श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ने बनवाया था पटना का पुण्यार्क सूर्य मंदिर
छठ के समय श्रद्धालुओं का पटना आना शुरू हो जाता है। भक्त शहर के प्रमुख मंदिरों के दर्शन करने को भी जुटते हैं। एेतिहासिक मंदिरों की सूची में एक बाढ़ का पुण्यार्क सूर्य मंदिर भी है।
By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 01:41 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 01:41 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। बिहार की राजधानी पटना को ऐसे ही ऐतिहासिक स्थल नहीं कहा जाता। यहां के मंदिरों का भी अपना ही इतिहास है। जहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने को आते हैं। पटना अनुमंडल के पंडारक प्रखंड में भागीरथी के तट पर स्थित पुण्यार्क सूर्य मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। छठ के समय इस पौराणिक मंदिर में भक्ति, आस्था और समर्पण का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। अनुमंडल मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर पंडारक गांव के पास स्थित इस मंदिर में हर साल चैत और कार्तिक मास में छठ पूजा के अवसर पर हजारों श्रद्धालु भगवान सूर्य को अघ्र्य देते हैं।
कुष्ठ और चर्म रोग से मिलती है मुक्ति
भक्तों की मान्यता है कि सच्चे मन से भगवान सूर्य की उपासना करने से कुष्ठ व चर्म रोग से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में इस मन्दिर की स्थापना को लेकर कुछ ऐसा ही वर्णन मिलता है। कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की महिषियों में जावंती सबसे सुन्दर थीं। इनके पुत्र साम्ब का सौन्दर्य भी अप्रतिम था। अपनी सुंदरता के अभिमान में उसने महर्षि नारद सहित कई मुनियों का घोर अपमान कर दिया। अपमान से क्रोधित नारद मुनि ने शाम्ब को दंड दिलाने की युक्ति सोची। नारद ने भगवान श्रीकृष्ण से चुगली करते हुए कहा कि उनकी 1600 गोपियों के साथ छुप-छुपकर शाम्ब प्रेम करता है। भगवान श्रीकृष्ण को लेकर नारद मुनि उन्हें रेवतक पर्वत पर ले गए। जहां जलक्रीड़ा में लीन शाम्ब को गोपियों के साथ देखा। इस घटना को देखकर भगवान श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए। उन्होंने शाम्ब को तत्क्षण सौैंदर्य नष्ट होने का श्राप दे दिया।
साम्ब कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए। माना जाता है कि कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए नारद मुनि ने ही साम्ब को 12 वर्षों तक सूर्य की उपासना करने की सलाह दी। ओडि़सा की चन्द्रभागा नदी के तट पर राजा शाम्ब ने शांत व निराहार रहकर 12 वर्षों तक भगवान भास्कर की उपासना की। अराधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर ने सपने में शाम्ब को दर्शन देकर वर मांगने को कहा। भगवान सूर्य के आशीर्वाद से शाम्ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई। इसके बाद राजा शाम्ब ने भगवान भास्कर की देश मे 12 जगह प्रतिमाएं स्थापित कर मन्दिर बनवाया। बाढ़ स्थित पुण्यार्क सूर्य मन्दिर भी उन्हीं 12 मंदिरों में एक है।
कुष्ठ और चर्म रोग से मिलती है मुक्ति
भक्तों की मान्यता है कि सच्चे मन से भगवान सूर्य की उपासना करने से कुष्ठ व चर्म रोग से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में इस मन्दिर की स्थापना को लेकर कुछ ऐसा ही वर्णन मिलता है। कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की महिषियों में जावंती सबसे सुन्दर थीं। इनके पुत्र साम्ब का सौन्दर्य भी अप्रतिम था। अपनी सुंदरता के अभिमान में उसने महर्षि नारद सहित कई मुनियों का घोर अपमान कर दिया। अपमान से क्रोधित नारद मुनि ने शाम्ब को दंड दिलाने की युक्ति सोची। नारद ने भगवान श्रीकृष्ण से चुगली करते हुए कहा कि उनकी 1600 गोपियों के साथ छुप-छुपकर शाम्ब प्रेम करता है। भगवान श्रीकृष्ण को लेकर नारद मुनि उन्हें रेवतक पर्वत पर ले गए। जहां जलक्रीड़ा में लीन शाम्ब को गोपियों के साथ देखा। इस घटना को देखकर भगवान श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए। उन्होंने शाम्ब को तत्क्षण सौैंदर्य नष्ट होने का श्राप दे दिया।
साम्ब कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए। माना जाता है कि कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए नारद मुनि ने ही साम्ब को 12 वर्षों तक सूर्य की उपासना करने की सलाह दी। ओडि़सा की चन्द्रभागा नदी के तट पर राजा शाम्ब ने शांत व निराहार रहकर 12 वर्षों तक भगवान भास्कर की उपासना की। अराधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर ने सपने में शाम्ब को दर्शन देकर वर मांगने को कहा। भगवान सूर्य के आशीर्वाद से शाम्ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई। इसके बाद राजा शाम्ब ने भगवान भास्कर की देश मे 12 जगह प्रतिमाएं स्थापित कर मन्दिर बनवाया। बाढ़ स्थित पुण्यार्क सूर्य मन्दिर भी उन्हीं 12 मंदिरों में एक है।
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