ओमान में फंसे सैकड़ों भारतीय, कहा- भूख से होगी मौत या लगा लेंगे फांसी
बिहार के समस्तीपुर व वैशाली के छह लोग सहित कई भारतीय ओमान में बुरी तरह फंस चुके हैं। उन्होंने अपने परिजनों को मैसेज भेजा है कि या तो उनकी भूख से मौत हो जायेगी या फांसी लगा लेंगे।
पटना [जागरण टीम]। ओमान की राजधानी मस्कट में सात सौ से अधिक भारतीय नागरिक फंसे हैं। इनका जीवन संकट में हैं। इनमें बिहार, बंगाल तथा अन्य प्रदेश के लोग हैं। ये पिछले वर्ष नौकरी के लिए ओमान गए थे। इन लोगों ने वाट्सएप पर परिजनों को वीडियो जारी कर सरकार से स्वदेश वापसी की गुहार लगाई है। कहा-यदि स्वदेश वापसी न हुई तो यहां भूख से मौत हो जाएगी या फिर फांसी लगाकर जान दे देंगे।
फंसे लोगों में समस्तीपुर-वैशाली जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के छह से अधिक लोग भी हैं। शाहपुर पटोरी के समीपवर्ती वैशाली जिले के बाजितपुर चकउस्मान एवं मुरादाबाद गांव के मस्कट में फंसे लोगों ने परिजनों को वीडियो भेजा है।
वैशाली जिले के महनार प्रखंड स्थित बाजितपुर चकउस्मान निवासी मो. मुस्तकीम के पुत्र फैज आलम (55), मो. जमीर के पुत्र मो. मुख्तार आलम (45), मो. इलियास के पुत्र मो. आफताब आलम (42) तथा जंदाहा प्रखंड के मुरादाबाद निवासी मो. फरीद आलम (40) के नाम शामिल हैं। फिलहाल वे मस्कट में किसी तरह पहाड़ी के नीचे रह रहे हैं। भुखमरी की स्थिति है।
परिजन चिंतित, नहीं जले चूल्हे
यह खबर मिलते ही बाजितपुर चकउस्मान, मुरादाबाद गांव में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। इनके घरों में पिछले दो दिनों चूल्हे नहीं जले हैं। अपनों की स्वदेश वापसी के लिए इन्हें किसी फरिश्ते की तलाश हैं।
आठ माह से वेतन बंद
फंसे लोगों के परिजनों ने कहा कि मल्टीनेशनल कंस्ट्रक्शन कंपनी सिम्प्लेक्स के कोलकाता स्थित ब्रांच द्वारा इन्हें ओमान ले जाया गया था। जहां कंस्ट्रक्शन से जुड़े टेक्निकल व अन्य कार्य कराए जा रहे थे। दो साल से कंपनी घाटे में चलने लगी। इसके बाद कर्मियों का वेतन अनियमित हो गया। 8 माह से वेतन बंद है। इससे परेशान कर्मी नौकरी छोड़कर कंपनी से पैसे तथा स्वदेश वापसी की मांग करने लगे। इस बीच वीजा की अवधि भी समाप्त हो गई।
इलाज के अभाव कई मौत
वीडियो में बताया गया कि इलाज के अभाव में कई लोगों की मौत हो गई है। यहां न तो चिकित्सा की सुविधा है और न ही रहने खाने की व्यवस्था। रोजगार के अवसर भी नहीं हैं। भोजन-पानी के अभाव में स्थिति बदतर होती जा रही है।
भारतीय दूतावास से नहीं मिला सही जवाब
फंसे लोगों ने ओमान स्थित भारतीय दूतावास में स्वदेश वापसी की गुहार लगाई तो संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। फिर लेबर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन न्याय नहीं मिला। अब सिर्फ भारत सरकार से ही मदद की उम्मीद है।
बोले परिजन
मस्कट में फंसे मो. मुख्तार आलम की पत्नी गुलशन खातून ने बताया कि पति वहां पिछले 9 वर्ष से थे। पिछले वर्ष उन्हें क्रेन ऑपरेटर के लिए काम पर रखा गया। बाद में कंस्ट्रक्शन कंपनी ने पैसा देना बंद कर दिया। लाचार होकर नौकरी छोड़ दी। मो. फैज आलम की पत्नी गुलशन वीबी ने बताया कि शौहर बीमारी से परेशान हैं। चिकित्सा सुविधा नहीं दी जा रही है।
मो. आफताब आलम का परिवार उसकी सकुशल वापसी को लेकर चिंतित है। गांव के मो. सुल्तान अहमद, शाहबाज आलम, महफूज आलम, अब्दुल शमी, गुलरेज आलम आदि ने कहा कि वे भी वहां काम पर गए थे। मगर कंपनी से पैसा नहीं मिलने एवं वीजा अवधि समाप्त होने के कारण फाइन देकर स्वदेश लौट गए। फंसे लोग जब सुविधाओं के लिए आंदोलन करते तो वहां की पुलिस बेरहमी से पिटाई करती है। परिजनों ने भारत सरकार से इनकी वापसी की मांग की है।