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शराबबंदी से निकली बात दहेजबंदी तक आ पहुंची

बिहार में शराबबंदी के आज एक साल पूरे हो गए। अब बात शराबबंदी से निकलकर दहेजबंदी तक जा पहुंची है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 05 Apr 2017 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 05 Apr 2017 11:58 PM (IST)
शराबबंदी से निकली बात दहेजबंदी तक आ पहुंची
शराबबंदी से निकली बात दहेजबंदी तक आ पहुंची

पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। एक सरकार ने ठाना। विरोध हुए। डर था कि बड़ी संख्या में लोग नाराज हो सकते थे। राजस्व की हानि हो रही थी। सरकार अडिग रही। और कड़े फैसले किए। आज बिहार की शराबबंदी इतिहास की ऐसा पन्ना बन गई है, जिसे पढ़कर भविष्य की सरकारें सीख लेंगी। आज 05 अप्रैल है। आज ही के दिन एक साल पहले बिहार में 'शराब पूरी बंद हो गई थी। सफलता की कहानियां यहां-वहां तैर रहीं। चुनौतियां बाकी हैं।

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'100 प्रतिशत वैध बंद और 110 प्रतिशत अवैध बिक रही' के आरोप जिंदा हैं। इनके खिलाफ भी लड़ाई जारी है। शराबबंदी की सफलता ने बिहार को जो ताकत दी है, उसका 'साइड इफेक्ट' कहीं और है। लोग यह समझ गए हैं कि ठान लिया जाए, तो बिहार पूरी नशामुक्ति, भ्रष्टाचार का अंत और दहेजबंदी जैसे बदलाव का गवाह बनेगा।  

उठ रही दहेजबंदी की मांग 

शराबबंदी की सफलता का अध्ययन करने वाले कहते हैं कि महिलाओं में आत्मविश्वास आया है। लड़कियों का आत्मविश्वास कुछ यूं बढ़ा है कि वे मुख्यमंत्री को यह सुझाव देने लगी हैैं कि शराबबंदी तो हो गई, अब दहेजबंदी से जुड़ा कोई कड़ा कानून लाएं। शराबबंदी की मांग महिलाओं ने की थी। शराब के बाद यह घरों में पाई जाने वाली सबसे बड़ी सामाजिक बुराई दहेज है।

एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंसेस के निदेशक सुनील रे का कहना है कि 'मेरी समझ तो शराबबंदी से बिहार में एक नए युग का आरंभ हो रहा है। समाज पर इसका असर कुछ वर्षों बाद और अधिक दिखेगा। घर में शराब की वजह से होने वाले झगड़े का असर बच्चों पर दिखता था। अब वे इससे मुक्त होंगे।

असर रेखांकित करते हैं विशेषज्ञ 

ख्यातिलब्ध सर्जन डा. एए हई कहते हैं कि समाज पर शराबबंदी का असर दिख रहा है। अस्पतालों की इमरजेंसी में देर रात सड़क दुर्घटना के मामले जरूर आते थे। अब ऐसे मामले कम हुए हैं। शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से जो दुर्घटनाएं होती थीं, उनकी संख्या घटी है।

डॉ हई कहते हैैं कि हमारे पास गांव से आने वाले मरीजों के साथ आने वाली महिलाएं कहती हैं कि अब उनके पुरुष जल्द घर आ जाते हैैं। घर में खाते हैैं और ठीक से बात करते हैैं। घर में होने वाले झगड़े भी कम हो गए हैैं। 

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पुलिस वाले भी खुश हैं 

डीजीपी पीके ठाकुर कहते हैं कि संज्ञेय अपराधों की संख्या बिहार में कम हो गई है। समाज में आपसी सौहाद्र्र तो साफ-साफ दिखता है। समाज के सभी वर्गों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह भी दिखता है कि शराबबंदी लागू होने के बाद महिलाओं में आत्मविश्वास भी बढ़ा है।

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