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प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग करने के लिए लाइसेंस जरूरी, पर लिया किसी ने नहीं

यह जानते हुए भी कि पॉलीथिन का प्रयोग करने के लिए लाइसेंस का होना जरूरी है। लेकिन दुकानदार इसकी लाइसेंस न लेकर कानून की धज्जियां ही उड़ाते है। इस वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 02:31 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 02:31 PM (IST)
प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग करने के लिए लाइसेंस जरूरी, पर लिया किसी ने नहीं
प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग करने के लिए लाइसेंस जरूरी, पर लिया किसी ने नहीं

पटना [जेएनएन]। जून 2016 में ही कानून पारित हुआ था कि पॉलीथिन (प्लास्टिक कैरी बैग) का उपयोग करने वाले दुकानदारों और मॉल मालिकों को प्रदूषण नियत्रण बोर्ड से लाइसेंस लेना होगा और प्रतिमाह 4000 शुल्क देना होगा। मजे की बात है कि कानून बने दो साल हो गए हैं, लेकिन राजधानी पटना के किसी भी दुकानदार या मॉल मालिक ने लाइसेंस ने नहीं लिया है। मतलब साफ है कि शहर में मिलने वाली वाली पॉलीथिन गैरकानूनी ढंग से उपयोग में लाई जा रही है।

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कानून के अनुसार प्लास्टिक कैरी बैग (पॉलीथिन) का उपयोग करने के लिए प्रदूषण नियत्रण अनापत्ति लेना है। प्रदूषण नियत्रण कानून 2016 में 50 माइक्रॉन से कम के पॉली कैरी बैग के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबध लगा दिया गया है। प्रावधान किया गया है कि पॉली कैरी बैग निर्माण करने वाली कंपनी अपना नाम, माइक्रोन की मात्रा, निर्माता का पूरा पता, मेल आइडी और फोन नबर प्रिंट होना चाहिए। यदि किसी दुकानदार के पास ऐसा पॉलीथिन पाया गया जिस पर निर्माण करने वाली कंपनी का नाम और पता प्रिंट नहीं है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। प्लास्टिक कचरा प्रबधन कानून 2016 में कानून को अमल में लाने के लिए प्राधिकार का दायरे विस्तार किया गया ताकि नगरीय जीवन को प्रदूषण से बचाया जा सके।

होटल-हॉस्पिटल करें खुद इंतजाम

नए कानून में 100 से अधिक लोगों का कचरा उत्पन्न होता है उसे खुद ही प्रबधन का इंतजाम करना होगा। पॉलीथिन कैरी बैग में खुले में खानपान की चीजें फेंकना कानूनी तौर से वर्जित किया गया है। नये कानून में होटल और हॉस्पिटल को शामिल किया गया है। अस्पताल को बॉयो-मेडिकल कचरा का प्रबधन सुनिश्चत करने का प्लान सौंपने के बाद ही उसे प्रदूषण नियत्रण बोर्ड से प्राधिकार प्राप्त होगा। इसके लिए बोर्ड ने ऑनलाइन आवेदन का विकल्प दिया है।

एक्ट में कार्रवाई की शक्ति

प्रदूषण नियत्रण कानून के धारा-11 में पॉली कैरी बैग पर लेबलिग और धारा 15 में शहरी दुकानदारों को लाइसेंस के लिए 48 हजार रुपये सालाना वसूलने का प्रावधान सख्ती से अनुपालन कर दिया गया है। यदि दो वर्षो में इस कानून पर अमल किया गया होता बहुत हद तक पॉलीथिन की समस्या दूर हो सकती थी। कानून में शहर के बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर, शॉपिग मॉल और प्रतिष्ठानों को अधिकतम एक लाख रुपये तक शुल्क वसूल करने का प्रावधान किया गया है।

पटना में 550 ग्राम प्रति व्यक्ति पैदा हो रहा कचरा

प्रदूषण नियत्रण बोर्ड के सर्वेक्षण में पता चला है कि मानक के इतर पटना 550 ग्राम/व्यक्ति ठोस कचरा प्रति दिन उत्पादन करने वाला शहर बन गया है। सामान्य रूप से 1-5 लाख की आबादी की आबादी वाले शहर में प्रति व्यक्ति 210 ग्राम ठोस कचरा उत्पन्न होता है। पांच से 10 लाख की आबादी वाले नगर में प्रति व्यक्ति 250 ग्राम तथा 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहर में 270 तथा 20 लाख से अधिक वाले नगर में 350 ग्राम आका गया है। 50 लाख से अधिक की आबादी पर प्रति व्यक्ति 500 ग्राम का मानक है।

इन विभागों की भी है जिम्मेदारी

भारतीय रेल, एयर पोर्ट, ड्राई पोर्ट, वन विभाग, कृषि विभाग, नगर विकास विभाग, उर्जा विभाग, पावर एव वैकल्पिक उर्जा, प्रदूषण नियत्रण बोर्ड, उद्योग विभाग, खनन विभाग, जिलाधिकारी व एसपी शामिल हैं।

किसे-किसे मिली जिम्मेदारी

प्लास्टिक कचरा नियत्रण के लिए केंद्रीय पर्यावरण मत्रालय ने नगर निगम, जिला प्रशासन, अनुमडल पदाधिकारी, एसपी, डीएसपी, वन एव पर्यावरण विभाग को कार्रवाई के लिए प्राधिकार बनाया है। कानून बनने के दो बाद भी किसी प्राधिकार ने ऐसी कार्रवाई नहीं की जिससे खतरनाक पॉलीथिन का उपयोग बद हो सके।


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