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रविकिशन के पिता को डर था बेटा ना बन जाए 'जिगोलो' वे तो बन गए ....

भोजपुरी भाषी रविकिशन भोजपुरी सिनेमा के सुपर स्टार हैं, साथ ही हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने दमदार अभिनय किया और अपनी पहचान बनाई है। एक्टिंग के लिए पिताजी से बेल्ट की मार खायी थी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 06 Sep 2016 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 07 Sep 2016 11:12 PM (IST)
रविकिशन के पिता को डर था बेटा ना बन जाए 'जिगोलो' वे तो बन गए ....

पटना [वेब डेस्क]। भोजपुरी सुपरस्टार रविकिशन के पिता उनकी शरारतों से परेशान रहते थे। वे कहा करते थे कि अपनी एनर्जी अच्छे कामों के लिए बचाकर रखो। लड़कियों के पीछे मत भागो। अपनी इस आदत की वजह से कहीं जिगोलो मत बन जाना।

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दरअसल वे चाहते थे कि रविकिशन उनकी तरह बिजनेस में आ जाएं और उसे संभालें, लेकिन रविकिशन को शुरू से ही बिजनेस पंसद नहीं था। रविकिशन को बचपन से ही एक्टिंग में रुचि थी। लेकिन उनकी यह राह आसान नहीं थी। बकौल रविकिशन बॉलीवुड और भोजपुरी इंडस्ट्री में ये मुकाम उन्होंने बड़ी मुश्किल से पाया ।

बचपन में रामलीला में बन जाता था सीता

रवि किशन ने बताया था कि जब रामलीला का मंचन होता था वे उसमें सीता का रोल करते थे और उनके पिता चाहते थे कि वे पुजारी बनें। इस तरह की एक्टिंग के लिए कई बार उनके पापा ने बेल्ट से उनकी पिटाई भी की। उनके पापा ने कहा कि ऐसे नीच काम करेगा, नचनिया बनेगा। ब्राहम्ण है पूजा पाठ कर। यह गंदा काम छोड़ दे।

मां के प्यार और पापा की मार की वजह से ही यहां हूं

उन्होंने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं उसका पूरा क्रेडिट मेरे पिताजी की मार और मां के दुलार को जाता है।रविकिशन के मुताबिक, उनकी मां बचपन से ही उन्हें अभिनय करने और नौटंकी में हिस्सा लेने की प्रेरणा देती थी। इस बात से उन्हें शह मिलती थी। जैसे ही पता लगता गांव से दूर भी कोई नौटंकी हो रही है, तो वे उसमें हिस्सा लेने पहुंच जाते थे।

बेटे का शौक देखकर मां ने दिए रुपये, कहा चला जा मुंबई

अपने बेटे का शौक देखकर ही रविकिशन की मां ने उनके एक्टिंग के शौक को देखकर एक दिन उन्हें 500 रुपए दिए और कहा कि तू मुंबई चला जा और रविकिशन मुंबई पहुंच गए और शुरू हो गया संघर्ष का दौर जो कड़ी मेहनत और लगन से आज भी कायम है। रविकिशन ने काफी संघर्ष कर यह मुकाम पाया है।

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काफी संघर्ष के बाद पाया मुकाम

रविकिशन को कई साल संघर्ष करने के बाद में कई फिल्में मिलीं और उन्होंने भोजपुरी फिल्मों से लेकर श्याम बेनेगल जैसे प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ भी काम किया है।

भोजपुरी फिल्मों ने उन्हें सितारा बनाया और हिन्दी फिल्मों ने उनके भीतर छुपे उस कलाकार को उजागर किया, जो हर तरह का रोल कर सकता है। सन 2008 में उन्हें बेस्ट भोजपुरी एक्टर का खिताब मिला। रविकिशन और अजित सिंह स्टारर फिल्म जला देब दुनिया तुहरा प्यार में इस फिल्म का निर्माण एक अमेरिकन कंपनी ने किया था। इस फिल्म की स्क्रीनिंग कांस फिल्म फेस्टिवल में हुई थी।

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भोजपुरी के साथ हिंदी फिल्मों में भी बनाई पहचान

भोजपुरी फिल्मों में उनका डंका पहले से बज रहा था और देश के उस हिस्से में, जहाँ भोजपुरी बोली जाती है, रविकिशन सुपरस्टार थे। उसके बाद पूरा देश उन्हें "बिग बॉस" से भी जाना। आज रविकिशन भोजपुरी, हिंदी सिनेेमा का एक जाना-माना नाम है। छोटे पर्दे पर भी लोग उन्हें पहचानते हैं।

और अब तीन सितंबर को मुंबई में आयोजित 'सबरंग फिल्म सम्मान समारोह' में भोजपुरी सिनेजगत के सुपरस्टार अभिनेता रवि किशन को डायमंड ऑफ भोजपुरी सिनेमा के अवार्ड से नवाजा गया है।


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