बाढ़ का आंखों देखा हाल : लहरों में घिरे लोगों ने कहा - डीएम साहब यहीं रहने दीजिए
बिहार में बाढ पीड़ितों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादातर लोगों ने तो राहत शिविरों में शरण ले लिया है, लेकिन कुछ लोग एेेसे हैं जो घर छोड़कर जाने को तैयार नहीं।
पटना [मृत्युंजय मानी]। दानापुर का गंगा दियारा। जिधर नजर दौड़ाएं पानी ही पानी। इलाका बाढ़ में डूबा है, लेकिन जमीन से मोह बरकरार। पानी उतरेगा तो फिर यहीं रहना है। कष्ट झेल लेंगे, लेकिन गांव नहीं छोडेंग़े। डीएम साहब...हमलोग ठीक हैं, राहत शिविर में नहीं जाएंगे।
बाढ़ पीडि़तों को राहत शिविर में ले जाने पहुंचे जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल के सामने लोगों ने हाथ जोड़ लिया। वे पटना से नाव लेकर दियारा गए थे। जिस सड़क पर गाड़ी चलती थी, वहां नाव चल रही थी। गांव टापू बन गए थे, लेकिन लोगों में भय नहीं। गंगा के पानी से तो इनका रिश्ता है।
हां! राहत सामग्री का आग्रह जरूर था, ताकि खाने-पीने की परेशानी न हो। साढ़े तीन घंटे के सफर में चार पंचायतों के दर्जनों गांवों में प्रशासन नाव पर ही चलता रहा। कहीं भी जमीन मयस्सर नहीं, जहां उतरकर सुस्ता भी सकें।
मानस गांव में एक मकान बीच पानी में आधा डूबा हुआ। बच्चों के साथ एक महिला छत पर खड़ी। ओ माई गॉड... डीएम की नजर पड़ती है। नाव रोकने का इशारा होता है। डीएम चिल्लाते हैं-हमलोग आपको लेने आए हैं...राहत शिविर में चलिए...। उधर से आवाज आती है-हमलोग यहीं ठीक हैं...नहीं जाएंगे।
तब तक एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) टीम छत पर चढ़ जाती है। एक बच्ची बीमार पड़ गई थी। खुशबू नाम है इसका। टीम उसे लेकर आनन-फानन नीचे उतरी। पांव में घाव था, बुखार भी। नाव पर ही चिकित्सकों ने इलाज किया, दवा दी। घर में कौन-कौन हैं?
पूछने पर बच्ची ने कहा-पापा कमाने गए हैं। हमलोगों के घर में तीन-चार दिन से खाना भी नहीं बना है। पापा नहीं हैं, शिविर में नहीं जाएंगे। इलाज के बाद उसके घर में राहत सामग्री पहुंचाई गई। कमोवेश हर जगह की हालत यही थी।
नाव अब नकटा दियारा पहुंची। उसके बाद मानस पंचायत के नवदियरी, चिरैयाटोक, मानस होते हुए काशिमचक पंचायत के खेदलपुरा, काशिमचक गांव, जाफरपुर, घनश्यामचक। विशुनपुर पंचायत के गांवों से लेकर पानापुर तक पानी में डूबा हुआ। ग्रामीणों को राहत सामग्री दी गई।
बाढ़ का मंजर क्या होता है, इसे अधिकारियों ने न सिर्फ देखा, बल्कि भुगता भी। डीएम की नाव विशुनपुर गांव के पास फंस गई। अधिक पानी होने की वजह से नाव सड़क के ऊपरी भाग में चल रही थी। एक जगह पुल आ गया। नाव उसमें फंस गई। करीब 20 मिनट की मशक्कत के बाद नाव निकल सकी। वापसी में जब नाव गंगा की बीच धारा में डगमगाने लगी तो सभी के चेहरे पर खौफ साफ दिख रहा था। हालांकि एनडीआरएफ की दो टीमें भी साथ-साथ चल रही थीं।