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Lok Sabha Election 6th phase: लालू की मुश्किलें फिर बढ़ा रहा ये साला 'साधु' दे रहा सीधी टक्कर

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव बसपा के टिकट पर महाराजगंज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां छठे चरण में मतदान होना है। साधु यादव ने फिर लालू की टेंशन बढ़ा दी है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 11:33 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 12:21 PM (IST)
Lok Sabha Election 6th phase: लालू की मुश्किलें फिर बढ़ा रहा ये साला 'साधु' दे रहा सीधी टक्कर
Lok Sabha Election 6th phase: लालू की मुश्किलें फिर बढ़ा रहा ये साला 'साधु' दे रहा सीधी टक्कर

पटना, काजल। लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 12 मई को बिहार में 127 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होना है। इस चरण में आठ सीटों वाल्मीकिनगर, पूर्वी चंपारण,  पश्चिम चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान एवं महाराजगंज में चुनाव होगा। महाराजगंज सीट पर लालू प्रसाद यादव के बागी साले साधु यादव बसपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट ने एक बार फिर लालू की टेंशन बढ़ा दी है। 

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राजपूत और यादव बहुल महाराजगंज सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच इस बार कड़ा मुकाबला है तो वहीं साधु यादव ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। एनडीए में सीट शेयरिंग के बाद यह सीट भाजपा के खाते में आई और पार्टी ने यहां से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पर फिर भरोसा जताया है।

तो वहीं, महागठबंधन ने कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को मैदान में उतारा है। 2014 लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा का खाता खुला और मोदी लहर में जनार्दन सिंह सिग्रीवाल इस सीट से जीतकर पहली बार संसद पहुंचे।

सोलह साल बाद लालू यादव के साले साधु यादव फिर से राजद के खिलाफ महाराजगंज के चुनाव मैदान में खलनायक की भूमिका निभा रहे हैं। वे इस लोकसभा सीट से बसपा उम्मीदवार के तौर पर खड़े हैं और राजद प्रत्याशी रणधीर सिंह को चुनौती दे रहे हैं और बीजेपी के मौजूदा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के खिलाफ भी ताल ठोक रहे हैं।

एक दशक से अधिक समय तक लालू यादव और अपनी बड़ी बहन राबड़ी देवी द्वारा दरकिनार किए जाने के बाद साधु यादव हाल ही में उस वक्त सुर्खियों में रहे जब वह ऐश्वर्या राय के साथ तलाक के मुद्दे पर वह तेजप्रताप यादव के साथ नजर आए थे। साधु यादव कई बार तेजप्रताप यादव के साथ दिखे और उनका साथ भी दिया,जिससे लालू परिवार में विवाद भी बढ़ा।

वैसे यह पहली बार नहीं है कि जब लालू यादव के साले उनके खिलाफ खड़े हैं। फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में, साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव, जिन्हें राजद से टिकट नहीं मिला था तो गोपालगंज से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ीं थीं।

लालू के दूसरे साले और राज्यसभा सांसद सुभाष यादव ने भी नवंबर 2005 के विधानसभा चुनावों में गोपालगंज जिले के मीरगंज विधानसभा क्षेत्र से अपनी पत्नी रेणु देवी को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और वह भी चुनाव हार गईं थीं। 

साधु यादव की बात करें तो उन्होंने कई मौकों पर लालू प्रसाद यादव के लिए असहज करने वाली स्थिति पैदा कर दी थी। करोड़ों के बाढ़ राहत घोटाले में भी उनका नाम शामिल है और इस मामले में उन्हें आत्मसमर्पण करके जमानत लेनी पड़ी थी।

वहीं शिल्पी जैन हत्या मामले में सीबीआई ने उनपर डीएनए टेस्ट का दबाव डाला था। हालांकि, उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। फिर उन्होंने बिहार भवन में जेएनयू के छात्रों पर हमले के लिए उकसाया और राजद नेतृत्व को परेशान करने के लिए जो कुछ हो सका किया था।

2009 में जब साधु आरजेडी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए और पश्चिम चंपारण से चुनाव लड़ा तब उनके खिलाफ प्रकाश झा खड़े थे। यह एक संयोग ही था कि प्रकाश झा की फिल्म में विलन के तौर पर अपना नाम देखने के छह साल बाद साधु यादव ने चुनावी लड़ाई में प्रकाश झा का सामना किया।

आखिरकार, उन्हें राजद से निष्कासित कर दिया गया और उनकी बहन राबड़ी देवी ने उनके बहिष्कार को पार्टी के लिए अच्छा बताया था और भाईयों से अपना नाता तोड़ दिया था।

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