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बदमाशों के कारनामों की फेहरिस्त सुन पुलिस दंग, यू-ट्यूब से ATM क्लोनिंग सीख कमा लिए लाखों Patna News

पटना में पुलिस के हत्थे चढ़े दो बदमाशों ने बताया कि उन्होंने यू-ट्यूब से एटीएम क्लोनिंग की तकनीक सीख। इससे लाखों रुपये कमा लिए।

By Edited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 01:55 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 08:56 AM (IST)
बदमाशों के कारनामों की फेहरिस्त सुन पुलिस दंग, यू-ट्यूब से ATM क्लोनिंग सीख कमा लिए लाखों Patna News
बदमाशों के कारनामों की फेहरिस्त सुन पुलिस दंग, यू-ट्यूब से ATM क्लोनिंग सीख कमा लिए लाखों Patna News

पटना, जेएनएन। दीघा थाना क्षेत्र में कुर्जी मोड़ के पास भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के एटीएम में भीड़ के हत्थे चढ़े विक्कु और गुलशन के कारनामों की फेहरिस्त सुनकर पुलिस भी दंग रह गई। दोनों ने यू-ट्यूब से एटीएम क्लोनिंग की तकनीक सीख। डॉलर में भुगतान कर मशीन मंगाई और मोबाइल में एप डाउनलोड कर फ्रॉड करने लगे। बड़ी बात है कि वे पटना के लोगों का एटीएम क्लोन कर गया से निकासी करते थे और गया वालों का पटना से।

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पुलिस ने दी दबिश

इस खेल में इनके दो और साथी शामिल हैं, जो मौके से भागने में सफल रहे थे। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। मंगलवार को पटना पुलिस की टीम ने गुलशन के गया जिले के फतेहपुर थानांतर्गत रौशना गांव स्थित उसके घर पर छापेमारी की। वहां से 2.83 लाख रुपये बरामद हुए, जिसे उसने साइबर क्राइम के माध्यम से अर्जित किया था। एक टीम ने लखीसराय जिले के बड़हिया थानांतर्गत इंदुपुर स्थित विक्कु के घर पर भी दबिश दी थी पर वहां से कुछ नहीं मिला।

एक इंटर पास तो दूसरा दसवीं फेल

एएसपी (विधि-व्यवस्था) स्वर्ण प्रभात ने बताया कि दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया गया है। उनके बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा रही है। विक्कु और गुलशन दोनों ही पढ़ाई में कमजोर रहे हैं और उनके पास इंजीनियरिंग की कोई डिग्री भी नहीं है। गुलशन इंटर पास है, जबकि विक्कु दसवीं फेल है। बावजूद इसके वे एटीएम की क्लोनिंग कर लोगों के बैंक खाते से रुपये गायब करने में माहिर हैं। उन्होंने एटीएम क्लोनिंग करने का तरीका यू-ट्यूब पर सीखा। इसके लिए डॉलर में भुगतान कर डुप्लीकेट कार्ड रीडिंग मशीन भी खरीदी। इनके निशाने पर एसबीआइ के एटीएम ही रहते थे, क्योंकि इस बैंक के ग्राहक अधिक हैं।

एटीएम के कार्ड रीडिंग मशीन का करते थे इस्तेमाल

निजी बैंकों के एटीएम में कई तरह के कोड होते हैं, जिन्हें डी-कोड कर पाना हर समय इनके लिए संभव नहीं होता। ऐसे क्लोन करते थे डेबिट कार्ड डुप्लीकेट कार्ड रीडिंग मशीन देखने में कंप्यूटर की हार्ड-डिस्क जैसी होती है। इसके इस्तेमाल के लिए मोबाइल में विशेष तरह का एप इंस्टॉल करना पड़ता है। विक्कु और गुलशन इस मशीन को एटीएम के कार्ड रीडिंग प्वाइंट से जोड़ देते थे। जब कोई ग्राहक एटीएम में अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड डालता था तो एप के माध्यम से उन्हें कार्ड पर लिखे 16 अंकों का नंबर, सीवीवी नंबर, पासवर्ड आदि जानकारी मिल जाती थी। इसके बाद उसे कार्ड की क्लोनिंग कर वे दूसरे स्थान से रुपये निकाल लेते थे। उनके मोबाइल में मिले एप का विश्लेषण किया जा रहा है।


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