ. सुरेंद्र प्रसाद, मेधा की ओर से आकृति शर्मा, डिंपल, निधि, दीपशिखा और विवेक कुमार हिस्सा रहे।