Move to Jagran APP

स्थानीय विकास राजीव नगरवासियों का मुख्य चुनावी मुद्दा, इसी पर चल है चुनावी चर्चा

पटना साहिब लोकसभा में आने वाले राजीव नगर की शुरू से ही परेशानी जमीन को लेकर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में ये ही जनता का मुख्य चुनावी मुद्दा है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 11:09 AM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 11:09 AM (IST)
स्थानीय विकास राजीव नगरवासियों का मुख्य चुनावी मुद्दा, इसी पर चल है चुनावी चर्चा
स्थानीय विकास राजीव नगरवासियों का मुख्य चुनावी मुद्दा, इसी पर चल है चुनावी चर्चा

नीरज कुमार, पटना। राजधानी का राजीवनगर मोहल्ला जमीन विवाद के लिए पिछले चालीस वर्षों से चर्चा में है। यहां पर जमीन विवाद के साथ-साथ स्थानीय विकास भी समय-समय पर चुनावी मुद्दा बनते रहा है। इस बार भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजीवनगर में हर चौक-चौराहे पर चुनावी चर्चा गर्म है।

loksabha election banner

जितने व्यक्ति और उतनी बातें। लेकिन  दीघा-राजीवनगर के अधिकांश निवासी चुनाव की बात शुरू होते ही यही पूछते हैं कि मेरी जमीन व घर पर अधिग्रहण की कोई आंच तो नहीं आएगी। यहां की जमीन अधिग्रहण मुक्त कब होगी? सबका यही कहना है जो जमीन अधिग्रहण के मुद्दे को गंभीरता से लड़ेगा, राजीवनगर में वोट उसे ही पड़ेगा।

जन्म से ही जमीन का बना है मुद्दा

राजीवनगर निवासी एवं नागरिक विकास मंच के संयोजक आरसी सिंह का कहना है कि राजीवनगर के जन्म से ही जमीन विवाद जुड़ा है। जबकि  जमीन अधिग्रहण को लेकर संसद से लेकर विधान सभा तक कानून बना चुकी है, लेकिन यहां का मामला अभी भी जस की तस बना हुआ है। दीघा-राजीवनगर के जमीन विवाद मुद्दा कब हल होगा, यह प्रश्न हर राजीवनगर निवासी को परेशान कर रहा है।

अधिग्रहण का मुद्दा एक झांसा

मुआवजे का पता नहीं

मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार का कहना है कि दीघा के गरीब किसानों की जमीन अधिग्रहण का मुद्दा एक झांसा से ज्यादा कुछ नहीं है। संसद द्वारा पास किए गए कानून के अनुसार किसी भी जमीन को सरकार को अधिग्रहण करने का अधिकार है। लेकिन अधिग्रहण के दो साल के अंदर किसानों को मुआवजा मिल जाना चाहिए और जमीन पर सरकार का कब्जा भी हो जाना चाहिए। दीघा में दो साल कौन कहे, यहां तो जमीन अधिग्रहण के चालीस वर्ष बीत गये। सरकार ने आज तक किसी किसान को एक रुपए का मुआवजा भी नहीं दिया, न ही जमीन पर कब्जा कर पाई। फिर भी आवास बोर्ड अधिग्रहण का भ्रम पैदा कर रहा है।

कब पटेगा राजीवनगर नाला

समाजसेवी अशोक कुमार का कहना है कि राजीवनगर से गुजरने वाला नाला अब विकास में बाधक बनने लगा है। यहां पर स्थानीय लोग काफी संख्या में घर बना चुके हैं। बड़ी आबादी राजीवनगर में निवास कर रही है लेकिन उस अनुपात में इलाके का विकास नहीं हो रहा है। राजीवनगर नाला दीघा आशियानानगर से लेकर कुर्जी पुल तक जाता है। इस नाले के दोनों तरफ बड़ी आबादी निवास करती है। कई बार इस नाले को पाटने की बात हुई, लेकिन अभी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नाला को पाटकर एक चौड़ी सड़क बनाई जा सकती है, जिससे लोगों के आवागमन में बड़ी राहत मिल सकती है। अब नए सासंद से लोगों को काफी अपेक्षा है।

छह लेन वाली सड़क होगी पहचान

राजीवनगर निवासी आमोद दत्ता का कहना है कि राजीवनगर से गुजरने वाली छह लेन वाली सड़क भविष्य में इलाके की पहचान होगी। इससे आस-पास के मोहल्ले के लोगों को जाम से मुक्ति मिल जाएगी। वर्तमान में राजीवनगर निवासियों को बोरिंग रोड होकर सचिवालय या हाईकोर्ट जाना पड़ता है। लेकिन छह लेन वाली सड़क बनने के बाद, वे मात्र दस मिनट में बेली रोड पहुंच जाएंगे और वहां से पलक झपकते ही हाईकोर्ट या सचिवालय पहुंच जाएंगे।

स्थानीय सड़कों का विकास भी जरूरी

राजीवनगर के नेपालीनगर निवासी चितरंजन कुमार पांडेय का कहना है कि राजीवनगर काफी पिछड़ा इलाका है। इस इलाके के विकास के लिए एक दमदार सांसद की जरूरत है। पूर्व सांसद ने राजीवनगर समेत राजधानी के अधिकांश मोहल्ले के विकास में कोई रूचि नहीं दिखाई। इसके परिणामस्वरूप राजीवनगर विकास की रफ्तार से पिछड़ा रहा। जमीन विवाद भी राजीवनगर के पिछड़ेपन में काफी सहायक रहा, लेकिन नए सांसद से लोगों को काफी उम्मीद है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.